कौन है टॉयसन, जिसने ‘अतीक एंड कंपनी’ का करवाया खत्मा, जानें कानपुर की कचहरी से डॉन कैसे हुआ लापता

टायसन की गोली नाम और पता नहीं पूछती है, पंडित जी अपनी शिकायत वापस ले लो। इसके बाद वो मौके से भाग निकला। इसी के बाद पुलिस आरोपी की तलाश कर रही थी।

कानपुर ऑनलाइन डेस्क। शहर के नामी गैंग के सरगाना अयाज उर्फ टायसन को लेकर एक खबर बीते दो दिनों से चर्चाओं में हैं। ऐसा दावा किया जा रहा है कि कानपुर कचहरी से टॉयसन को यूपी एसटीएफ-क्राइम ब्रांच की टीम ने उठा लिया है। हालांकि क्राइम ब्रांच ने ऐसे सभी दावों का खारिज कर दिया है। टॉयसन के खिलाफ कोतवाली थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस को शिकायत मिली थी कि शातिर आरोपी टायसन ने मनोहर शुक्ला को रोककर धमकी दी। इस धमकी मे उसने कहा कि टायसन की गोली नाम और पता नहीं पूछती है, पंडित जी अपनी शिकायत वापस ले लो। इसके बाद वो मौके से भाग निकला। इसी के बाद पुलिस आरोपी की तलाश कर रही थी।

जरायम की दुनिया में करीब 25 साल पहले टायसन ने कदम रखा था। शहर से डी-2 गैंग व आईएस-273 गैंग के निष्क्रिय होने के बाद सारी आपराधिक गतिविधियों का संचालन टायसन गैंग कर रहा था। टॉयसन ने अपना ठिकाना कुली बाजार को बनाया हुआ था। शहर के तमाम अपराधियों का यह क्षेत्र गढ़ रहा है। योगी सरकार आने से पहले कानपुर शहर में डी-टू गैंग रंगदारी मांगने, मारपीट, बलवा, धमकी देने समेत कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता था, जिसके सदस्यों का नाम दूसरे शहर की वारदातों में अक्सर रहता था। गैंग को खत्म करने में पुलिस की भूमिका रही। गिरोह में शामिल कई सदस्यों का एनकाउंटर हुआ था। तत्कालीन एसओजी प्रभारी ऋषिकांत शुक्ला थे जबकि केस डायरी लिखवाने में अखिलेश दुबे का सहयोग रहता था।

सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन एसओजी प्रभारी ऋषिकांत शुक्ला की मुखबिरी का कार्य अयाज उर्फ टायसन गैंग किया करता था। एसओजी और एसटीएफ में तैनात रहे पुलिसकर्मियों के मुताबिक डी-टू गैंग को अतीक पहलवान ने खड़ा किया था। अतीक पहलवान के टी2 गैंग में उसके भाई रफीक, शफीक, बिल्लू, बाले और अफजाल भी शामिल थे। अतीक का छोटा भाई रफीक अच्छा शूटर था। रफीक के बारे में कहा जाता है कि वह बात करने से ज्यादा वह गोली चलाने में माहिर था। पुलिस से जुड़े सूत्रों की मानें तो रफीक मुख्तार अंसारी के लिए भी काम किया करता था। यही वजह थी कि उसको पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली के अपराधी जानते थे। कानपुर से लेकर पूर्वांचल में अतीक और उसके भाईयों का दबदबा था। अतीक के इशारे पर कानपुर में जरायम का बोलबाला था।

डी-टू गैंग से अमजद बच्चा, संजय गुप्ता और अयाज उर्फ टायसन खार खाते थे। इनका अक्सर अनवरगंज, चमनगंज, बेकनगंज में आमना-सामना हो चुका है। एसओजी और पुलिस ने टायसन का सहयोग लेकर गिरोह के कई सदस्यों का एनकाउंटर कराया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस दौरान टायसन ने ऋषिकांत शुक्ला और अन्य पुलिस अधिकारियों के बीच पैठ बना ली। अखिलेश दुबे से भी उसकी जान पहचान हो गई। पुलिस की मानें तो अयाज उर्फ टायसन पर अनवरगंज, किदवईनगर, चकेरी, कोतवाली समेत अन्य थानों में कई केस दर्ज हैं। टॉयसन का नाम हिस्ट्रीशीटर पिंटू सेंगर की हत्या में आया था। पुलिस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि टॉयसन एक साल तक पुलिस का मुखबिर रहा। अतीक गैंग का टॉयसन ने सफाया करवाया। इसके बाद खुद कानपुर का डॉन बन गया।

जब पुलिस ने विकास दुबे को एनकाउंटर में ढेर किया था, तब टॉयसन कोर्ट में सरेंडर होकर जेल चला गया था। जमानत पर टॉयसन जेल से बाहर आया और फिर अंडरग्राउंड हो गया। फिलहाल कोतवाली पुलिस टायसन की तलाश कर रही थी। उसके खिलाफ निलंबित डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला पर आरोप लगाने वाले मनोहर शुक्ला ने एफआईआर कराई थी। उन्होंने दर्ज रिपोर्ट में कहा था कि वह एसआईटी को बयान देकर लौट रहे थे। रास्ते में टायसन ने धमकी देकर कहा था कि टायसन की गोली पता नहीं पूछती है। अयाज उर्फ टायसन को कचहरी से उठाने में क्राइम ब्रांच की चर्चा है। हालांकि डीसीपी क्राइम अतुल कुमार श्रीवास्तव ने किसी को भी उठाने से इन्कार किया है। एसटीएफ लखनऊ की टीम भी टायसन की तलाश कर रही थी। उसकी ओर से भी टायसन को उठाने की चर्चा है।

अगर टॉयसन की बात करे तो उसके शौक महंगे थे। वो अपने सगे चाचा अतीक के गुर्गो पर बेशुमार रुपया खर्च करता था। जिसके चलते चाचा के अहम गुर्गे कुछ दिनों में टायसन के ज्यादा करीब हो गए। टायसन के बदलते रंग देखकर उसके दो चाचाओं अतीक और शफीक के दुश्मनों ने उसे भड़काना शुरु कर दिया भड़काने वालों ने उसे जम कर भरा। वो कहते थे सारे काम तो तुम करते हो और तुम्हारे चाचा पूरी सुपारी ले जाते हैं। तुम्हें तो कुछ हिस्सा ही मिलता है। तुम रिस्क लेते हो, जबकि वो बैठकर रुपए कमाते है। तुम्हारी दहशत से ही उनको रंगदारी मिलती है। वो चाचाओं से कटने लगा और कुछ दिनों बाद उसने हिस्ट्रीशीटर लाला हड्डी के साथ अपना गैंग खड़ा कर दिया। इधर उसके तीन क्रिमिनल चाचा गिरफ्तार हो गए, जबकि पुलिस ने दो का एनकाउंटर कर दिया जिसके बाद उसको चाचाओं की गैंग की कमान भी मिल गई। इस तरह वो जुर्म की दुनिया का शहंशाह बन गया।

 

 

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