लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में यूपी एसटीएफ ने 50 हजार के इनामिया गो तस्कर वाकिफ को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। मारे गए अपराधी पर 48 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। कई जिलों की पुलिस गो तस्कर की तलाश कर रही थी। एसटीएफ के डीएसपी डीके शाही ने अपने साथियों के साथ मिलकर शातिर विलेन को काम तमाम कर दिया। मारे गए अपराधी ने खुद का गैंग बनाया हुआ था। लूट-हत्या के साथ वह बड़े पैमाने पर गो तस्करी की वारदातों को अंजाम देता था।
एसटीएफ को सटीक सूचना मिली थी कि आजमगढ़ के थाना रोनापार क्षेत्र में अपराधी लूट की वारदात को अंजाम देने वाले हैं। ऐसे में डीएसपी डीके शाही अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। एसटीएफ को देख चार बदमाश भागने लगे। एसटीएफ की टीम ने उन्हें घेर लिया और सरेंडर करने को कहा। जिस पर अपराधियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में एक बदमाश को गोली लग गई और वह जमीन पर गिर गया। जबकि तीन अन्य अंधरे का फाएदा उठाते हुए भागने में कामयाब रहे।
एसटीएफ टीम घायल अपराधी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। मारे गए अपराधी का नाम गो-तस्कर वाकिब उर्फ वाकिफ है, जिस पर 50 हजार का इनाम पुलिस की तरफ से रखा गया था। इस ऑपरेशन का नेतृत्व डीएसपी डीके शाही कर रहे थे। वाकिफ पर गो-तस्करी, चोरी, हत्या और लूट जैसे गंभीर अपराधों के 48 से अधिक मुकदमे आजमगढ़, गोरखपुर और जौनपुर सहित कई जिलों में दर्ज थे। वह अपने गिरोह के साथ मिलकर पशुओं की चोरी और गोवंश की अवैध तस्करी करता था।
27 साल का वाकिफ आजमगढ़ के फूलपुर का रहने वाला था। उसके पिता कलाम उर्फ सलाम मजदूरी और फेरी का काम करते हैं। वाकिफ ने 2015 में अपराध की दुनिया में कदम रखा। आजमगढ़ के सरायमीर थाने में उस पर पशु चोरी का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था।इसके बाद वह लगातार अपराध करता चला गया और उसने अपना गैंग बना लिया। वह गैंग के साथ मिलकर दूध देने वाले पशुओं की चोरी और गोवंश की अवैध तस्करी करता था। गैंग में अरशद, राकेश उर्फ राका, जावेद, मेराज, सुरेंद्र यादव, शहजादे उर्फ छेदी, मोहम्मद आकिल, हसीम उर्फ शेरू और शकील उर्फ भीमा जैसे अपराधी शामिल थे।
वाकिफ 27 साल का था। 2015 में उसने पहला क्राइम किया। पकड़ा न जाए, इसलिए मोबाइल नहीं रखता था वाकिफ का नाम 2023 में गोरखपुर के एक गो-तस्करी कांड में सामने आया था। इसके बाद उस पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। उस पर नेपाल बॉर्डर के रास्ते तस्करी का नेटवर्क चलाने का भी आरोप था। जांच में सामने आया है कि पकड़ने जाने के लिए डर से वाकिफ मोबाइल नहीं रखता था। वाकिफ बहुत खतरनाक अपराधी था। गो तस्करी के वक्त अगर कोई अगर आ जाता, तो वह तत्काल उस व्यक्ति की हत्या कर दिया करता था। आजमगढ़ के अलावा आसपास के जिलों में वाकिफ का खौफ था।
अब जानिए कौन हैं डीके शाही। यूपी पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 1974 को जन्मे डीके शाही मूल रूप से देवरिया के रहने वाले हैं। साल 2019 में वह डिप्टी एसपी की रैंक पर प्रमोट हुए। डीके शाही की पत्नी ऋतु शाही बीजेपी की नेता हैं। मंगेश यादव एनकाउंटर से पहले ऋतु शाही को उत्तर प्रदेश महिला आयोग का सदस्य नियुक्त किया था। डीके शाही ने अब तक 50 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं। पहली बार वह 2004 में चर्चा में आए थे, जब उन्होंने इनामी बदमाश देवेंद्र उर्फ सुल्तान को गिरफ्तार किया था। सुल्तान पर दो सिपाहियों की हत्या का आरोप था और उस पर 1 लाख का इनाम भी रखा गया था।
राज्य सरकार के अनुसार, मार्च 2017 से जुलाई 2025 तक यूपी पुलिस ने 238 अपराधियों को एनकाउंटर में ढेर किया है। इस दौरान 14,000 से अधिक पुलिस एनकाउंटर हुए, जिनमें 30,000 से ज्यादा अपराधी गिरफ्तार हुए और 9,000 से अधिक को गोली मारी गई। अगर अक्टूबर की बात करें तो 12 दिनों के अंदर पुलिस-एसटीएफ ने मिलकर 13 अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया। फिलहाल यूपी में अपराधियों के खिलाफ पुलिस का ऑपरेशन क्लीन जारी है। सीएम योगी आदित्यनाथ दो टूक शब्दों में कह चुके हैं, अपराधी सरेंडर कर दें, य प्रदेश छोड़ दे। अगर वह ऐसा नहीं करते तो उनका यमराज से मिलना तय है।
