Kanpur में झूठे रेप केस के जरिए रंगदारी वसूलने वाले गिरोह का भंडाफोड़, वकील और सहयोगी गिरफ्तार

कानपुर पुलिस ने झूठे रेप और पॉक्सो एक्ट के मुकदमों के जरिए नेताओं और व्यवसायियों से रंगदारी वसूलने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया। वकील अखिलेश दुबे और सहयोगी शैलेंद्र यादव गिरफ्तार, कई खुलासे सामने आए हैं।

Kanpur

Kanpur false rape case: उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस ने एक चौंकाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो झूठे रेप और पॉक्सो एक्ट के मुकदमों के जरिए नेताओं, व्यवसायियों और पावरफुल लोगों से रंगदारी वसूलता था। भाजपा नेता रवि सतीजा को निशाना बनाने की साजिश में शामिल वकील अखिलेश दुबे और उसके करीबी सहयोगी शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में टोनू ने खुलासा किया कि लड़कियों को झूठे केस में फंसाने और गवाही देने के लिए 5,000 से 50,000 रुपये तक दिए जाते थे। Kanpur पुलिस अब पूरे नेटवर्क को तोड़ने की तैयारी में है और अन्य आरोपी तथा नए मुकदमे सामने आने की संभावना जताई जा रही है।

गिरोह का modus operandi और गिरफ्तारी

Kanpur पुलिस ने शुरुआती जांच में खुलासा किया कि यह गिरोह विशेष तौर पर नेताओं और व्यवसायियों को निशाना बनाता था। भाजपा नेता रवि सतीजा के खिलाफ झूठे दुष्कर्म केस में रंगदारी मांगने की कोशिश के आरोप में वकील अखिलेश दुबे, लवी मिश्रा और अब शैलेंद्र यादव गिरफ्तार किए गए। टोनू ने बताया कि लड़कियों को झूठे मुकदमों में गवाही देने या शिकायत दर्ज कराने के लिए 5,000 से 50,000 रुपये तक दिए जाते थे।

रंगदारी की रकम और साजिश

रवि सतीजा ने 6 अगस्त को चकेरी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपियों ने गैंगरेप का झूठा केस दर्ज कर उनसे 50 लाख रुपये रंगदारी मांगने की कोशिश की थी। इस मामले में पहले ही अधिवक्ता अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा जेल भेजे जा चुके हैं, जबकि अन्य आरोपी फरार थे। शैलेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को पूरे रैकेट की कड़ियां जोड़ने में मदद मिल रही है।

गिरोह लड़कियों को कैसे फंसाता था

जांच में सामने आया कि टोनू सोशल मीडिया के माध्यम से लड़कियों और महिलाओं से संपर्क करता था और उन्हें झूठे केस में गवाही देने के लिए लालच देता था। रवि सतीजा मामले में उसने अभिषेक बाजपेई के साथ मिलकर एक लड़की को तैयार किया। पुलिस ने उस महिला तक भी पहुंच बनाई, जिसने अपनी नाबालिग बहन के साथ सामूहिक दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर केस दर्ज कराया था।

गिरोह का इतिहास और नेटवर्क

शैलेंद्र यादव मूल रूप से शिवराजपुर के सखरेज गांव का रहने वाला है और बर्रा के सचान चौराहा स्थित सोना मेंशन में रह रहा था। पूछताछ में उसने बताया कि 2012 में मामा जयहिंद यादव की हत्या के मामले में वकील अखिलेश दुबे से नजदीकी बढ़ी और फिर वह उसका भरोसेमंद सहयोगी बन गया। पुलिस को शुरुआती जांच में यह साफ हुआ कि यह सिंडिकेट लंबे समय से नेताओं और व्यवसायियों को फंसाकर रंगदारी वसूल रहा था।

आगे की कार्रवाई

Kanpur पुलिस शैलेंद्र यादव के बयान और अन्य आरोपियों के मोबाइल डेटा की जांच कर रही है। कई संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा चुकी है और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। जांच अधिकारी मानते हैं कि आने वाले दिनों में कई और नाम और नए मुकदमों की परतें खुल सकती हैं। यह मामला स्पष्ट करता है कि झूठे मुकदमे दर्ज कर वसूली करने वाला यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था।

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