कानपुर ऑनलाइन डेस्क। दिंसबर 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के चर्चित ज्योति हत्याकांड में पीयूष समेत पांच दोषियों की सजा को माफ करने से इंकार कर दिया था। वहीं पियूष की गर्लफ्रेंड मनीषा मखीजा को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त का आदेश सुनाया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में माना कि मनीषा पियूष को अच्छी तरह से जानती थी। दोनों पड़ोसी थे और फोन पर भी दोनों की बातचीत होती थी। लेकिन इससे यह नहीं माना जा सकता कि पीयूष और अन्य अभियुक्तों के बीच हत्या के लिए रचे गए षड़यंत्र में भी मनीषा शामिल थी। मनीषा की पीयूष के अलावा अन्य अभियुक्तों से कोई बातचीत भी नहीं हुई। बता दें, मनीषा को सेशन कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
27 जुलाई को हुई थी ज्योति की हत्या
मध्यप्रदेश के जबलपुर निवासी शंकरलाल नागदेव ने बेटी ज्योति की शादी कानपुर के बिस्कुट व्यापारी पीयूष श्यामदासानी के साथ हुई थी। शादी के पहले से पियूष की दोस्ती मनीषा से थी। ऐसे में ज्योति और उसके बीच अनबन होने लगी। 27 जुलाई 2014 को ज्योति की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। खुद प्रियूष ने पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज करवाई। पियूष ने पत्नी के ज्योति के अपहरण की कहानी सुनाई थी और केस दर्ज करवाया। पुलिस ने जांच पड़ताल की तो हत्याकांड का खुलासा हुआ और पियूष ही षड़यंत्रा निकला। आरोपी ने भाड़े के हत्यारों से ज्योति की हत्या करवाई थी। ज्योति हत्याकांड में पति पांडु नगर के बिस्किट कारोबारी पीयूष श्यामदासानी उसकी प्रेमिका पान मसाला कारोबारी की बेटी मनीषा मखीजा समेत पांच आरोपितों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने हत्या के पीछे मनीषा को बड़ी वजह माना है।
हाईकोर्ट में आरोपियों ने दायर की थी याचिका
पांचों आरोपियों ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और चार आरोपियों की सजा बरकरार रखी। जबकि पियूष की गर्लफ्रेंड मनीषा को बरी करने का आदेश सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि पीयूष और मनीषा की कॉल डिटेल रिपोर्ट से यह साफ है कि दोनों अक्सर बातचीत करते थे, लेकिन मनीषा की पीयूष के अलावा अन्य अभियुक्तों से किसी तरह की बातचीत के कोई सबूत नहीं हैं। ज्योति की डायरी में लिखी बातों से यह तो साफ है कि वह अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं थी, लेकिन उसने पीयूष-मनीषा के अनैतिक संबंधों के बारे में डायरी में कुछ भी नहीं लिखा था। कोर्ट ने कई तर्कों को सुना और साक्ष्य देखे और परखे। आखिर में पीयूष के षड़यंत्र में मनीषा को शामिल नहीं मानते हुए दोषमुक्त कर दिया।
दो साल पहले सुनाई थी उम्रकैद की सजा
दो साल पहले सेशन कोर्ट ने सुनाए सजा के फैसले में माना था कि पीयूष ने ज्योति के अपहरण व हत्या का आपराधिक षड़यंत्र रचकर उसे अपहरणकर्ताओं के हवाले किया। साजिशन ज्योति के शव को न केवल छिपाया बल्कि गलत सूचना देकर पुलिस को भ्रमित भी किया। मनीषा प्रत्यक्ष रूप से घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी लेकिन पीयूष और सहअभियुक्तों के साथ लगातार फर्जी नामों से लिए गए सिम लगाकर मोबाइल से बात करना मनीषा को षड़यंत्र में शामिल होने की पुष्टि करता है। इसी तरह अवधेश, रेनू और सोनू ने ज्योति का अपहरण कर हत्या की और जेवर लूट लिए। आशीष ने भी हत्या और सबूत मिटाने में मदद की। इसलिए सभी हत्या के दोषी हैं।
ऐसे रची ज्योति के मर्डर की साजिश
पांडु नगर निवासी बिस्किट कारोबारी पीयूष श्यामदासानी पत्नी ज्योति के साथ 27 जुलाई 2014 की रात स्वरूप नगर के वरांडा होटल गया था। रात करीब 11ः30 बजे उसने पुलिस को सूचना दी कि कुछ लोगों ने हांडा एकार्ड कार के सामने बाइक लगाकर उसे रोक लिया। नीचे उतारकर उसे पीटा और पत्नी व कार लेकर फरार हो गए। पुलिस ने उसकी तहरीर पर प्राथमिक सूचना दर्ज कर ली। उसी रात करीब दो बजे पुलिस ने कल्याणपुर पनकी रोड पर खड़ी कार में ज्योति का शव बरामद कर लिया। पीयूष की कहानी पर पुलिस को शक हुआ तो सख्ती से पूछताछ की, जिसमें वह टूट गया और सच बता दिया। इस मामले में 24 घंटे के भीतर पुलिस ने घटना का राजफाश करते हुए मनीषा, उसके ड्राइवर अवधेश और हत्या व साजिश रचने में शामिल रेनू, सोनू और आशीष को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
ऐसे खुली झूठ की कहानी
हत्या का पहला प्लान 13 जुलाई को बनाया गया। इसके साथ दो बैकअप प्लान भी बने। लेकिन उस दिन बरसात होने से हत्या की योजना पर पानी फिर गया। 20 जुलाई को भी बरसात हो गई। इसके बाद 27 जुलाई को योजना के अनुसार हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया। पीयूष की कार के सामने जैसे ही अवधेश, रेनू, आशीष और सोनू बाइक से आकर रूके, ज्योति कुछ समझ पाती तब तक पीयूष ने कार उनके हवाले कर दी। कार में पीयूष ज्योति को छोड़कर जाने लगा तो ज्योति ने कहा कि यह तुम अच्छा नहीं कर रहे हो। पीयूष कार से बाहर निकलने की फिराक में था जबकि ज्योति उसे छोड़ नहीं रही थी। इसी बीच पीयूष के बाल ज्योति के हाथ में फंस गए। यहीं से उसकी झूठ की कहानी खुल गई।
5500 काल-2200 मैसेज किए
मनीषा को लेकर अधिवक्ताओं का तर्क था कि वह न वारदात में शामिल थी और न ही मौके पर। लेकिन सेशन कोर्ट ने ऐसा नहीं माना। 125 पेज के फैसले में अदालत ने माना कि एक जनवरी से 27 जुलाई 2014 के बीच पीयूष और मनीषा के बीच 5500 काल और 2200 मैसेज सामान्य नहीं हैं। काल के दौरान लंबी अवधि की बातचीत होना साबित करता है कि दोनों के बीच पड़ोसी के संबंध मात्र नहीं थे। 5500 काल पर घंटों और देर रात बात होना यह दर्शाता है कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। पीयूष विवाहित है ऐसे में निश्चित रूप से यह रिश्ता अनैतिक भी है। 27 जुलाई 2014 को ही दोनों के बीच 18 बार काल हुई।
कोर्ट ने माना था मनीषा को दोषी
सेशन कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, कि पुलिस ने मनीषा को 120बी (षडयंत्र) का दोषी बनाया है लेकिन पीयूष के वरांडा होटल में होने के दौरान भी उनकी बातचीत हुई थी। मनीषा का मोबाइल नंबर 8090766837 और पीयूष का मोबाइल नंबर 8090766853 जो एक ही सीरीज के नंबर थे, जो शंकर पुत्र निखिल ग्राम खौदा के फर्जी नाम व पते पर लिए गए थे। दोनों इससे बात करते थे और घटना के बाद सिम तोड़ दिए गए थे। अदालत ने कहा कि प्रत्येक घटना के पीछे उद्देश्य जरूरी है। इस घटना के पीछे मनीषा का उद्देश्य पीयूष को पाना था। चूंकि इस रास्ते में पीयूष की विवाहित पत्नी मनीषा के रास्ते में बाधक थी। इसलिए ज्योति की हत्या से उसका उद्देश्य स्पष्ट और पूर्ण हो रहा था।