स्कूलों के मर्जर के खिलाफ याचिका हाईकोर्ट में खारिज, योगी सरकार को मिली बड़ी राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के स्कूल मर्जर फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट के फैसले से योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है, जबकि विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार हमलावर था।

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UP primary school merger: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के स्कूलों के मर्जर फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इससे योगी सरकार को बड़ी कानूनी राहत मिली है। विपक्षी दल इस फैसले के खिलाफ सरकार पर लगातार हमले कर रहे थे, लेकिन कोर्ट के फैसले ने सरकार के पक्ष को मजबूत कर दिया है।

याचिका खारिज, सरकार के फैसले को कोर्ट की मंजूरी

UP में प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों के मर्जर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर याचिकाएं सोमवार को खारिज हो गईं। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। इससे पहले शुक्रवार को कोर्ट ने कृष्णा कुमारी और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था। इन याचिकाओं में राज्य सरकार के 16 जून 2023 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। विपक्षी पार्टियां इस मर्जर के खिलाफ लामबंद थीं और योगी सरकार पर लगातार सवाल उठा रही थीं।

क्या था मामला?

योगी सरकार ने UP के उन स्कूलों को आपस में जोड़ने का निर्णय लिया था, जिनमें 50 से कम छात्र पढ़ते हैं। इस फैसले को दो याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा और गौरव मेहरोत्रा का तर्क था कि यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 21ए का उल्लंघन करता है, जो 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस मर्जर से बच्चों के लिए नजदीकी स्कूलों तक पहुंच मुश्किल हो जाएगी, जिससे शिक्षा के अधिकार का हनन होगा। उनका कहना था कि सरकार को स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, न कि स्कूलों को कम करने का विकल्प चुनना चाहिए।

सरकार का पक्ष

UP सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया, मुख्य स्थायी वकील शैलेंद्र सिंह और बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप दीक्षित ने कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सरकार का यह निर्णय नियमों के तहत और जनहित में लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कई स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी कम थी, इसलिए इन स्कूलों को बंद नहीं किया गया, बल्कि पास के स्कूलों में जोड़ा गया है। उन्होंने जोर दिया कि कोई भी प्राथमिक स्कूल बंद नहीं किया जा रहा है।

नतीजा

कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सरकार के फैसले को सही ठहराया और कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की कानूनी खामी नहीं है। इसके साथ ही याचिकाएं खारिज कर दी गईं। इस फैसले से योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है, जो स्कूलों के पुनर्गठन की दिशा में आगे बढ़ रही है।

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