कानपुर। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक (Kanpur) फैसला सुनाया, जिसमें बुलडोजर को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब मनमाफिक तरीके से ‘अंग्रेजों की मशीन’ लोगों के घरों को नहीं ढहाएगी। बुलडोजर एक्शन से पहले सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का आलाधिकारियों को पालन करना होगा। अगर अफसरों ने मनमानी की तो उन पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद देश में सियासत शुरू हो गई है।
राजनीतिक दलों (Kanpur) के साथ मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड की तरफ से भी बयान सामने आए हैं। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि यूपी में पहली बार किस गैंगस्टर की कोठी को ढहाया गया था। कौन था विकास दुबे कानपुर वाला, जिसने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों के खून से बिकरू गांव की गलियों को लाल कर दिया था। कैसे बुलडोजर यूपी वाया एमपी और फिर दिल्ली पहुंचा। इसके बाद इस मशीन के पहिए शहर-शहर दौड़े।
सुप्रीम कोर्ट का आया ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट (Kanpur) ने बुलडोजर कार्रवाई पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मनमानी कार्रवाई पर ब्रेक लगा दिया है।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने बुलडोजर कार्रवाई के विरुद्ध दाखिल जमीयत उलमा ए हिंद व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया।कोर्ट ने कहा कि हमारे संविधान में इस निरंकुश और मनमानी कार्रवाई का कोई स्थान नहीं है।
किसी भी आरोपित, यहां तक कि दोषी की संपत्ति (घर या दुकान, आफिस आदि) भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर ध्वस्त नहीं की जा सकती, ऐसा करना असंवैधानिक है। न्यायाधीश बनकर कार्यपालिका (Kanpur) किसी को दंडित नहीं कर सकती। कोर्ट ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बारे में देशभर के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसमें संपत्ति ढहाने से पहले 15 दिन का नोटिस और सुनवाई का मौका देने की बात कही गई है।
कोर्ट ने तय की जिम्मेदारी
कोर्ट ने कहा कि अगर अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की तो न सिर्फ उनके विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई और मुकदमा हो सकता है, बल्कि संबंधित अधिकारी पर ध्वस्त की गई संपत्ति का पुनर्निमाण कराने की जिम्मेदारी भी होगी और खर्च उसकी जेब से लिया जाएगा। साथ ही उसे क्षतिपूर्ति का भी भुगतान करना होगा। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, कारण बताओ नोटिस दिए बिना नहीं की जा सकती ध्वस्तीकरण की कार्रवाई।
जवाब के लिए 15 दिन का समय देना होगा। यह समय नोटिस प्राप्त (Kanpur) होने की तिथि से शुरू होगा। नोटिस संपत्ति स्वामी या कब्जेदार को उसके पते पर पंजीकृत डाक से भेजना होगा। जिलाधिकारी एक माह के अंदर नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे और इसके लिए ई-मेल एड्रेस जारी करते हुए संबंधित निकायों को सूचित करेंगे।
लेकिन यूपी से ही बुलडोजर को प्रसिद्धि मिली
योगी सरकार में बुलडोजर का जितना इस्तेमाल हुआ और जितनी प्रसिद्धि मिली, उतनी किसी राज्य में नहीं मिली. जबकि, ऐसा नहीं है कि बुलडोजर का इस्तेमाल पहले नहीं हुआ करता था, लेकिन यूपी से ही बुलडोजर को प्रसिद्धि मिली। यूपी (Kanpur)चुनाव में जीत के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने तो बुलडोजर से साइकिल को रौंद दिया। यूपी का बुलडोजर माॅडल सूबे से निकल कर दूसरे प्रदेशों में भी चला और इसका इस्तेमाल पत्थरबाजी, रेपिस्ट अपराध करने वालों के खिलाफ हुआ।
उत्तर प्रदेश से होते हुए बुलडोजर मध्य प्रदेश के खरगौन पहुंचा, फिर गुजरात के खंभात, उसके बाद उत्तराखंड के बाद दिल्ली, असम, रातस्थान, छत्तीसगढ़ तक ये पहुंचा। दिल्ली में दंगे के बाद जहांगीरपुरी में बुलडोजर ने दस्तक दी। जिसका विरोध भी हुआ और यहीं से इसके खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई।
विकास दुबे के घर पर चला था बुलडोजर
दरअसल, 2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनी, तो उसके बाद बुलडोजर का सफर यहां से शुरू हो गया। योगी सरकार आने के बाद अपराधियों और माफियाओं के घर पर (Kanpur) बुलडोजर चलने लगे। जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू में विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस पर हमला हुआ था। इस हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इस कांड के बाद विकास दुबे फरार हो गया था। इसके बाद प्रशासन ने बिकरू में विकास दुबे की कोठी पर बुलडोजर चला दिया था।
माना जाता है कि यहीं से अपराधियों की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाने की कहानी शुरू हुई। इसके बाद बुलडोजर की कार्रवाई माफिया अतीक अहमद, माफिया मुख्तार अंसारी के अलावा अन्य अपराधियों के खिलाफ हुई। यूपी सरकार ने फरवरी 2021 में विधान परिषद में बताया था कि 2017 में बीजेपी सरकार आने के बाद से अब तक 67 हजार एकड़ से ज्यादा की जमीन को अतिक्रमण से छुड़ाया गया है। 2024 तक आंकड़ा बड़कर 80 हजार एकड़ पहुंच गया है।
फिर नाम दिया ‘बुलडोजर बाबा’
ये योगी का ‘बुलडोजर मॉडल’ ही था, जिसने उन्हें ‘बुलडोजर बाबा’ बना दिया। यूपी विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में अखिलेश यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ को ‘बुलडोजर बाबा’ नाम दिया था। अखिलेश यादव ने कहा था, ‘जो जगहों का नाम बदलते थे, आज एक अखबार ने ही उनका नाम बदल दिया। अखबार अभी गांवों में नहीं पहुंचा होगा।
हम बता देते हैं. उनका नया नाम रखा है ‘बाबा बुलडोजर’ बाद में इस ‘बुलडोजर बाबा’ को बीजेपी ने चुनाव में बहुत भुनाया और चुनाव जीतने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बुलडोजर से साइकिल को रौंद दिया। यूपी उपचुनाव में भी बुलडोजर का शोर है। मैनपुरी में सीएम योगी आदित्यनाथ की सभा में पांच बुलडोजर लेकर कार्यकर्ता पहुंचे। अंग्रेजों की मशीन से सीएम योगी का स्वागत किया गया।
‘बुलडोजर मामा’ नाम दिया
उत्तर प्रदेश से होता हुआ बुलडोजर मध्य प्रदेश पहुंच गया। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में एक नाबालिग लड़की से गैंगरेप के आरोपियों के घर बुलडोजर से गिरा दिए गए। एक आरोपी की फसल भी जेसीबी से नष्ट कर दी गई। इसके बाद सिवनी के कुरई में दुष्कर्म के आरोपी का घर भी बुलडोजर से ढहा दिया गया। छतरपुर में एक अपराधी की पांच करोड़ की कोठी को बुलडोजर से ढहा दिया गया। अपराधियों के घर बुलडोजर चलाने के बाद राजधानी भोपाल की हुजूर सीट से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को ‘बुलडोजर मामा’ नाम दिया था। रामेश्वर शर्मा ने अपने घर के बाहर होर्डिंग लगवाया, जिस पर लिखा था ‘बेटी की सुरक्षा में जो बनेगा रौड़ा, मामा का बुलडोजर बनेगा हथौड़ा’।
यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में मौसम का मिजाज बदला, ठंड को लेकर मौसम विभाग ने दिया अपडेट
गुजरात में भी गरजा बुलडोजर
मध्य प्रदेश की थोड़ी सी सीमा गुजरात से भी लगती है। मध्य प्रदेश के बाद बुलडोजर गुजरात ही पहुंचा। एमपी की तरह ही गुजरात के खंभात में भी रामनवमी के दिन सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। पुलिस ने हिंसा के पीछे विदेशी साजिश होने की बात कही थी। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों को बाहर से लिया गया था और उन्हें हर तरह की कानूनी और वित्तीय मदद देने का भरोसा दिया गया था। हिंसा के बाद आणंद जिले के कलेक्टर के आदेश पर खंबात में अवैध कब्जों पर बुलडोजर दौड़ाया गया। ये बुलडोजर अवैध दुकानों, घरों और सड़क किनारे बनी झुग्गियों पर चला। प्रशासन ने दावा किया था कि बुलडोजर हिंसा के आरोपियों के अवैध कब्जों पर चलाया गया था।
फिर अन्य राज्यों में भी खूब दौड़ा बुलडोजर
उत्तर प्रदेश से ही अलग होकर बने उत्तराखंड में भी ‘बुलडोजर मॉडल’ लागू हुआ। वधानसभा चुनाव में दोबारा पुष्कर सिंह धामी की सरकार बनने के बाद अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाए गए। इतना ही नहीं, हनुमान जयंती पर डाडा जलालपुर में शोभायात्रा में हुए पथराव के बाद प्रशासन आरोपियों के घर पर बुलडोजर लेकर भी पहुंच गए। बताया जा जा रहा है कि बुलडोजर पहुंचने के बाद दो आरोपियों ने खुद ही सरेंडर कर दिया था। बिहार में भी बुलडोजर एक्शन हुआ। 25 मार्च 2021 को बालू कारोबारी सोनू राय की हत्या के आरोपियों के घर पर छपरा प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया। दिल्ली के जहांगीरपुरी में भी बुलडोजर चला था। हिंसा के बाद अब यहां भी अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाया गया।
कौन था विकास दुबे
विकास दुबे यूपी (Kanpur) का गैंगस्टर था। विकास दुबे पर 60 से ज्यादा मामले दर्ज थे। 2 जुलाई की रात विकास दुबे में बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। तब पुलिस-प्रशासन ने हत्याकांड के तीसरे दिन विकास दुबे के घर को बुलडोजर से ढहा दिया था। उसकी लग्जरी कारों को बुलडोजर ने क्षतिग्रस्त किया। पुलिस और यूपी एसटीएफ ने विकास दुबे और उसके चार साथियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
यहीं से बुलडोजर के साथ एनकाउंटर की श्रीगणेश भी हुआ। इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू किया। करोड़ों की जमीनों को माफियाओं के कब्जे से छुड़ाया। 200 से अधिक अपराधी एनकाउंटर में मारे गए। 5000 से ज्यादा हाॅफ एनकाउंटर में घायल हुए। योगी सरकार के इस एक्शन का साथ सूबे की जनता ने भी दिया। इसी का नतीजा रहा कि यूपी में अपराधी को खुद को थाने में सरेंडर कर जेल जाने लगे।