कानपुर। नाम ऋषिकांत शुक्ला। पद यूपी पुलिस में डीएसपी। काम अपराध और अपराधियों का खात्मा। जो मिशन दिया गया, उसे सौ फीसदी पूरा किया। बतौर सब इस्पेक्टर पुलिस में एंट्री की। जिस-जिस थाने में पोस्टिंग मिली, वहां-वहां से जरायम का सफाया किया। सरकार को एसआई का काम पसंद आया तो दरोगा से प्रामोशन देकर इंस्पेक्टर बना दिया। फिर यहीं से शुरू होता है असल खेल। इंस्पेक्टर की पोस्ट मिलते ही महज कुछ माह के अंदर ऋषिकांत शुक्ला बन जाते हैं यूपी के सिंघम। फिर काम की चर्चा होती है तो ऋषिकांत शुक्ला को एसटीएफ में ले लिया जाता है। एसटीएफ में आने के बाद ऋषिकांत शुक्ला ने कानपुर शहर से अतीक पहलवान और टी 2 गैंग पर कहर बनकर टूटते हैं। मोनू पहाड़ी को सलाखों के पीछे भेजते हैं तो रईस बनारसी खौफ के चलते शहर छोड़कर भाग जाता है।
हां यूपी पुलिस का ये सिंघम इस वक्त खुद कानून के दांव में फंस गया है। बतौर डीएसपी के पद पर तैनाती के दौरान सरकार ने ऋषिकांत शुक्ला पर बड़ा एक्शन लिया है। सरकार ने भ्रष्टाचार और अखिलेश दुबे की मदद के आरोप में डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला को सस्पेंड कर दिया है। ऋषिकांत शुक्ला की जांच विजलेंस को सौंपी गई है। पुलिस महकमा भी ऋषिकांत शुक्ला की जांच करा रहा है। एडीजी बरेली को पूरे प्रकरण की जांच का टॉस्क सौंपा गया है। हथकड़ी और सलाखों की आहट को भांपकर खुद निलंबित डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला मीडिया के सामने आए। खुद को बेकसूर बताया। किसने साजिश के तहत उन्हें फंसासा, खुलकर उस व्यक्ति का नाम भी बता दिया। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान ऋषिकांत शुक्ला ने कहा कि मेरे खिलाफ झूठी रिपोर्टें बनवाई गई हैं, यह सब उन गैंग्स की साजिश है जिनपर मैंने कार्रवाई की थी।
ऋषिकांत शुक्ला ने कहा कि कुछ अपराधी तत्वों ने गलत सूचनाएं देकर मेरे खिलाफ झूठी रिपोर्ट तैयार कराई। कई ऐसे गैंग हैं जिनपर मैंने सख्त कार्रवाई की थी, उन्होंने अपने पैरोकारों के जरिए ये साजिश रची है। उनका दावा है कि उन्हें किसी तरह का पूर्व नोटिस या बयान देने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझे निलंबन का पत्र कल ही मिला। उससे पहले न कोई नोटिस मिला, न ही किसी जांच में मेरा पक्ष सुना गया। अगर सुना जाता, तो मैं सारे दस्तावेज पेश कर देता। ऋषिकांत शुक्ला ने बताया कि कानपुर में मैंने कई खतरनाक गैंग खत्म किए। एसटीएफ के सिपाही धर्मेंद्र सिंह की हत्या करने वाले डी-2 गैंग के दो लाख के इनामी अतीक को कलकत्ता से गिरफ्तार कराया। शराब माफिया और मादक पदार्थ तस्करों पर कार्रवाई की। ये सब रिकॉर्ड में है। शहर से अतीक पहलवान का सफाया गया। टी2 गैंग भी भूल बिसरे गीत बन गया।
ऋषिकांत ने बताया कि जिन अपराधियों के खिलाफ उन्होंने ऑपरेशन चलाए, उन्हीं के रिश्तेदारों और मुखबिरों ने आज उनके खिलाफ शिकायतें की हैं। जो लोग आज मेरे खिलाफ बयान दे रहे हैं, उनमें से एक मनोहर शुक्ला है। वो खुद सजायाफ्ता अपराधी है। पहले पुलिस का मुखबिर था, बाद में गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला के रिश्तेदारों से जुड़ गया। अब वही मुझे फंसाने की कोशिश कर रहा है। पीड़ित मनोहर शुक्ला ने आरोप लगाया था कि ऋषिकांत शुक्ला ने गंगा विराज इलाके में जमीन विवाद को लेकर उसे एनकाउंटर की धमकी दी थी। इस पर शुक्ला का जवाब साफ था कि यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। न मैंने किसी को धमकाया, न कोई जमीन खरीदी या बेची. जो जमीन बताई जा रही है, उसकी कीमत दो करोड़ भी नहीं, और न ही कोई सौदा हुआ। ये मनगढ़ंत कहानी है, जिसे कुछ अपराधियों ने मिलकर फैलाया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका किसी तरह का लेन-देन मनोहर शुक्ला से नहीं हुआ, और न ही उन्होंने किसी से संपत्ति हड़पी है। मेरा किसी से वित्तीय विवाद नहीं रहा। मैंने हमेशा ड्यूटी के दायरे में रहकर काम किया है।
ऋषिकांत ने सरकार को भेजी गई जांच रिपोर्ट को लेकर कहा, मैं जांच पर सवाल नहीं उठा रहा। लेकिन कभी-कभी पुलिस भी गुमराह हो जाती है। कुछ झूठी जानकारी देने वाले लोग झूठे कागज बनाकर अफसरों तक पहुंचा देते हैं। ऐसे में अगर रिपोर्ट में कुछ गलती हो गई, तो उसे सही करना भी जरूरी है। . उन्होंने कहा कि उन्हें एसआईटी या पूर्व पुलिस आयुक्त अखिल कुमार से कोई नाराजगी नहीं है। मैं आज भी अखिल कुमार सर का सम्मान करता हूं। मुझे भरोसा है कि निष्पक्ष जांच होगी और सच्चाई सामने आएगी। अखिलेश दुबे के प्रश्न पर ऋषिकांत शुक्ला ने कहा कि अखिलेश दुबे पुलिस के कई मामलों में लीगल एडवाइजर थे। जैसे हर अधिकारी लीगल सलाह लेता है, वैसा ही रिश्ता मेरा भी था। मेरा उनके साथ कोई बिजनेस नहीं था, कोई कंपनी नहीं थी। तैंतीस कंपनियों का जो झूठ फैलाया जा रहा है, उसकी जांच हो। अगर उसमें मेरा नाम आता है तो मैं हर सजा भुगतने को तैयार हूं।
ऋषिकांत शुक्ला ने अपनी पत्नी को लेकर लगाए गए आरोपों को भी सिरे से नकार दिया। रिपोर्ट में लिखा गया कि मेरी पत्नी प्रभा शुक्ला है। ये गलत है। मेरी पत्नी का नाम कुछ और है। किसी और महिला के नाम को जोड़कर मुझे फंसाया जा रहा है। वकील देवेंद्र द्विवेदी से दोस्ती के प्रश्न पर ऋषिकांत शुक्ला ने कहा कि हां देवेंद्र मेरे दोस्त हैं, सीनियर एडवोकेट हैं। जब रिपोर्ट आई, तो मैंने खुद उन्हें फोन किया। उन्होंने कहा मुझे खुद नहीं पता कि मेरे नाम पर कौन सी प्रॉपर्टी दिखाई गई है। यही तो साजिश है। ऐसे झूठे लिंक जोड़कर कहानी बनाई जा रही है। अपने करियर पर बात करते हुए शुक्ला ने कहा कि उन्होंने अब तक 20 से ज्यादा एनकाउंटर किए, कई बड़े गैंग खत्म किए। मैंने कई गैंगस्टरों को खत्म किया। शराब, ड्रग और फिरौती के रैकेट तोड़े। अब वही गैंग मेरे खिलाफ बयान दे रहे हैं। किसी भी पुलिस अधिकारी को समझना चाहिए कि अपराधी कभी शांत नहीं बैठते। जब वो कानून से नहीं लड़ सकते, तो अफवाहों से लड़ते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे कोर्ट में जाकर अपना पक्ष रखेंगे या मानहानि का दावा करेंगे, तो उनका जवाब था कि मैं पुलिस अधिकारी हूं, वकील नहीं। मुझे अपने विभाग और शासन पर पूरा भरोसा है। मैं जांच में हर तरह से सहयोग करूंगा। जब सच्चाई सामने आएगी, तो सब साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वो खुद सभी दस्तावेज विजिलेंस को सौंपने को तैयार हैं और कोई भी गलत काम साबित हुआ तो सजा भुगतने से पीछे नहीं हटेंगे। ऋषिकांत शुक्ला ने कहा कि मैंने जिंदगी भर ड्यूटी को पूजा की तरह निभाया है। अगर मुझसे कोई गलती हुई होती, तो आज मैं आपकी आंखों में देखकर ये बातें नहीं कह पाता। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि ये सब एक बड़ी साजिश है, जिसमें अपराधियों ने राजनीति का सहारा लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि वो अपनी बेगुनाही साबित करेंगे, और आने वाले समय में सब सच सामने आएगा। ऋषिकांत शुक्ला ने बेटे की शादी को लेकर भी बताया। कहा, शादी में जो पैसा खर्च हुआ, वह उनका खुद का है। जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वह निराधार हैं।
