कानपुर। कल्याणपुर थाने में एक अजब-गजब का मामला सामने आया। यहां पहली बार न कोई एफआईआर दर्ज की गई और न ही चार्जशीट। कोर्ट के बजाए थाना परिसर में कुछ अलग ढंग से जज्मेंट हुआ। दरअसल, दो बकरी, दो मालनिक और एक मेमने को लेकर लोग समाधान दिवस के दौरान थाने पहुंचे। बकरी की मालकिन मेमने पर दावा कर रही थीं। तभी इंस्पेक्टर ने सटीक प्लान बनाया। उन्होंने मेमने को बुलाया और उसे छोड़ दिया। मेमना दौड़कर अपनी असली मां का दूध पीने लगा। ऐसे में तय हो गया कि वह ही बकरी उसकी असली मां हैं। साथ ही बकरी पालक महिला मालकिन।
मीना कुमारी नाम की महिला ने रोक लिया
मामला कल्याणपुर थानाक्षेत्र के गोवा गार्डन का है। यहां चंद्रादेवी रहती हैं। उन्होंने घर पर एक सफेद रंग की बकरी पाली हुई है। बकरी ने मेमने को जन्म दिया था। अचानक मेमने की तबियत खराब हो गई। ऐसे में चंद्रादेवी के पति सुमन उसका इलाज करवाने के लिए पशु डॉक्टर के पास लेकर जा रहे थे। सुमन गोवा गार्डन क्रॉसिंग के पास पहुंचे ही थे कि उन्हें मीना कुमारी नाम की महिला ने रोक लिया। महिला ने कहा कि यह मेमना मेरी बकरी का है। इस पर दोनों के बीच विवाद होने लगा। तभी चंद्रादेवी भी मौके पर आ गई। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी।
बच्चे को लेकर अपना-अपना दावा कर रही थीं
पुलिस मौके पर पहुंची और मेमने समेत सभी को थाने लेकर चली गई। थाने में समाधान दिवस चल रहा था। कांस्टेबल ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को विवाद के बारे में जानकारी दी। जिस पर इंस्पेक्टर ने दोनों महिलाओं को बुलाया और उनकी बातें सुनी। दोनों बकरी के बच्चे को लेकर अपना-अपना दावा कर रही थीं। चंद्रा देवी की बकरी सफेद थी, जबकि मीना कुमारी की बकरी काली थी। बकरी का बच्चा काला और सफेद दोनों रंग का था। इस पर कोई समाधान नजर नहीं आया और दोनों महिलाएं दावे से पीछे हटने को तैयार नहीं थीं।
सफेद बकरी से लिपटकर दूध पीने लगा
विवाद को बढ़ता देख इंस्पेक्टर ने दिमाग से काम लिया। इंस्पेक्टर ने दोनों महिलाओं से कहा कि आप अपनी-अपनी बकरी लेकर आवो। थाने में दोनों बकरियां आ गईं। इसके बाद चंद्रा देवी और मीना कुमारी की बकरियों को अलग-अलग कोने में बंधवाया। इसके बाद कहा गया कि मेमना छोड़ा जाएगा, यह जिसके पास जाकर दूध पिएगा, साफ हो जाएगा कि वही बकरी इसकी मां है। दोनों महिलाएं सहमत हो गईं। इसके बाद मेमने को छोड़ा गया। वह पहले इधर-उधर कुछ देर देखता रहा। फिर दौड़ा और सीधे जाकर सफेद बकरी से लिपटकर दूध पीने लगा। यह देखकर सभी ताली बजाने लगे।
मीना कहते लगी कि सर गलतफहमी हो गई
इसके बाद इंस्पेक्टर ने मीना कुमारी से पूछा तो मीना कहते लगी कि सर गलतफहमी हो गई। बच्चा उसी बकरी का है। इसके बाद मेमने को चंद्रा देवी को सौंप दिया गया। मीना कुमारी ने कहा कई दिन पहले मेरी बकरी का बच्चा खो गया था, वह भी काले सफेद रंग का था। मेरी बकरी काली है, इससे मुझे लगा कि मेमना मेरी बकरी का है। वहीं चंद्रा देवी ने भी सौहार्द दिखाते हुए कहा कि अगर मैं होती, तो शायद मैं भी यही करती। इंस्पेक्टर के इस अजब-गजब के प्रयास से जहां बकरा मालकिन को उसका मेमना मिल गया तो वहीं कोर्ट कचहरी के चक्कर भी दोनों पक्षों को नहीं काटने पड़े।
मेमने पर अपना-अपना दावा ठोक रही थीं
इंस्पेक्टर सुधीर कुमार ने पूरे प्रकरण को लेकर बताया कि दोनों महिलाएं मेमने पर अपना-अपना दावा ठोक रही थीं। ऐसे में मेरे पास कोई और तरीका नहीं था। तभी सोचा कि बच्चा चाहे जानवर का हो या इंसान का, अपनी मां को तो पहचानता है। यही सोचकर यह तरीका अपनाया और तरीका काम कर गया। पुलिस की सतर्कता, इंस्पेक्टर की सूझबूझ और एक मेमने की स्वाभाविक प्रवृत्ति ने एक पेचीदा मामले को चुटकियो में सुलझा दिया। यह घटना थाने की फाइलों में तो दर्ज नहीं हुई, लेकिन वहां मौजूद हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान जरूर छोड़ गई। अब लोग सोशल मीडिया में इंस्पेक्टर और मां-बच्चे को लेकर अपने-अपने तरीके से कमेंट लिख रहे हैं।