Supreme Court : एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि जैसे ही वो (दुबे) छू गया,हम ऐसा कठोर आदेश देंगे कि सारी ज़िंदगी याद रहेगा,हर बार आप उसके खिलाफ़ एक नई FIR लेकर आते हैं!!
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक मामले से निपटने के तरीके पर कड़ी असहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने आज टिप्पणी की कि यूपी में पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है और उसे संवेदनशील बनाने की जरूरत है जज ने आगे टिप्पणी की कि राज्य पुलिस खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रही है और चेतावनी दी कि अगर कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता को छुआ गया तो कठोर आदेश पारित किया जाएगा.
न्यायमूर्ति कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने मामले की सुनवाई की और पाया कि याचिकाकर्ता,जिसके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हैं,को डर है कि अगर वह जांच के लिए पेश हुआ तो उसके खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया जाएगा!!
ऐसे में,यह निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता जांच अधिकारी द्वारा उसके मोबाइल फोन पर दिए गए किसी भी नोटिस का पालन करे। हालांकि,अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उसे पुलिस हिरासत में नहीं लिया जाएगा!!
इससे पहले,अदालत ने एफआईआर आईपीसी की धारा 323,386,447,504 और 506 के तहत को रद्द करने के संबंध में याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था!!
हालांकि,याचिकाकर्ता अनुराग दुबे के खिलाफ दर्ज अन्य मामलों और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए,यूपी राज्य को नोटिस जारी किया गया कि अग्रिम जमानत क्यों न दी जाए. अदालत ने संबंधित एफआईआर में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी,बशर्ते वह जांच में शामिल हो और सहयोग करे.
आज वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी यूपी राज्य के लिए ने बताया कि न्यायालय के पिछले आदेश के बाद याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था. लेकिन वह जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुआ और इसके बजाय एक हलफनामा भेजा.
यह सुनते हुए न्यायमूर्ति कांत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता शायद इस डर में जी रहा है कि यूपी पुलिस उसके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज कर देगी. वो शायद इसलिए पेश नहीं हो रहा होगा क्योंकि उसे पता है कि आप कोई और झूठा केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लेंगे.
आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि जैसे ही वो दुबे छू गया,हम ऐसा कठोर आदेश देंगे कि सारी ज़िंदगी याद रहेगा। हर बार आप उसके खिलाफ़ एक नई एफआईआर लेकर आते हैं. अभियोजन पक्ष कितने मामलों को बरकरार रख सकता है ज़मीन हड़पने का आरोप लगाना बहुत आसान है.
जिसने रजिस्टर्ड सेल डीड से खरीदा हो,उसे आप ज़मीन हड़पने वाला कहते हैं यह सिविल विवाद है या क्रिमिनल विवाद. हम सिर्फ़ यह बता रहे हैं कि आपकी पुलिस किस ख़तरनाक क्षेत्र में घुस गई है और उसका मज़ा ले रही है.
सत्ता से कौन चूकना चाहेगा अब आप पुलिस की सत्ता संभाल रहे हैं,अब आप सिविल कोर्ट की सत्ता संभाल रहे हैं और इसलिए आप मौज-मस्ती कर रहे हैं जब मुखर्जी ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता को छुआ गया तो उनका ब्रीफ यूपी राज्य को वापस भेज दिया जाएगा,तो न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि वे,न्यायालय के अधिकारी के रूप में,कई वर्षों से जाने जाते हैं!!
हालांकि,मुद्दा यह है कि पुलिस को किस तरह संवेदनशील बनाया जाना चाहिए! पीठ ने दुबे के वकील श्री अभिषेक चौधरी से भी पूछा कि वे क्यों पेश नहीं हो रहे हैं! वकील ने जवाब दिया कि उनके पास इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है,हालांकि,दुबे ने पुलिस अधिकारियों को अपना मोबाइल नंबर दिया है,ताकि वे उन्हें सूचित कर सकें कि उन्हें कब और कहां पेश होना है!!
इस बिंदु पर,न्यायमूर्ति भुयान ने मुखर्जी से संचार के उस तरीके के बारे में पूछा जिसके द्वारा दुबे को पेश होने के लिए कहा गया था. जब उन्हें बताया गया कि एक पत्र भेजा गया था,तो पीठ ने टिप्पणी की कि आजकल सब कुछ डिजिटल हो गया है और सुझाव दिया कि दुबे के मोबाइल पर एक संदेश भेजा जाए जो हर समय चालू रहेगा. जिसमें यह विवरण दिया जाए कि उन्हें कहां पेश होना है यह चेतावनी देते हुए कि पुलिस अधिकारी स्वयं दुबे को गिरफ्तार नहीं करेंगे.
न्यायमूर्ति कांत ने कहा उसे जांच में शामिल होने दें लेकिन उसे गिरफ्तार न करें और अगर आप सच में सोचते हैं कि किसी खास मामले में गिरफ़्तारी ज़रूरी है तो आइए और हमें बताइए कि ये कारण हैं. लेकिन अगर पुलिस अधिकारी ऐसा कर रहे हैं,तो आप हमसे यह ले लीजिए,हम न सिर्फ़ उन्हें निलंबित करेंगे,बल्कि उन्हें कुछ और भी खोना पड़ेगा.