Yogi Adityanath : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। सीएम योगी ने महंगाई भत्ते में 2 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस निर्णय से लगभग 16 लाख राज्यकर्मियों को सीधा लाभ मिलेगा। बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता 1 जनवरी 2025 से लागू होगा।
राज्य कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का तोहफा
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के हित में एक बड़ा कदम उठाते हुए महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में लिया गया यह निर्णय राज्य के लाखों कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है। अब कर्मचारियों को 1 जनवरी 2025 से 2 प्रतिशत अधिक यानी कुल 55 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिलेगा।
राज्य सरकार, केंद्र सरकार के फैसले के अनुरूप ही अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता प्रदान करती है। केंद्र द्वारा घोषित नई दरों के बाद, राज्य सरकार ने भी अपने कर्मचारियों के लिए DA को 53 प्रतिशत से बढ़ाकर 55 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। यह संशोधित दर 1 जनवरी 2025 से प्रभावी मानी जाएगी।
किन कर्मचारियों को मिलेगा लाभ?
इस निर्णय का लाभ केवल राज्य सरकार के नियमित कर्मचारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके दायरे में कई अन्य वर्ग भी शामिल हैं:
- सहायता प्राप्त शिक्षण एवं प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारी
- शहरी स्थानीय निकायों में कार्यरत पूर्णकालिक और नियमित कर्मचारी
- कार्यप्रभारित कर्मचारी
- यूजीसी वेतनमान में कार्यरत कर्मचारी
कुल मिलाकर प्रदेश के करीब 16 लाख कर्मचारी इस बढ़ोतरी से लाभान्वित होंगे।
भुगतान होगी की प्रक्रिया ?
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि संशोधित महंगाई भत्ते का भुगतान अप्रैल 2025 के वेतन के साथ किया जाएगा। इस भुगतान के चलते मई 2025 में सरकार पर 107 करोड़ रुपये का सीधा खर्च आएगा, जबकि एरियर के रूप में अतिरिक्त 193 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।
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ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों के GPF खातों में 129 करोड़ रुपये की राशि जमा की जाएगी। इसके बाद, हर महीने राज्य सरकार को इस संशोधित दर के चलते करोड़ों रुपये का अतिरिक्त व्यय करना होगा।
क्या है महंगाई भत्ता और क्यों है ज़रूरी?
महंगाई भत्ता, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों को उनके मूल वेतन के अतिरिक्त प्रदान किया जाने वाला एक विशेष भत्ता है। इसका मुख्य उद्देश्य बढ़ती महंगाई से उत्पन्न आर्थिक दबाव को कम करना होता है।
यह भत्ता आमतौर पर केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर तय किया जाता है। समय-समय पर इसकी समीक्षा होती है ताकि कर्मचारी की क्रय शक्ति में गिरावट न आए।