लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। रेल को भारत की लाइफ लाइन कहा जाता है। हरदिन लाखों की संख्या में यात्री ट्रेन से सफर करते हैं। सफर के दौरान ये ट्रेन अपने तय स्टेशनों पर तय समय के लिए रुकती है। लेकिन आज जिस ट्रेन के सफर के बारें हम आप आपको बताने जा रहे हैं उसे आप हाथ लेकर रोक सकते हैं। ट्रैक पर खड़े होकर लिफ्ट मांग सकते हैं। मुसाफिरों के हाथ का इशारा देख चालक ब्रेक लगा देता है और ट्रेन तत्काल रूक जाती है और उसमें यात्री सवार हो जाते हैं। इसके बाद चालक ट्रेन से ब्रेक हटाता है और अंग्रेजों के जमाने की छुक-छुक चल पड़ती है।
1902 में हुई थी इस ट्रेन की शुरुआत
ये अनोखी ट्रेन उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कोंच नगर से सरसौकी स्टेशन तक चलती है।यह ट्रेन अंग्रेजों के जमाने की है। साल 1902 में इस ट्रेन की शुरुआत अंग्रेज अफसरों ने की थी। देश आजाद हुआ पर इस ट्रेन के पहिए पर ब्रेक नहीं लगा। छुक-छुक बदस्तूर चलती रही। कोविड के कारण ट्रेन को बंद कर दिया गया। लेकिन ग्रामीण की मांग पर 16 माह के बाद इसे फिर से चालू कर दिया गया। जिसके बाद ये ट्रेन फिर से ट्रैक पर दिखी। इस ट्रेन का नाम है एट-कोंच शटल ट्रेन।
13 किमी का सफर करती हैं तय
यह ट्रेन जालौन जिले में कोंच से एट तक चलती है। यह ट्रेन कोंच से एट स्टेशन के बीच मात्र 13 किलोमीटर की दूरी तय करती थी। ग्रामीण बताते हैं कि रेलवे ने घाटा होने के कारण 1977 में ट्रेन को बंद कर दिया था। ग्रामीणों की मांग पर इसे फिर से रेलवे को शुरू करना पड़ा। अब यह ट्रेन जालौन में कोंच नगर से सरसौकी स्टेशन तक चलती है। स्थानीय जनता की मांग पर रेलवे प्रशासन इस ट्रेन को स्पेशल बनाकर चला रहा है। यह ट्रेन कोंच से एट के लिए 24 घंटे में दो फेरे लगाएगी।
मंत्री के चलते बुंदेलों को मिली छुक-छुक
कोविड के चलते ट्रेन के पहिए थम गए थे। ट्रेन को शुरू करने के लिए भारत सरकार तथा रेल प्रशासन को लगातार पत्र लिखे जा रहे थे। केंद्रीय राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा के लंबे संघर्ष के बाद रेलवे प्रशासन ने इस ट्रेन को शुरू कराने की घोषणा की थी। जिसके बाद बुंदेलखंड की आन-बान और शान फिर से ट्रैक पर लौटी और ग्रामीण के चेहरों में मुस्कान लौटी। ग्रामीण बताते हैं कि ट्रेन को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से लोग आते हैं।
रफ्तार 30 किमी प्रति घंटे
इंजन के अलावा सिर्फ 3 कोच वाली इस ट्रेन की रफ्तार सिर्फ 30 किमी प्रति घंटे की है। आसानी आप अगर साइकिल से भी जाए तो इस ट्रेन से पहले मंजिल पर पहुंत सकते हैं। 13 किमी की दूरी को यह ट्रेन 35 मिनट में पूरा करती है। अगर कोई यात्री छूट जाए तो ये ट्रेन रुककर उसे चढ़ने का मौका देती है। यह ट्रेन रोज दो बार कोंच से सरसौकी तक चलती है। कोंच ओर एट स्टेशन के बीच में कोई स्टेशन नहीं है और न ही कोई स्टॉपेज है। इसके बावजूद यदि लोकोपायलट को बीच में कोई यात्री हाथ देता है तो ट्रेन को रोककर यात्री को ट्रेन में सवार होने का मौका मिल जाता है।
और व्यापारियों के लिए लाइफ लाइन
यह ट्रेन इस रुट पर पड़ने वाले गांव के किसानों, छात्रों, नौकरीपेशा लोगों और व्यापारियों के लिए लाइफ लाइन है। एट से कोंच जाने के लिए चलने वाली यह एकलौती ट्रेन हैं। एट कोंच शटल ट्रेन का किराया 10 रुपये, 15 रुपये है। हालांकि अधिकांश ग्रामीण बिना टिकट के ही ट्रेन पर सफर करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ये ट्रेन बुंदेलखंड की आन-बान और शान है। ट्रेन में कोई बदलाव नहीं हुआ। ग्रामीण बताते हैं कि आजादी से पहले ये ट्रेन क्रांतिकारियों का अहम अवजार हुआ करती थी।