40 बार कॉल करने पर भी नहीं पहुंची एम्बुलेंस: महोबा में घायल मजदूर ने तड़पकर तोड़ा दम

उत्तर प्रदेश के महोबा में स्वास्थ्य सेवाओं की घोर लापरवाही सामने आई है। 40 से अधिक बार कॉल करने के बावजूद सरकारी एम्बुलेंस न मिलने के कारण एक गरीब मजदूर ने जिला अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। इस दर्दनाक घटना ने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि परिजन निजी एम्बुलेंस का खर्च वहन नहीं कर पाए।

Mahoba

Mahoba health service.: जनपद के श्रीनगर थाना क्षेत्र के गांव अतरार माफ निवासी धीरज अहिरवार (33) पुत्र मैयादीन, मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। सोमवार देर रात जब वह बाइक से गांव से महोबा आ रहे थे, तब कानपुर सागर राष्ट्रीय राजमार्ग में उर्मिल बांध की मुख्य नहर के पास एक तेज रफ्तार कार ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। हेलमेट न पहनने की वजह से धीरज गंभीर रूप से घायल हो गए।

राहगीरों की सूचना पर परिजन घायल को Mahoba जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उनकी नाजुक हालत को देखते हुए उन्हें मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। लेकिन 40 से ज्यादा बार कॉल करने के बावजूद सरकारी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाई। गरीब मजदूर धीरज ने मंगलवार को जिला अस्पताल में ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया, जिससे परिजनों में कोहराम मच गया। मृतक के भांजे भोला ने बताया कि धीरज अपने पीछे पत्नी सुनीता और तीन संतानों को छोड़ गए हैं, जिनके सिर से अब पिता का साया उठ गया है।

मृतक के भाई ने लगाए गंभीर आरोप

मृतक के भाई विनोद अहिरवार ने बताया कि भाई की हालत नाजुक होने पर उन्होंने 40 से अधिक बार सरकारी एम्बुलेंस के लिए कॉल की। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉल रिसीव तो हुई लेकिन उचित जवाब नहीं मिला, और कई बार फोन करने पर एम्बुलेंस फुल होने की जानकारी दी गई। उन्होंने सरकारी स्टाफ से भी मदद की मिन्नतें की, लेकिन किसी ने उनकी सहायता नहीं की। विनोद ने कहा कि उनके पास निजी एम्बुलेंस का खर्च वहन करने के लिए पैसे नहीं थे।

एम्बुलेंस प्रोग्राम मैनेजर और सीएमओ के अलग-अलग बयान

Mahoba एम्बुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर दिनेश यादव ने कहा कि घायल मजदूर को श्रीनगर से एम्बुलेंस की मदद से ही जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि घायल मरीज को झांसी रेफर करने के दौरान एम्बुलेंस अन्य स्थानों पर मरीजों को लेने और छोड़ने निकल गईं थीं।

वहीं, Mahoba सीएमओ डॉ. आशाराम ने बताया कि जिला अस्पताल के पास एक ही एम्बुलेंस है, जिसे वीआईपी या इमरजेंसी ड्यूटी में भेजा जाता है। उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों ने उन्हें कोई सूचना नहीं दी और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

गरीब श्रमिक की अस्पताल में ही मौत हो जाने से स्वास्थ्य सेवाओं में बरती जा रही लापरवाही उजागर हुई है और लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं।

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