नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के गवर्नर (राज्पयपाल) पर लगाए गए महिलाओं के साथ छेड़-छाड़ के आरोप बोले ‘मनगढ़ंत आरोपों से नहीं डरेंगे’ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए हैं इस मामले को लेकर पुलिस ने अपना शिकंज़ा कसती हुई नज़र आ रही है इसके लिए कोलकाता पुलिस ने एक स्पेशल जांच कमेटी का गठन किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी ने बताया है कि “पुलिस ने इस मामले पर मुकदमा दर्ज कर लिया है और इसकी जांच पड़ताल के लिए हमने एक जांच टीम का गठन भी किया है जो इस मामले में अगले कुछ दिनों में कुछ संभावित गवाहों से बात की जाएगी, इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हमने राजभवन से सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध होने पर उसे शेयर करने का अनुरोध किया है।“
क्या है मामला ?
दरअसल, एक महिला ने सीवी आनंद बोस पर आरोप लगाया है कि वो 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी। तब राज्यपाल के पास गई थी। उस समय राज्यपाल ने उसके साथ बदसलूकी की इसके बाद जब गुरुवार को भी फिर से यही हुआ तो वह राजभवन के बाहर तैनात पुलिस अधिकारी के पास शुकायत लेकर चली गई।
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शिकायत दर्ज कराने के बाद राज्यरपाल ने एक्स पर एक पोस्ट के ज़रिए उन पर लगाए गए सारे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि, “ये मुझे बदनाम करने की साज़िश है। मेरे ऊपर बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं। सत्य की जीत होगी, कोई मुझे बदनाम करके चुनावी फायदा चाहता है तो भगवान भला करे। मैं भ्रष्टाचार हिंसा के खिलाफ लड़ाई नहीं रोक सकता।“
राजभवन में पुलिस के प्रवेश पर लगी पाबंदी
आपका सवाल उन घटनाओं पर आधारित है जिनमें गवर्नर बोस ने राजभवन में पुलिस की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। वे इसका दावा कर रहे हैं कि यह तार्किक है क्योंकि वे चुनावी आकाओं को प्राथमिकता देते हैं और उन्हें इस संदर्भ में पुलिस अधिकारियों द्वारा अनधिकृत जांच की जा सकती है। इस संदर्भ में, गवर्नर के कार्यों को संविधान के आर्टिकल 361 के तहत विशेष संरक्षा प्राप्त होती है जिससे उनके खिलाफ किसी भी कानूनी कार्रवाई को रोका जाता है।