गाजियाबाद जिले में कुल 5 विधानसभा सीटें हैं। जिनसे से सबसे खास और अहम सीट है गाजियाबाद सदर । जहां से विधायक हैं बीजेपी के अतुल गर्ग । अतुल गर्ग योगी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री भी हैं। 2017 में अतुल गर्ग ने बसपा के सुरेश बंसल को करीब 70 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया था। गाजियाबाद में 10 फरवरी (पहला चरण) को वोटिंग होगी और 10 मार्च को नतीजे आएंगे।
कैसा है मंत्री जी का रिपोर्ट कार्ड ?
न्यूज1इंडिया की टीम गाजियाबाद सदर विधानसभा पहुंची और वहां के लोगों के नब्ज को टटोलने की कोशिश की । हमने जानने की कोशिश की है कि यहां की जनता अपने विधायक के काम से कितने खुश है। न्यूज1इंडिया की टीम गाजियाबाद के नवयुग मार्केट पहुंची और वहां लोगों से बातचीत की । यहां जब महिलाओं से बाद की गई तो उनका कहना था वो विधायक और बीजेपी के काम काज से खुश है। आज जब वो घर से बाहर निकलती हैं तो खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं। हालांकि, महिलाए मंहगाई से थोड़ी परेशान जरुर नजर आईं। वहीं, मार्केट के व्यापारी वर्ग से जब टीम ने बात की तो उनका कहना था कि विधायक ने बीते 5 सालों में गाजियाबाद के अंदर काफी काम किया है। मेट्रो से लेकर सफाई, पानी, बिजली सभी सुविधाएं मिल रही है। वहीं, कुछ लोगों का कहना था कि जितना काम 5 साल में होना चाहिए, उतना नहीं हो पाया। इसके अलावा इस सीट के कई ओर जगहों पर हमारी टीम गयी तो कुछ लोगों ने बहुत अच्छा काम होने का दावा किया तो कुछ लोगों ने कहा की ओर अच्छा हो सकता था । कुल मिलाकर इस क्षेत्र में अतुल गर्ग को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली ।
गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट का इतिहास
गाजियाबाद सीट पर साल 2017 में बीजेपी के प्रत्याशी अतुल गर्ग ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले साल 2012 में इस सीट से बहुजन समाज पार्टी के सुरेश बंसल को यहां की जनता ने विधायक के रुप में चुना। यहां पर मतदाता हर बार अपना विधायक बदलते हैं। पर देखना होगा कि क्या इस बार भी यहां की जनता विधायक को बदलती है या अतुल गर्ग अपनी जीत को दोहराते नजर आएंगे?
कौन कौन चुनावी मैदान में?
2022 के विधानसभा चुनावों के लिए सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने एक बार फिर से अतुल गर्ग पर भरोसा जताते हुए चुनावी मैदान उतारा है तो वहीं बसपा ने पूर्व विधायक सुरेश बंसल पर दांव खेला है। समाजवादी पार्टी ने अनारक्षित सीट होने के बावजूद दलित चेहरा विशाल वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है। विशाल वर्मा साल भर पहले ही सपा में शामिल हुए हैं। इससे पहले वो बसपा में शामिल थे। इसके अलावा कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा सदस्य प्रकाश गोयल के बेटे सुशांत गोयल को चुनावी मैदान में उतारा है।
अतुल गर्ग का सियासी सफर
अतुल गर्ग ने अपने पिता दिनेश चंद्र गर्ग की राजनीतिक विरासत को संभालते हुए 2012 में सबसे पहले विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। फिर 2017 में पहली बार बीजेपी से विधायक बने। और अब तीसरी बार बीजेपी की टिकट पर एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं।