Sarus Crane Circuit से बढ़ेगा संरक्षण और पर्यटन,कौन से जिलों को जोड़ेगा सर्किट, क्या इससे स्थानीय रोजगार भरेगा ऊंची उड़ान

उत्तर प्रदेश सरकार सारस क्रेन संरक्षण और ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए “सारस क्रेन सर्किट” बना रही है। इससे मैनपुरी-इटावा के लोग रोजगार पाएंगे और पर्यटन को नई ऊंचाई मिलेगी।

Sarus Crane Circuit in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य पक्षी सारस क्रेन के संरक्षण और ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है। इसके तहत “सारस क्रेन सर्किट” विकसित किया जा रहा है। लगभग 45 किलोमीटर लंबे इस सर्किट से न सिर्फ पक्षियों को सुरक्षित माहौल मिलेगा बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

यह सर्किट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एग्जिट 92 के करहल-किशनी रोड से शुरू होकर इटावा के एग्जिट 117 तक जाएगा। पर्यटन विभाग की ईको टूरिज्म विंग ने लखनऊ में इस योजना पर प्रजेंटेशन दिया है और उम्मीद है कि इसे जल्द ही धरातल पर उतार दिया जाएगा।

सारस क्रेन महोत्सव और पर्यटन

सारस क्रेन अपनी आकर्षक बनावट और शांत स्वभाव के लिए जाना जाता है। वन विभाग के अनुसार, मैनपुरी का वातावरण और जलवायु इनके लिए सबसे उपयुक्त है। फिलहाल मैनपुरी जिले में 2992 सारस क्रेन मौजूद हैं।

योजना के तहत हर साल नवंबर से मार्च तक “सारस क्रेन फेस्टिवल” आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही सारस दिवस घोषित करने का भी प्रस्ताव है। इस त्योहार से न सिर्फ पर्यटन बढ़ेगा बल्कि लोगों में इस पक्षी के संरक्षण को लेकर जागरूकता भी फैलेगी।

पर्यटकों के लिए स्मृति चिह्न की दुकानें, जहां बैज, पोस्टर, किताबें और फोटो उपलब्ध होंगी, विकसित की जाएंगी। वहीं स्थानीय व्यंजन परोसने वाले ढाबे और रेस्तरां भी बनाए जाएंगे ताकि पर्यटक यहां की संस्कृति का अनुभव कर सकें।

आर्द्रभूमि स्थल और संरक्षण प्रयास

प्रजेंटेशन में आठ प्रमुख आर्द्रभूमि स्थलों को चिह्नित किया गया है, जिनमें समन पक्षी अभयारण्य (मैनपुरी) और सरसई नावर (इटावा) सबसे खास हैं। सरसई नावर तो दुनिया भर में सारस क्रेन के सबसे बड़े जमावड़े के लिए प्रसिद्ध है।

योजना के अनुसार, हर स्थल पर पर्यावरण विकास समितियां बनाई जाएंगी। मनरेगा और पर्यटन विभाग की मदद से सफाई, पानी की व्यवस्था, वॉच टावर और शौचालय जैसी सुविधाएं तैयार की जाएंगी।

स्थानीय लोगों के लिए अवसर

गांवों में होमस्टे योजना लागू की जाएगी, जिसमें लोग अपने घरों में पर्यटकों को ठहराकर होटल जैसी सुविधाएं देंगे और आमदनी कमा सकेंगे। स्थानीय युवाओं को प्रकृतिवादी गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे पर्यटकों को सही जानकारी दे सकें।

सारस क्रेन सर्किट केवल एक पर्यटन परियोजना नहीं है, बल्कि यह पक्षी संरक्षण, स्थानीय संस्कृति और लोगों की आजीविका को जोड़ने वाली योजना है। मैनपुरी और इटावा जिले मिलकर इस सर्किट को प्रदेश की नई पहचान बना सकते हैं।

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