UP Panchayat elections: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं और इस बार भाजपा ने एक नई रणनीति अपनाई है। पार्टी अब मुस्लिम बहुल गांवों में अपने भरोसेमंद मुस्लिम कार्यकर्ताओं और नेताओं को पंचायत चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रही है। भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह मुस्लिम बहुल गांवों में ऐसे प्रत्याशियों को तलाशे जो पार्टी की विचारधारा से मेल खाते हों। पार्टी का मकसद सिर्फ चुनाव जीतना नहीं, बल्कि मुस्लिम बहुल इलाकों में जमीनी कार्यकर्ताओं की फौज तैयार करना भी है, ताकि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी पार्टी की उपस्थिति मजबूत हो सके।
मुस्लिम बहुल गांवों में नए सिरे से संगठन विस्तार
UP भाजपा को अब तक मुस्लिम बहुल गांवों में अपनी जड़ें मजबूत करने में खास सफलता नहीं मिली है। इन गांवों में हिंदू प्रत्याशी का चुनाव जीतना मुश्किल होता है, खासकर तब जब वहां की मुस्लिम आबादी 70 प्रतिशत से अधिक हो। ऐसे में पार्टी अब मुस्लिम उम्मीदवारों को सामने लाकर संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली के मुताबिक, पार्टी की कोशिश है कि भरोसेमंद मुस्लिमों को पंचायत चुनावों में आगे लाया जाए ताकि गांव के स्तर पर भी पार्टी का आधार बढ़े।
7 हजार गांवों पर फोकस, 3 हजार पंचायतों में तैयारी
UP में करीब एक लाख गांव और 57 हजार ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से भाजपा के अनुमान के मुताबिक लगभग तीन हजार पंचायतें ऐसी हैं, जो मुस्लिम बहुल हैं। वहीं, सात हजार ऐसे गांव हैं, जहां मुस्लिम आबादी 70 प्रतिशत से ज्यादा है। इन गांवों में भाजपा के पास संगठनात्मक ढांचा कमजोर है और बूथ संभालने जैसे बुनियादी कार्यकर्ताओं की भी कमी है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए पार्टी अब स्थानीय मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं को तलाशकर पंचायत चुनाव में उन्हें मौका देना चाहती है।
पंचायत चुनाव से शुरू होगी दीर्घकालिक रणनीति
UP भाजपा की यह रणनीति केवल पंचायत चुनाव तक सीमित नहीं है। दरअसल, पंचायत वह सबसे निचली इकाई है जहां से राजनीतिक कार्यकर्ता तैयार होते हैं। पार्टी मानती है कि इन चुनावों से जो मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता उभरेंगे, वही भविष्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाएंगे। यह प्रयास केवल जीत-हार की गणना नहीं, बल्कि दीर्घकालिक सामाजिक और राजनीतिक विस्तार की योजना का हिस्सा है। भाजपा का मानना है कि मुस्लिम समुदाय में धीरे-धीरे वैचारिक सहमति बनाकर ही बड़ा राजनीतिक परिवर्तन संभव है।