लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। यूपी एसटीएफ ने माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की बरसी के ठीक एक दिन बार उसकी गैंग के शार्प शूटर अनुज कनौजिया को झारखंड के जमशेदपुर में एनकाउंटर के दौरान मार गिराया। शूटर पर यूपी पुलिस ने ढाई लाख का इनाम रखा हुआ था। मुठभेड़ के दौरान एसटीएफ के डीएसपी डीके शाही को भी गोली लगी है, जिन्हें टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में भर्ती कराया गया है। मारे गए अपराधी पर दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज थे। शातिर शूटर मुख्तार अंसारी के लिए काम करता था और डॉन के एक इशारे पर लोगों के सीने को गोली से छलनी कर देता था।
आखिर में शूटर अनुज कनौजिया मारा गया
उत्तर प्रदेश के कुख्यात शार्प शूटर अनुज कनौजिया कई सालों से फरार चल रहा था। अनुज कनौजिया मुख्तार अंसारी गैंग के लिए काम करता था। शनिवार को यूपी एसटीएफ को जानकारी मिली कि अनुज झारखंड के जमशेदपुर स्थित गोविंदपुर इलाके में छिपा हुआ है। यूपी एसटीएफ के डीएसपी डीके शाही के नेतृत्व में ऑपरेशन रात करीब 11 बजे शुरू हुआ। अनुज जनता मार्केट के पास एक घर पर छिपा हुआ था। एसटीएफ ने घर को चारों तरफ से घेर लिया। खुद को घिरा देख शूटर अनुज कन्नौजिया ने एसटीएफ के जवानों पर बम फेंका। एसटीएफ ने सरेंडर करने कहा, लेकिन उसने फायरिंग शुरू कर दी। दोनों तरफ से कई राउंड गोलियां चली। और आखिर में शूटर अनुज कनौजिया मारा गया।
एसटीएफ के डीएसपी डीके शाही को गोली लगी
इस एनकाउंटर में एसटीएफ के डीएसपी डीके शाही को भी गोली लगी। आनन-फानन में उन्हों टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में भर्ती कराया गया है। बताया जाता है कि तीन महीने से यूपी एसटीएफ शूटर अनुज की टोह लेते हुए जमशेदपुर में कैम्प किए हुए थी। इस बीच खबर लगी थी कि वह गोविंदपुर के जनता मार्केट स्थित भूमिहार सदन में छिपा हुआ है। एसटीएफ को खबर लगी कि रात में वह बाहर गया था। वह वापस लौटा ही था कि झारखंड एटीएस के साथ मौजूद यूपी एसटीएफ ने उसे पकड़ने के लिए घेराबंदी कर दी। इसी दौरान उसने पुलिस पर गोली चला दी। इसके बाद दोनों तरफ से करीब 25 राउंड ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हुई। इसमें अनुज ढेर हो गया और डीएसपी को गोली लगी।
अनुज पर ढाई लाख का इनाम
मारा गया शार्प शूटर अनुज कनौजिया यूपी के मऊ जिले के चिरैयाकोट थाना क्षेत्र के बहलोलपुर गांव का निवासी था। दो दिन पहले ही यूपी डीजीपी की तरफ से अनुज पर ढाई लाख का इनाम घोषित किया गया था। इससे पहले अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी जोन की ओर से उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख का इनाम घोषित था। पांच साल से फरार चल रहे अनुज की तलाश में मऊ समेत अन्य जिलों की कई पुलिस टीमें लगी हुई थीं। अनुज पर यूपी के तीन जिलों मऊ, गाजीपुर और आजमगढ़ 23 मुकदमे दर्ज हैं। मऊ में 13, गाजीपुर जिले में 7 और आजमगढ़ में 2 मुकदमे दर्ज हैं। मऊ के दक्षिण टोला थाने में गैंगस्टर एक्ट में भी अनुज वांछित था। पुलिस के साथ ही यूपी एसटीएफ अनुज की तलाश में जुटी हुई थीं। अनुज करीब डेढ़ साल से झारखंड में अपना ठिकाना बनाए हुए था।
अनुज संभाल रहा था गैंग की कमान
बता दें, यूपी में योगी की सरकार आने के बाद से ही म बाहुबली मुख्तार अंसारी और उसके परिवार के साथ ही गैंग पर शिकंजा कसा जा रहा था। पिछले साल बांदा जेल में ही मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके गैंग के कई शूटर भूमिगत हो गए थे। इससे पहले कि यह लोग दोबारा ताकत बढ़ाते यूपी एसटीएफ की टीमें इनके पीछे लगी थीं। मुख्तार अंसारी के जेल में रहने के दौरान भी अनुज ही अन्य शूटरों की भर्ती और हथियारों की तस्करी का काम संभाल रहा था। ऐसे में लगातार पुलिस इसको पकड़ने की जुगत में लगी थी। अनुज की मौत के बाद मुख्तार अंसारी के गैंग की कमर पूरी तरह से टूट चुकी है। फिलहाल मुख्तार अंसारी का चचिया ससुर व खूंखार शूटर अब भी फरार चल रहा है। बताया जा रहा है कि योगी सरकार आने के बाद वह देश से भागकर पाकिस्तान चला गया है।
डीके शाही ने मंगेश यादव को किया था ढेर
एनकाउंटर में घायल यूपी एसटीएफ के डीएसपी डीके शाही ने ही सुल्तानपुर में इनामी बदमाश मंगेश यादव को एनकाउंटर में ढेर किया था। जिसके बाद उप पर सवाल भी उठे थे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि यूपी पुलिस जात देख कर एनकाउंटर कर रही थी। बदमाश का एनकाउंटर करने वाले डीके शाही को विपक्ष ने घेरा और गंभीर आरोप लगाए थे। जिस समय एनकाउंटर किया गया था, उस समय की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई थी, जिसमें डीके शाही चप्पल में दिखाई दे रहे थे। इतना ही नहीं एनकाउंटर के बाद डीएसपी शाही का लोगों ने जोरदार तरीके से स्वागत किया। जिसका विरोध भी समाजवादी पार्टी की तरफ से किया गया था। एनकाउंटर की मजिस्ट्रटी जांच के आदेश भी दिए गए थे।
कौन हैं डीएसपी डीके शाही
डीके शाही देवरिया के रहने वाले हैं। 1974 में जन्म हुआ है और इनका पूरा नाम धर्मेश कुमार शाही है। 2019 में डीके शाही डिप्टी एसपी पर प्रमोट हुए थे। इनकी पत्नी का नाम ऋतु शाही है। डीएसपी डीके शाही काफी पढ़े लिखे पुलिस अफसर हैं। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए तो किया ही है, साथ ही लखनऊ यूनिवर्सिटी से एलएलबी की भी पढ़ाई की है। यानी वो चाहते तो वकील भी बन सकते थे, लेकिन उन्होंने पुलिस की नौकरी ज्वाइन की और आज पूरा उत्तर प्रदेश उन्हें जानता है। डीके शाही की गिनती तेज-तर्राक पुलिस अफसरों में की जाती है। उन्हें यूपी का सुपरकॉप भी कहा जाता है। यूपी एसटीएफ के अधिकतर बड़े ऑपरेशन में वह शामिल रहते हैं। असद एंड कंपनी को दबोचने वाली एक टीम का नेतृत्च डीके शाही ही कर रहे थे।
50 अपराधियों का कर चुके हैं एनकाउंटर
डीके शाही उत्तर प्रदेश एसटीएफ के डीएसपी हैं। डीके मंगेश यादव के एनकाउंटर के समय टीम को लीड कर रहे थे। यूपी पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, डीके शाही का पूरा नाम धर्मेश कुमार शाही है। उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर में भी जाना जाता है। उन्होंने अब तक करीब 50 बदमाशों, आतंकियों और डकैतों का मुठभेड़ के दौरान एनकाउंटर किया है। पहली बार वह साल 2004 में तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने इनामी बदमाश देवेंद्र उर्फ सुल्तान को गिरफ्तार किया था। सुल्तान पर दो सिपाहियों की हत्या का आरोप था और उसपर 1 लाख का इनाम भी रखा गया था।
दो बार राष्ट्रपति के वीरता पुरस्कार
डीके शाही की बेहतरीन सेवा को देखते हुए उन्हें एक नहीं बल्कि दो बार राष्ट्रपति के वीरता पुरस्कार से नवाजा जा चुका है और इस वजह से उन्हें दो बार प्रमोशन भी मिल चुका है। साल 2001 में उन्होंने सब इंस्पेक्टर के पद पर यूपी पुलिस ज्वाइन किया था और 2010 में उन्हें प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बना दिया गया था। इसके बाद साल 2019 में उन्हें डिप्टी एसपी के रैंक पर प्रमोट किया गया था और तब से वह इसी पद पर तैनात हैं। शाही ने अपनी नौकरी की शुरुआत गोंडा जिले से की थी और उसके बाद से वह नोएडा, लखनऊ और उन्नाव जैसी प्रमुख जगहों पर काम कर चुके हैं।