लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए दो वर्ष का समय शेष है पर सूबे में अभी से जीत-हार को लेकर मंथन और बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के ’बाबर’ और ’डीएनम’ वाले बयान के बाद अब अखिलेश यादव के एक और करीबी विधायक ने बड़ा विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, ’अगर भारत के मंदिरों में ताकत होती, तो मोहम्मद गजनबी और मोहम्मद गोरी भारत को लूटने नहीं आते। मंदिरों में ताकत नहीं थी, असली ताकत सत्ता में है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘बाबा (योगी आदित्यनाथ) अपना मंदिर छोड़कर सत्ता के मंदिर में विराजमान हैं और हेलीकॉप्टर पर घूमते हैं’।
श्राप दे देते भगवान ताकि मुसलमान भस्म हो जाते
मंझनपुर से सपा विधायक इंद्रजीत सरोज ने मंदिरों की शक्ति पर सवाल उठाए हैं। साथ ही रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास पर भी टिप्पणी की। इंद्रजीत सरोज ने कहा कि इतिहास में हम देखते हैं कि लुटेरे आए थे और लूट ले गए। उस समय श्राप दे देते भगवान ताकि मुसलमान भस्म हो जाते। क्या कर रहे थे देवी देवता उस समय?। यानी कुछ न कुछ तो कमी है हमारे देवी देवताओं में। ताकतवर नहीं थे देवी देवता। इंद्रजीत सरोज ने कहा था कि अगर भारत के मंदिरों में ताकत होती तो मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी जैसे लुटेरे देश में नहीं आते। अगर ताकत है तो सत्ता के मंदिर में है, बाबा अपना मंदिर छोड़कर के सत्ता के मंदिर में विराजमान हैं।
तुलसीदास को लेकर भी विवादित टिप्पणी की
रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास को लेकर भी इंद्रजीत सरोज ने विवादित टिप्पणी की और कहा कि तुलसीदास ने लिखा कि अगर कोई नीच जाति का व्यक्ति पढ़-लिख जाए तो वो सांप के दूध पीने जैसा होता है। विधायक सरोज यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने हमारे लिए बहुत कुछ लिखा है, लेकिन अकबर के समय रहते हुए उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ कुछ नहीं लिखा। शायद उनकी हिम्मत नहीं पड़ी। उन्होंने आगे कहा कि ब्राह्मणों के लिए लिखा है कि उनकी पूजा होनी चाहिए चाहे वह गुणहीन ही क्यों न हो, लेकिन शूद्र की पूजा नहीं होनी चाहिए चाहे जितना गुणी और प्रवीण क्यों न हो।
तो उनकी आंखें फोड़ दी जाती थीं
सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए सरोज ने कहा कि हमें नकली हिंदू बनाकर हमारे वोट का सौदा किया जाता है और फिर राजपाठ लेकर हेलीकॉप्टर से चलते हैं। उन्होंने प्राचीन भारत में शूद्रों के साथ होने वाले कथित भेदभाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि रामायण, रामचरित मानस, महाभारत और गीता की रचना के समय शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नहीं था। अगर वे पढ़ने की कोशिश करते, तो उनकी आंखें फोड़ दी जाती थीं। सुनने की कोशिश करते तो कान में पिघला हुआ शीशा डाल दिया जाता था। यदि वे जीभ से उच्चारण करते तो उनकी जीभ काट दी जाती थी। उन्हें सार्वजनिक रास्तों पर चलने की अनुमति नहीं थी। उन्हें कमर में झाड़ू और पैर में पुराने कपड़े बांधकर चलना पड़ता था।
जय भीम का नारा लगाइए तो आगे बढेंगे
इंद्रजीत सरोज ने उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में समाजवादी पार्टी के कार्यालय में आंबेडकर जयंती कार्यक्रम के दौरान कहा था कि राम का नारा लगाने से कुछ जय भीम का नारा लगाइए तो आगे बढेंगे। विधायक इंद्रजीत सरोज ने खुद को जय भीम का सच्चा अनुयायी बताते हुए कहा था कि इस नारे की बदौलत वे पांच बार विधायक और एक बार मंत्री बने हैं। सपा विधायक ने कहा कि बीजेपी दलित समाज के लिए कभी कुछ नहीं किया। हमें आपस में बांटा जा रहा है पर अब बंटने वाले नहीं। हम अंबेडकर जी के अनुयायी हैं।