Meerut news: उत्तर प्रदेश के Meerut में ‘संकेतिक विरोध’ का ऐसा हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ कि पूरे अजराड़ा गांव की बत्ती ही उड़ गई! वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोगों से लाइट बंद करने की अपील क्या की, संविदाकर्मी रियाजुद्दीन ने तो पूरे गांव को ‘ब्लैकआउट’ कर दिया। विरोध तो प्रतीकात्मक था, लेकिन भाईसाहब ने तो ट्रांसफॉर्मर से ही पंगा ले लिया। फिर क्या, गांव वालों ने भी कर दिया सरकार से सीधा ‘कनेक्शन’, और ऊर्जा मंत्री ने रियाजुद्दीन की नौकरी को ‘फेज आउट’ कर दिया।
वक्फ कानून के खिलाफ कई मुस्लिम संगठनों ने एक मई की रात 15 मिनट के लिए लाइट बंद रखने का ऐलान किया था। यूपी के मेरठ में बिजलीघर कर्मचारी रियाजुद्दीन ने पूरे एरिया की ही बिजली काट दी। मामला मंत्री तक पहुंचा। रियाजुद्दीन को बर्खास्त कर दिया गया है। pic.twitter.com/bBAbUyBLsb
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) May 2, 2025
बिजली गई, लेकिन ‘भस्मासुर’ की तरह गया करियर
अब ज़रा सोचिए, जब लोगों से कहा गया कि आप अपने-अपने घरों की लाइट बुझा दीजिए तो इसका मतलब क्या था? “भाई, घर की बुझाइए… गांव की नहीं!” मगर Meerut के मुंडाली क्षेत्र में पोस्टेड रियाजुद्दीन जी ने इसे कुछ ज्यादा ही दिल पर ले लिया।
उन्होंने सीधे अजराड़ा गांव की मेन लाइन काट दी – जैसे कोई मेन स्टोरी में ट्विस्ट डाल दे! 15 मिनट की ब्लैकआउट क्या हुआ, गांव वाले समझ ही नहीं पाए कि ये बिजली गई है या लोकतंत्र।
ऊर्जा मंत्री से सीधा ‘कनेक्शन’, और करियर का फ्यूज उड़ गया
गांव वालों को जब पता चला कि ये कोई ट्रिपिंग नहीं थी बल्कि ‘संकेतिक कटौती’ थी, तो तुरंत ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर को फोन घुमा दिया गया। मंत्री जी ने भी देरी न करते हुए बिजली विभाग को इतना तेज़ झटका दिया कि जांच रिपोर्ट में सारा मामला खुलकर सामने आ गया।
एचके सिंह, मीडिया प्रभारी – जो अब शायद ‘संदेशवाहक सिंह’ कहलाएंगे – ने कहा कि जांच में आरोप सही पाए गए और संविदाकर्मी रियाजुद्दीन को हटा दिया गया।
कल्लू पंडित बोले – ‘लाइनमैन था या लाइटमैन?’
गांव के अनुभवी और ’24 घंटे ऑन’ रहने वाले कल्लू पंडित ने बयान दिया – “भाई, विरोध तो ठीक है लेकिन तू कौन होता है पूरे गांव का बिजली प्लान बनाने वाला?”
दरअसल, इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि संविदाकर्मी इतने ‘पावरफुल’ कब से हो गए कि पूरे गांव की बत्ती उड़ा दें? ये तो वही बात हो गई – मच्छर मारने चले थे, बिजलीघर उड़ा दिया।
रियाजुद्दीन ने सोच लिया था कि वह ‘अंधेरे में विरोध’ को नया आयाम देंगे, लेकिन सरकार ने उन्हें ‘स्थायी अंधकार’ में भेज दिया – बिना किसी रिलीफ के।
सवाल यह नहीं है कि उन्होंने क्यों किया, सवाल यह है कि कैसे सोच लिया कि कोई देखेगा नहीं?
Meerut बिजली विभाग का ये ‘शॉर्ट सर्किट’ सबक है उन लोगों के लिए, जो नौकरी के बोर्ड पर खुद को ‘पर्सनल लॉ’ का कर्मचारी समझ बैठते हैं।