कानपुर में जाम बना काल, महिला की हार्ट अटैक से हुई मौत, 20 मिनट तक फंसी रही कार

कानपुर में ट्रैफिक जाम ने फिर एक जान ले ली। एक महिला समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाई और रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। परिजनों ने इस दुखद घटना के लिए मेट्रो निर्माण को जिम्मेदार ठहराया, जबकि प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। महिला की असमय मौत से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।

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Kanpur News : कानपुर में ट्रैफिक जाम अब सिर्फ परेशानी नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बनता जा रहा है। शहर की अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था ने एक और जान ले ली। दबौली निवासी बरखा गुप्ता को अचानक दिल का दौरा पड़ा, लेकिन भीषण जाम के चलते उन्हें समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका, और रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

पत्नी को हृदय रोग संस्थान लेकर निकले थे सोनू

बरखा गुप्ता को जैसे ही हार्ट अटैक आया, उनके पति सोनू गुप्ता तुरंत उन्हें लेकर हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) की ओर रवाना हुए। लेकिन सीटीआई चौराहे से फजलगंज फायर ब्रिगेड तक का रास्ता मेट्रो निर्माण कार्य और सड़क पर खड़े भारी वाहनों के कारण पूरी तरह जाम था। कार करीब 20 मिनट तक रेंगती रही। इस दौरान बरखा तड़पती रहीं और सोनू लोगों से रास्ता देने की मिन्नतें करते रहे, लेकिन जाम खुलने का नाम नहीं ले रहा था।

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आखिरकार सोनू ने वैकल्पिक रास्ता चुना और किसी तरह बरखा को मरियमपुर, कोकाकोला क्रॉसिंग होते हुए अस्पताल ले गए। लेकिन तब तक करीब 45 मिनट बीत चुके थे। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजनों का दर्द साफ था — “अगर जाम न होता, तो बरखा आज जिंदा होती।”

कौन है जिम्मेवार ?

यह कोई पहली घटना नहीं है। साल 2021 में भी वंदना मिश्रा नाम की महिला की मौत ट्रैफिक जाम के कारण अस्पताल न पहुंच पाने से हुई थी। अब बरखा गुप्ता की मौत ने फिर से शहर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।बरखा के परिजनों ने साफ तौर पर मेट्रो निर्माण को इस जाम का मुख्य कारण बताया है, जबकि मेट्रो प्रशासन ने इससे इनकार करते हुए कहा कि जाम त्योहारों की भीड़ की वजह से हो सकता है। वहीं, ट्रैफिक विभाग का कहना है कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है और वे जाम की असली वजह का पता लगाएंगे। शहर की सच्चाई यही है कि मेट्रो निर्माण, अवैध पार्किंग, सड़कों पर खड़े ट्रक और अव्यवस्थित ट्रैफिक मैनेजमेंट ने आम लोगों का जीना दूभर कर दिया है। सवाल यह है कि कब तक लोग इस लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकाते रहेंगे?

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