Kanpur News: कानपुर में रामनवमी शोभायात्रा के दौरान ट्रैक्टर पर “I Love मोहम्मद” का बोर्ड लगाने वाले 25 मुस्लिम युवकों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद मामला न केवल हिंदू-मुस्लिम तनाव का केंद्र बन गया, बल्कि मुस्लिम फिर्कों के बीच भी आस्था और प्रदर्शन के दृष्टिकोण को लेकर विवाद छेड़ दिया। बरेली स्थित दरगाह आला हजरत ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और तुरंत मुकदमों को वापस लेने की मांग की। इस Kanpur घटना ने मुस्लिम समुदाय के भीतर अलग-अलग फिर्कों के दृष्टिकोण को उजागर किया, जिससे धार्मिक प्रेम और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरी बहस शुरू हो गई।
कानपुर में बोर्ड विवाद
रावतपुर के सैय्यद नगर में ट्रैक्टर पर बोर्ड लगाने के बाद दो पक्ष आमने-सामने आ गए। हिंदूवादी संगठनों ने बोर्ड हटाने की मांग की, जबकि मुस्लिम युवकों ने इसे आस्था और प्रेम का प्रदर्शन बताया। मौके पर पहुंचे एसीपी रंजीत कुमार ने स्थिति शांत करने की कोशिश की।
बरेली दरगाह का फरमान और संवैधानिक अधिकार
जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन खान ने कहा कि यह मामला अनुच्छेद 19, 21 और 25 का उल्लंघन है। उन्होंने मेनका गांधी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का हवाला देते हुए कहा कि धार्मिक प्रेम जताना अपराध नहीं।
फिर्का संग्राम और प्रतिक्रिया
घटना ने मुस्लिम फिर्कों के बीच तीखी बहस शुरू कर दी। कुछ संगठनों ने बोर्ड प्रदर्शन को उचित बताया तो कुछ ने इसे विवाद का कारण माना। फरमान हसन खान ने सभी फिर्कों से अपील की कि समुदाय एकजुट रहे और आस्था पर राजनीति न होने दें।
Kanpur का यह विवाद न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सवाल खड़ा करता है, बल्कि मुस्लिम फिर्कों के भीतर संतुलन और एकजुटता बनाए रखने की चुनौती भी सामने लाता है। दरगाह आला हजरत ने एफआईआर वापस लेने की मांग कर न्यायिक समाधान की उम्मीद जगाई है।