Uttar Pradesh: आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में चढ़ाए जाने वाले लड्डू प्रसाद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल की पुष्टि होने के बाद यह मुद्दा और गंभीर हो गया है।
इसी बीच, जनसत्ता दल के प्रमुख और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कुंडा से विधायक राजा भैया ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में राजा भैया ने देश के हिन्दू मंदिरों के संबंध में एक बड़ी मांग उठाई है।
राजा भैया ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि तिरुपति बालाजी के प्रसाद में बीफ चर्बी और मछली के तेल का मिलाया जाना करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था के साथ एक गंभीर अपराध है, जो जानबूझकर किया गया है। उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र स्थायी समाधान यह है कि हिंदू मंदिरों की शुचिता बनाए रखने के लिए उन्हें तुरंत सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए।
श्री तिरूपति बालाजी के प्रसाद में बीफ़ चर्बी और मछली का तेल मिलाया जाना असंख्य हिन्दू श्रद्धालुओं की आस्था के साथ जधन्य अपराध है जो जानबूझकर किया गया है।
इसका एक ही स्थाई निदान है, हिन्दू मन्दिरों की शुचिता बनाये रखने के लिये उन्हें अविलंब सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना… pic.twitter.com/9Tt6zqbpr5— Raja Bhaiya (@Raghuraj_Bhadri) September 21, 2024
इससे पहले, एक कार्यक्रम में राजा भैया ने वक्फ बोर्ड पर भी बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि दुनिया के किसी भी देश, यहां तक कि मुस्लिम देशों में भी ऐसा बोर्ड नहीं है, तो भारत में क्यों है। वक्फ अदालतों द्वारा लिए जा रहे फैसलों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह कैसा कानून है, जहां वक्फ बोर्ड के मामलों में जिला कचहरी, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का कोई अधिकार नहीं है।
तिरुपति लड्डू विवाद पर राजा भैया की मांग
तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम को लेकर विवाद तेजी से बढ़ रहा है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस दावे ने धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में हड़कंप मचा दिया।
मुख्यमंत्री नायडू ने बुधवार को आरोप लगाया कि वाईएसआर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान मंदिर में लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।