Bahraich madrasa: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में 495 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच अब एटीएस (एंटी टेरर स्क्वाड) द्वारा की जाएगी। बहराइच जिले में कुल 792 मदरसे हैं, जिनमें से 495 गैर मान्यता प्राप्त हैं। ये मदरसे लंबे समय से बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं, जिसके चलते इनकी फंडिंग और गतिविधियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। शासन ने इन मदरसों की फंडिंग की जांच के आदेश दिए हैं, ताकि यह पता चल सके कि इनका संचालन किन स्रोतों से हो रहा है। पिछले साल 2023 में, अल्पसंख्यक विभाग के निर्देश पर जिलास्तर पर इन मदरसों का सत्यापन हुआ था। उस दौरान कई मदरसे 30 साल से भी पुराने पाए गए, लेकिन वे बिना मान्यता के ही चल रहे थे।
495 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त
Bahraich जिले में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 495 है, जिनकी जांच अब ATS करेगी। पिछले वर्ष सितंबर में Bahraich जिला प्रशासन ने इन मदरसों का सत्यापन किया था। यह जिले की महसी, पयागपुर, कैसरगंज, नानपारा, और मिहींपुरवा तहसीलों में पाया गया कि कई मदरसे बिना किसी सरकारी मान्यता के पिछले 30 वर्षों से संचालित हो रहे हैं। मदरसा संचालकों ने दावा किया कि ये संस्थान जनता द्वारा दिए गए चंदे से चलते हैं, लेकिन शासन को उनकी फंडिंग के स्रोतों पर शक है, जिस वजह से अब इसकी विस्तृत जांच की जाएगी।
जांच के आदेश से फैली हलचल
जांच की घोषणा के बाद मदरसा संचालकों में हलचल मच गई है। एटीएस की टीम जल्द ही इन मदरसों की जांच करेगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन मदरसों का संचालन सही ढंग से हो रहा है या नहीं। बहराइच जिला नेपाल सीमा से सटा हुआ है, जो सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है। ऐसे में इन मदरसों पर सरकार की नजर लगातार बनी हुई है।
राज्य सरकार को फटकार
इसी बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने बहराइच में ध्वस्तीकरण से जुड़े एक मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार को साफ निर्देश दिए थे कि वे मामले में विस्तृत जवाब पेश करें, लेकिन समय पर ऐसा न होने के कारण कोर्ट ने नाराजगी जताई। अदालत ने इस मामले की सुनवाई अब 4 नवंबर तक स्थगित कर दी है।
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सपा नेता सुमैया राणा को पुलिस ने रोका
इस बीच, Bahraich के महाराजगंज में हुई हिंसा के बाद सपा नेता सुमैया राणा को पुलिस ने हिंसा प्रभावित इलाकों में जाने से रोक दिया। सुमैया, जो प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राणा की बेटी हैं, हिंसा प्रभावित क्षेत्र में जाना चाहती थीं, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें वापस लौटने को कहा। सुमैया ने पुलिस की इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई और तंज कसते हुए कहा कि यदि इतनी सक्रियता हिंसा के दिन दिखाई जाती, तो शायद हिंसा रोकी जा सकती थी।