Elvish Yadav : स्नेक वेनम मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन, कोतवाल सस्पेंड

सौरव के अनुसार, इसके बाद उन्होंने नोएडा कोर्ट में अपील की, जहाँ उन्हें सुरक्षा देने की बात कही गई थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई।

Elvish Yadav

Elvish Yadav : एल्विश यादव केस में गवाहों की सुरक्षा को लेकर गाजियाबाद पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई। देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा पहले ही गवाहों को सुरक्षा देने के आदेश के बावजूद इसे अनदेखा किया गया। इसके बाद गवाहों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी, जिसमें गाजियाबाद पुलिस को सोमवार तक जवाब दाखिल करना था।

सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करने से ठीक पहले, गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने रविवार देर रात शहर कोतवाल धर्मपाल (पूर्व नंदग्राम थाना प्रभारी) को सस्पेंड कर विभागीय जांच शुरू कर दी। जाँच में प्रथम दृष्टिया यह साबित हुआ कि धर्मपाल मुख्य दोषी थे, क्योंकि उन्होंने अदालत के आदेश का पालन नहीं किया। हालांकि, जांच में यह भी सामने आया है कि उनके साथ और भी अधिकारी इस मामले में दोषी हैं। पुलिस कमिश्नर ने इस कार्रवाई में खुद को बचाने की कोशिश भी की।

अहम गवाहों की सुरक्षा पर उठे सवाल

अहम गवाह गौरव गुप्ता और सौरभ गुप्ता, जो मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स के पदाधिकारी हैं, को अब सुरक्षा प्रदान कर दी गई है। उनकी सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए चार पुलिसकर्मी चौबीसों घंटे तैनात किए गए हैं। गौरव और सौरभ गुप्ता ने नोएडा स्नेक वेनम केस का खुलासा किया था, जो पूरे देश में एक हाई-प्रोफाइल मामला बन गया और राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक चर्चा में रहा।

आदेशों की अवहेलना 

देश की सर्वोच्च अदालत के आदेशों को भी उत्तर प्रदेश पुलिस हवा में उड़ा रही है और उनका पालन नहीं कर रही। गवाहों को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें सुरक्षा प्रदान नहीं की गई। यूपी पुलिस की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि संवेदनशील मामलों में भी गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा रही।

पूरे जिले और प्रदेश में चर्चा

धरमपाल पर कार्रवाई की खबर से पूरी गाजियाबाद पुलिस में हड़कंप मच गया है। यह मामला केवल पूरे जिले में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। पुलिस कमिश्नर द्वारा यह कार्रवाई खुद को बचाने के प्रयास के रूप में देखी जा रही है, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट संदेश देती है कि संवेदनशील मामलों में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

वरिष्ठ अधिकारियों पर सवाल

धरमपाल को मुख्य दोषी मानते हुए कार्रवाई की गई है, लेकिन जांच में यह सामने आया है कि उनके साथ कई और वरिष्ठ अधिकारी भी इस मामले में दोषी हैं। जिला अदालत और सर्वोच्च अदालत दोनों के आदेशों की अनदेखी इस मामले में गाजियाबाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

यह भी पढ़ें : पेट्रोल डालकर महिला को जिंदा जलाया,इलाज के दौरान मौत, पुलिस…

अहम गवाहों से सुरक्षा हटाना, अदालतों के आदेशों की अवहेलना करना और सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका में जवाब दाखिल करने से ठीक पहले हड़बड़ी में कार्रवाई करना — यह सब गाजियाबाद पुलिस की बड़ी लापरवाही को उजागर करता है। पुलिस कमिश्नर ने इस पूरे प्रकरण में खुद को बचाने के लिए धर्मपाल पर कार्रवाई की, जबकि विभागीय जांच अब बाकी दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेगी

Exit mobile version