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UP: गोरखपुर के इस मंदर में पूरी होती हैं भक्तों की सभी मनोकामनाएं, जानिए

UP: गोरखपुर के इस मंदिर में पूरी होती हैं भक्तों की सभी मनोकामनाएं, जानिए सदियों पुराने बुढ़िया माई मंदिर का इतिहास

उत्तर प्रदेश: गोरखपुर के कुसम्ही जंगल में स्थित बुधिया माता मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का प्रतीक बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि लकड़ी की पुलिया के पास बैठी बुढ़िया माता ने वहां से जा रही बारात के लोगों से नाच दिखाने के लिए कहा था, इस दौरान बारात में शामिल एक जोकरों ने नाच दिखा दिया था, लेकिन किसी और ने उन्हें नाच नहीं दिखाया. जिसके बाद लकड़ी की पुलिया पर बड़ा चढ़ते ही पुलिया टूट गई और सारे बाराती पोखरे में डूब कर मर गए.

जिसके बाद से तमाम लोग बुढ़िया माता के मंदिर में दर्शन करने आते हैं, शारदीय नवरात्रि में इस मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. ऐसा माना जाता है कि यहां आप जो भी मांगते हैं वह पूरी हो जाती है. गोरखपुर शहर के पूर्व में स्थित कुसम्ही जंगल, बुढ़िया माता के मंदिर के लिए काफी प्रसिद्ध है. मंदिर के महंत रामकृष्ण त्रिपाठी का कहना है कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के साथ मुंडन और अन्य शुभ संस्कार करने आते हैं.

मंदिर में नेपाल से भी भक्तों का तांता लगता

नवरात्रि के इस खास अवसर पर आस्था के प्रतीक देवी मां के इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां आने वाले भक्त पूरी श्रद्धा के साथ कढ़ाई चढ़ाते हैं. हलवा-पूड़ी बनाकर माता के चरणों में अर्पित करते हैं. नवरात्रि में 9 दिनों तक व्रत रखने वाले भक्त मां के दरबार में माथा टेकने जरूर आते हैं. यूपी के गोरखपुर और आसपास के जिलों के अलावा नेपाल से भी यहां आने का सिलसिला साल भर जारी रहता है.

मंदिर आस्था का प्रतीक और बहुत प्रसिद्ध है

मंदिर के पुजारी रवींद्र चौहान का कहना है कि यह मंदिर आस्था का प्रतीक है और बहुत प्रसिद्ध है. सदियों पहले यह क्षेत्र जंगलों से आच्छादित होने के साथ-साथ विशाल बट वृक्षों से आच्छादित था. किंवदंती है कि सदियों पहले यहां पर एक बुढ़िया माता पुलिया के किनारे बैठी थीं. उसी दौरान लकड़ी की पुलिया से बारात में जाने लगी बुढ़िया ने बारातियों को नाचने को कहा था. जिसके बाद बारातियों ने नाच दिखाने से इनकार कर दिया था.

पुलिया पर चढ़ते ही पुलिया टूट गई

इसके बाद जैसे ही बारात में मौजूद सभी बारातियों ने लकड़ी की पुलिया चढ़ना शुरू किया, तभी पुलिया टूट गई और बारात पोखर में समा गई. सिर्फ बुढ़िया माता को नाच दिखाने वाला एक जोकर बच गया. यहां हर नवरात्रि में सदियों से बुढ़िया के मंदिर में श्रद्धालु आकर अपनी हाजरी लगात है. ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. बुढ़िया माता उन्हें आशीर्वाद देती है और उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं.

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