Pallavi Patel UP Assembly statement: उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी की विधायक पल्लवी पटेल ने एक बार फिर विवादित बयान देकर माहौल गर्मा दिया। उन्होंने कहा कि भारत आज भी “गौमूत्र” जैसे मुद्दों पर उलझा हुआ है, जबकि दुनिया के कई देश शिक्षा और विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। इस टिप्पणी के बाद सदन में हलचल मच गई और सोशल मीडिया पर भी बहस शुरू हो गई। कई लोगों ने उनके बयान को हिंदू विरोधी करार दिया, वहीं कुछ लोग इसे सामाजिक और वैज्ञानिक सोच पर ध्यान दिलाने की कोशिश मान रहे हैं।
पल्लवी पटेल ने क्या कहा?
पल्लवी पटेल ने विधानसभा में चर्चा के दौरान कहा, “जापान ने गौतम बुद्ध के विचारों से प्रेरणा लेकर विकास की राह पकड़ी। यह वही भारत है, जहां की मिट्टी के कण-कण में गौतम बुद्ध बसते हैं। लेकिन अफसोस है कि आज हम गाय और गौमूत्र के नाम पर विकास की बात कर रहे हैं।” उन्होंने “विकसित भारत, विकसित यूपी विजन डॉक्यूमेंट 2047” पर चल रही 24 घंटे की चर्चा में कहा कि कोई भी देश तभी विकसित कहलाएगा जब संविधान में निहित सामाजिक न्याय की अवधारणा को जमीन पर उतारा जाएगा।
सामाजिक न्याय और अधिकारों की बात
सपा विधायक ने कहा कि सिर्फ जातिवार जनगणना की घोषणा कर देना ही काफी नहीं है। जब तक दलित, पिछड़े और वंचित वर्ग के लोगों के अधिकार और हिस्सेदारी सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक वास्तविक सामाजिक न्याय संभव नहीं है।
संसाधनों पर समान अधिकार की मांग
अपना दल (कमेरावादी) से विधायक पल्लवी पटेल ने जोर देते हुए कहा कि देश में हर नागरिक को संसाधनों पर समान अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य, दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद अभी तक कोई ठोस विकास योजना सामने नहीं आई है। पटेल का कहना था कि देश तभी सही मायनों में विकसित होगा, जब सभी वर्गों को उनकी जरूरतों और मान्यताओं के अनुसार समान अवसर मिलेंगे। उन्होंने वंचित समाज के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास पर विशेष बल दिया।
विपक्षी सुर और सियासी बहस
पल्लवी पटेल के बयान ने विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों के बीच तीखी बहस छेड़ दी। जहां एक तरफ भाजपा के नेताओं ने इसे धार्मिक आस्था पर हमला बताया, वहीं उनके समर्थकों का कहना है कि पटेल ने केवल देश के विकास और शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक स्थिति पर सवाल उठाया है।
पल्लवी पटेल का यह बयान एक ओर विकास और सामाजिक न्याय पर सोचने को मजबूर करता है, तो वहीं दूसरी ओर इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर भी देखा जा रहा है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में उनकी टिप्पणी का क्या राजनीतिक असर पड़ता है।