Varanasi: गैंगरेप पीड़िता की बच्ची की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

वाराणसी, उत्तर प्रदेश - यूपी के वाराणसी में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता की 6 दिन की नवजात बच्ची की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया, जिसकी रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्ची की मौत श्वास नली में दूध चले जाने के कारण हुई थी। इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर चिकित्सा सुविधाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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Varanasi: यूपी के वाराणसी में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता की 6 दिन की नवजात बच्ची की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया, जिसकी रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्ची की मौत श्वास नली में दूध चले जाने के कारण हुई थी। इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर चिकित्सा सुविधाओं और कानूनी प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिसंबर में हुए गैंगरेप के बाद जून में किशोरी के गर्भवती होने का पता चला और 25 अगस्त को एंबुलेंस न मिलने के कारण उसे ऑटो में ही बच्ची को जन्म देना पड़ा। बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने शव को गौरा उपरवार घाट पर जल में प्रवाहित कर दिया। इस दुखद घटना ने समाज में आक्रोश और दुख की लहर फैला दी है।

नवजात की मौत पर उठे सवाल, क्या थी लापरवाही?

Varanasi में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता की 6 दिन की नवजात बच्ची की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 25 अगस्त को पीड़िता को एंबुलेंस न मिलने पर ऑटो में ही बच्ची को जन्म देना पड़ा, जिसके बाद उसे जिला अस्पताल के एमसीएच विंग ले जाया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि अगले ही दिन उसे छुट्टी दे दी गई, जबकि नवजात शिशु को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। पीड़िता अपनी बच्ची के साथ ननिहाल में रह रही थी। शनिवार देर रात बच्ची अचानक जोर-जोर से रोने लगी और भोर में शांत हो गई।

पुलिस ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची की मौत श्वास नली में दूध चले जाने के कारण हुई, जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत हुई। हालांकि, परिजनों का आरोप है कि बच्ची की मौत Varanasi पुलिस और चिकित्सा विभाग की लापरवाही का परिणाम है। इस घटना ने एक बार फिर से स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर किया है, जहां एक गंभीर रूप से पीड़ित को भी समय पर एंबुलेंस नहीं मिली।

गैंगरेप के आरोपियों पर कार्रवाई में देरी

यह मामला केवल बच्ची की मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि गैंगरेप के आरोपियों पर की गई कार्रवाई में देरी को भी दर्शाता है। दिसंबर में हुए गैंगरेप की एफआईआर जून में तब दर्ज की गई, जब किशोरी के गर्भवती होने की जानकारी मिली। शुरू में Varanasi पुलिस ने केवल दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि अन्य फरार थे। 25 अगस्त को पीड़िता के प्रसव के बाद ही पुलिस हरकत में आई और पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। अब सभी आरोपी – नानक पाल, करन चौहान, रोहित, अंकित, प्रमोद पाल और दो नाबालिग – पकड़े जा चुके हैं।

एक आरोपी की गिरफ्तारी के बाद उसके पिता की सदमे से मौत होने की भी खबर है, जिससे इस मामले में और भी जटिलता आ गई है। यह पूरी घटना हमारे समाज और सिस्टम की संवेदनशीलता पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है, जहां एक ओर पीड़िता को न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ा, वहीं दूसरी ओर एक नवजात शिशु को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी।

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