कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां गलत तरीके से हेयर ट्रांसप्लांट की वजह से दो इंजीनियरों की मौत हो गई। आरोप लेडी डॉक्टर अनुष्का तिवारी पर लगा। जिसने तिजोरी भरने की नियत से गंजों के सिर पर मौत की फसल उगाई। पुलिस के लिए ’घोस्ट सर्जन’ बनी अनुष्का फिलहाल सलाखों के पीछे पहुंच चुकी है। खुद आरोपी डॉक्टर ने कोर्ट में सरेंडर किया। पहली रात उसकी बैरक के अंदर कटी। डॉक्टर अनुष्का ने अपने क्लीनिक में हेयर ट्रांसप्लांट की दुकान खोली हुई थी और दो युवक और 3 युवतियों को काम पर रखा हुआ था।
कल्याणपुर थानाक्षेत्र स्थित केशवपुरम में डॉक्टर अनुष्का तिवारी अपना क्लीनिक चलाती थी। अनुष्का और उसके पति ने बीडीएस की डिग्री हासिल हुई थी। उनके पास हेयर ट्रांसप्लांट की डिग्री नहीं थी। डाक्टर अनुष्का अनट्रेंड नर्सिंग से हेयर ट्रांसप्लांट करवाती थी। किसी से 50 हजार तो किसी से 60 हजार वह ट्रांसप्लांट के लिए वसूलती थी। उसने कमरे में ओटी बना रखी थी। अनुष्का ने दो अनप्रोफेशनल युवक को रखा हुआ था उन्हीं से हेयर ट्रांसप्लांट करवाती थी। हेयर ट्रांसप्लांट के लिए अनुष्का के क्लीनिक में काम करने वाली तीन युवतियां लोगों को फोन कर बुलाती थीं।
ये युवतियां क्लीनिक खुलने से लेकर बंद होने तक रहती थीं। मरीजों को मिलने का समय देने, उनका रिकार्ड रखने, फीस जमा कराने, हेयर ट्रांसप्लांट की पूरी व्यवस्था करने जैसी अहम जिम्मेदारियां निभाती थीं। पुलिस के मुताबिक, हेयर ट्रांसप्लांट से इंजीनियर विनीत दुबे की मौत की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जांच शुरू की गई। रिपोर्ट दर्ज होने की जानकारी मिलते ही अनुष्का और उनके पति ने क्लीनिक से सीसीटीवी कैमरे, डीवीआर, दस्तावेज आदि गायब कर दिए थे। तीनों युवतियां और दोनों युवक भी फरार हो गए। एफआईआर होने के बाद अनुष्का फरार थी। पुलिस की कई टीमें उसे अरेस्ट करने के लिए दबिश दे रही थीं।
पुलिस की घेराबंदी के खौफ से आखिरकार आरोपी डॉक्टर अनुष्का तिवारी ने सोमवार को कानपुर की अदालत में सरेंडर कर दिया। वो पिछले 18 दिनों से फरार थ। कोर्ट में सरेंडर करने के साथ ही डॉ. अनुष्का ने चौंकाने वाला दावा किया। डॉक्टर ने कहा कि हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी उसने नहीं, बल्कि बर्रा निवासी डॉ. मनीष सिंह ने की थी। हालांकि पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया था कि दोनों सर्जरी डॉ. अनुष्का ने खुद की थ। एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडेय ने बताया कि, डॉ. अनुष्का तिवारी दो इंजीनियरों की मौत के केस में वांछित थीं। उन्होंने सोमवार को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
दरअसल, फर्रुखाबाद के रहने वाले मयंक कटियार (32) ने नवंबर 2024 में हेयर ट्रांसप्लांट करवाया था। ऑपरेशन के बाद उनके चेहरे पर सूजन और दर्द हुआ। जिसे डॉक्टर अनुष्का तिवारी ने सामान्य करार दिया। लेकिन अगले दिन मयंक की मौत हो गई। परिवारवालों ने शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया। जिसके कारण मामला दब गया। कुछ ऐसा ही कानपुर की पनकी पावर हाउस निवासी विनीत दुबे (37) के साथ हुआ। उन्होंने डॉक्टर अनुष्का से मार्च 2025 में ट्रांसप्लांट करवाया। ऑपरेशन के बाद संक्रमण और सूजन चेहरे पर आ गई। परिवारवालों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया। इलाज के दौरान दुबे की मौत 15 मार्च को हो गई। मृतक की पत्नी ने जया त्रिपाठी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू की तो अनुष्का डॉक्टर घोष बनकर निकली।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हेयर ट्रांसप्लांट MD (Dermatology) त्वचा और बालों से संबंधित विशेषज्ञता या MS या MCH सर्जरी करने की योग्यता देता है। ये डिग्रियां हेयर ट्रांसप्लांट करने के लिए सबसे मान्य और विश्वसनीय मानी जाती हैं। इसके अलावा हेयर ट्रांसप्लांट की तकनीकों में प्रशिक्षण (FUE-FUT आदि) आवश्यक होती है। इसके लिए डॉक्टर अलग से कोर्स या वर्कशॉप करते हैं। बीएएमएस-बीएचएमएस या अन्य पैथी वाले लोग कानूनी रूप से हेयर ट्रांसप्लांट नहीं कर सकते। बिना सर्जिकल डिग्री वाले व्यक्ति द्वारा हेयर ट्रांसप्लांट करवाना खतरनाक हो सकता है। यह कानूनन अपराध भी है।
डॉक्टर के पास एमडी या एमएस-एमसीएच की डिग्री होनी चाहिए। मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण जरूरी है। क्लिनिक को राज्य सरकार या संबंधित मेडिकल अथॉरिटी से लाइसेंस प्राप्त होना चाहिए। क्लिनिक में आपातकालीन सुविधा और आधुनिक उपकरण होने चाहिए। फायर सेफ्टी, इंफेक्शन कंट्रोल आदि की व्यवस्था हो। डॉक्टर के साथ काम करने वाले टेक्नीशियन भी प्रशिक्षित और अनुभवी होने चाहिए। ट्रांसप्लांट केवल डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए। क्लिनिक बहुत सस्ता पैकेज दे रहा हो।