Milkipur By Election: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा में उपचुनाव को लेकर अब सबकी निगाहें इस सीट पर टिकी हुई हैं। इस सीट के लिए नामांकन के आखिरी दिन, सपा के बागी नेता सूरज चौधरी ने आजाद समाज पार्टी से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इससे मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है क्योंकि सूरज चौधरी के खिलाफ अब सपा को अपनी ही पार्टी के एक नेता से चुनौती मिल रही है।
सूरज चौधरी का दावा और विवाद
सूरज चौधरी ने नामांकन के बाद कहा कि जनता एक बार हमें मौका दे। हम मिल्कीपुर की दबी कुचली जनता की आवाज बनेंगे। उनके हर दुख दर्द में साथ खड़े रहेंगे। चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने अवधेश प्रसाद को विधायक और फिर सांसद बनवाया, लेकिन जब टिकट देने की बारी आई, तो उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया। यह बयान काफी गंभीर था, और इससे मिल्कीपुर के सपा के उम्मीदवारों के लिए स्थिति मुश्किल हो सकती है।
दलित मतदाताओं पर असर
सूरज चौधरी की अनुसूचित जाति (एससी) के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है। माना जा रहा है कि उनके चुनाव लड़ने से सपा को नुकसान हो सकता है। खासकर एससी समुदाय के वोटरों के बीच उनका समर्थन काफी मजबूत है। इसके चलते यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि सूरज चौधरी सपा के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आजाद समाज पार्टी का प्रभाव
आजाद समाज पार्टी ने मिल्कीपुर सीट से सूरज चौधरी को उम्मीदवार बना कर मुकाबले को और रोचक बना दिया है। सपा ने जहां फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है, वहीं भाजपा (BJP) ने चंद्रभान पासवान को टिकट दिया है। दिलचस्प यह है कि तीनों उम्मीदवार पासी (दलित) समुदाय से आते हैं। यह समुदाय इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभा सकता है, क्योंकि दलित मतदाता यहां लगभग 50 प्रतिशत हैं।
भाजपा और सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई
यह उपचुनाव सिर्फ एक सीट का सवाल नहीं, बल्कि भा.ज.पा. और सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल के महीनों में अयोध्या का दौरा कई बार किया है और वहां के माहौल को देख कर यह स्पष्ट किया कि वह इस उपचुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। दूसरी ओर, सपा के वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद का कहना है कि सपा यह सीट जीतने में सफल रहेगी और भाजपा को फिर हार का सामना करना पड़ेगा।दलित वोटर इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा और सपा दोनों इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई मानते हुए पूरी ताकत से मैदान में हैं।