Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 427

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 428
दस साल तक मदरसों में चलता रहा फर्जीवाड़ा

Lucknow: SIT जांच में बड़ा खुलासा, दस साल तक मदरसों में चलता रहा फर्जीवाड़ा, 16 करोड़ रुपये से ज्यादा सिर्फ शिक्षकों के वेतन पर हुए खर्च

उत्तर प्रदेश में 39 मदरसों को हुए करीब 16 करोड़ रुपये के भुगतान के फर्जीवाड़े में जल्द ही जिम्मेदारों पर शिकंजा कस सकता है। SIT द्वारा जांच रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी गयी है। इस पूरे फर्जीवाड़े में तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय घेरे में है।

39 मदरसों को हुए करीब 16 करोड़ रुपये के भुगतान

उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ में SIT जांच में बड़ा खुलासा किया गया है। जहां 219 फर्जी मदरसों और इनमें से 39 मदरसों को हुए करीब 16 करोड़ रुपये के भुगतान के फर्जीवाड़े में जल्द ही सरकार द्वारा नकेल कसने वाली है। इस मामले पर SIT ने जांच रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी है।

दस साल तक मदरसों में फर्जीवाड़ा का मामला

बताते चलें कि मान्यता प्राप्त मदरसों में दस साल तक फर्जीवाड़ा होता रहा। जिसमे 16 करोड़ रुपये से ज्यादा का आवागमन किया गयीा। यह भुगतान सिर्फ शिक्षकों के वेतन पर ही खर्च किया गया है। अब इस मामले को लेकर खुलासे हो रहें है। जिसके बाद से ही हलचल मची हुई है। SIT जांच का अध्ययन कर जल्द ही इस मामले पर निर्णय लेने की तैयारी में है।

219 मदरसे सिर्फ कागजों में ही चल रहे

गृह विभाग ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से इस बारे में विस्तृत ब्यौरा मांगा है। विभाग के अफसरों के मुताबिक जल्द ही संबंधित लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी। SIT जांच में खुलासा हुआ है कि 219 मदरसे सिर्फ कागजों में ही चल रहे थे। जिसमे से 39 मदरसे तो ऐसे अनुदानित रहे, जिन्हें सरकारी भुगतान भी किया गया। ऐसे एक मदरसे में तीन शिक्षक होते हैं। इस तरह एक मदरसे में 43.20 लाख रुपये प्रति वर्ष दिए गए। इस तरह 10 साल में करीब 16 करोड़ रुपये से ज्यादा शिक्षकों को बतौर मानदेय भुगतान किया गया।

मदरसों को 2003 से 2005 के बीच दी गई मान्यता

SIT जांच में पता चला की अधिकतर मदरसों को मान्यता वर्ष 2003 से 2005 के बीच दी गई। वर्ष 2017 में यह मामला सीएम तक पहंचा जिसके बाद से इस मामले को SIT को सौंप दिया। आपको बता दें की यह सारा खेल कागजों में ही हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि सत्यापन के बाद ही मदरसों को बजट देने के निर्देश के बावजूद बजट जारी होता रहा। इससे साबित होता है कि सत्यापन भी फर्जी हुआ। फर्जी सत्यापन का डाटा पोर्टल पर भी अपलोड किया गया।

SIT पूरी रिपोर्ट का अध्ययन कर रही

उत्तर प्रदेश के अन्य कई जिलों में भी जांच शुरू हो सकती है। अपर मुख्य सचिव अल्पसंख्यक विभाग मोनिका गर्ग के मुताबिक एसआईटी की पूरी रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। उसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा। एसआईटी ने इस प्रकरण में संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की भी संस्तुति की है।

Exit mobile version