Sambhal dispute: कैसे शाही जामा मस्जिद से जुड़ा पृथ्वीराज चौहान का नाम… हरिहर मंदिर का दावा या ऐतिहासिक गलतफहमी?

संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद गहराया है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह हरिहर मंदिर था। ASI की 150 साल पुरानी रिपोर्ट और शिलालेख इसे समर्थन देते हैं, जबकि मुस्लिम पक्ष ने दावे खारिज किए हैं।

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Sambhal Shahi Jama Masjid-Harihar Temple dispute: संभल की शाही जामा मस्जिद, जिसे बाबरी मस्जिद भी कहा जाता है, पर हिंदू पक्ष ने इसे हरिहर मंदिर होने का दावा किया है। यह मामला कोर्ट में है, और हाल ही में कोर्ट ने मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिद में पुराने हिंदू मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। रिपोर्ट में उल्लेख है कि मस्जिद के खंभे और गुंबद हिंदू स्थापत्य शैली को दर्शाते हैं। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है। कोर्ट कमिश्नर द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण का परिणाम आने पर ही इस विवाद की असलियत सामने आएगी।

ASI की ऐतिहासिक रिपोर्ट… मंदिर का दावा

1875-76 में ASI के अधिकारी एसीएल कारले द्वारा किए गए सर्वेक्षण में Shahi Jama Masjid को लेकर चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए। रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद के अंदर और बाहर इस्तेमाल किए गए खंभे एक प्राचीन हिंदू मंदिर के हैं, जिन पर प्लास्टर लगाकर उन्हें छुपाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, एक खंभे पर प्लास्टर उखड़ने से नीचे लाल पत्थर के हिंदू मंदिर के खंभे का पता चला।

रिपोर्ट में मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान द्वारा कराए जाने का भी उल्लेख है। इसके अलावा, मस्जिद में मौजूद शिलालेख में लिखा गया है कि इसे 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग द्वारा एक हिंदू मंदिर को तोड़कर मस्जिद में परिवर्तित किया गया। हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में बाबरनामा का हवाला देते हुए इस बात का समर्थन किया है।

इतिहासकार और मुस्लिम पक्ष 

भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ. ओमजी उपाध्याय ने इस दावे को इतिहास में प्रचलित घटनाओं से जोड़ते हुए समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि बाबरनामा में इस बात का उल्लेख है कि मीर हिंदू बेग ने बाबर के आदेश पर संभल के मंदिर को मस्जिद में बदला। उपाध्याय का कहना है कि भारत में ऐसे 1800 से अधिक मस्जिदों का इतिहास दर्ज है जो पहले मंदिर हुआ करते थे।

दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने इन दावों को नकारते हुए कहा है कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई। Shahi Jama Masjid के अध्यक्ष मोहम्मद जफर ने कहा कि यह विवाद केवल धार्मिक भावना को भड़काने के लिए पैदा किया गया है। उन्होंने कोर्ट के सर्वेक्षण आदेश को आश्चर्यजनक और असामान्य बताया।

कोर्ट कमिश्नर का सर्वेक्षण

कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को मस्जिद में सर्वे का पहला चरण पूरा हुआ। सर्वे टीम अब मस्जिद के भीतर और बाहर की संरचना की जांच कर रही है। रिपोर्ट कोर्ट में पेश होने के बाद ही इस विवाद पर कोई ठोस निष्कर्ष निकाला जा सकेगा।

इस मामले को लेकर दोनों पक्ष अपने-अपने दावों पर अड़े हुए हैं। जहां हिंदू पक्ष इसे अपने धार्मिक और ऐतिहासिक अधिकार का मामला बता रहा है, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे एक साजिश करार दे रहा है। कोर्ट का फैसला इस विवाद की दिशा तय करेगा।

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