कनपुर ऑनलाइन डेस्क। एसआईटी की जांच में दोषी पाए गए सीओ ऋषिकांत शुक्ला को शासन ने सोमवार की देरशाम सस्पेंड कर दिया था। निलंबित सीओ पर अखिलेश दुबे का करीबी होने का आरोप है। साथ ही कानपुर में तैनाती के दौरान करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने का सनसनीखेज आरोप भी है। ऐसे में शासन ने माफिया अतीक अहमद के बेटे का मुठभेड़ के दौरान एनकाउंटर करने वाले आईपीएस रमित शर्मा को ऋषिकांत शुक्ला मामले की जांच का टॉस्क सौंपा। वह वर्तमान में एडीजी जोन बरेली हैं। फिलहाल ऋषिकांत शुक्ला के खिलाफ विजिलेंस और विभागीय जांच शुरू हो गई है। विभागीय जांच की अगुवाई रमित शर्मा के हाथों में दी गई है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, अधिवक्ता अखिलेश दुबे प्रकरण की जांच कर रही एसआईटी के हाथ कई अहम सबूत लगे हैं। एसआईटी की जांच में पुलिसवालों के नाम सामने आए हैं, जो अखिलेश दुबे की मदद करते थे। इन पुलिसवालों में से एक इंस्पेक्टर को सलाखों के पीछे भी भेजा जा चुका है। अब जांच में सीओ ऋषिकांत शुक्ला का नाम भी सामने आया है। एसआईटी ने ऋषिकांत के पास 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां होने के आरोपों की जांच की थी। इसमें से करीब 92 करोड़ रुपये की 12 संपत्तियों के बारे में एसआईटी को साक्ष्य मिल गए थे। इसी के बाद शासन ने मैनपुरी में तैनात सीओ ऋषिकांत शुक्ला को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया था। साथ ही विजलेंस जांच के आदेश दिए थे।
92 करोड़ की संपत्ति मिली
दरअसल, एसआईटी को तीन ऐसी संदिग्ध संपत्तियां भी मिलीं थीं, जिन्हें खरीदने में ऋषिकांत के पैनकार्ड का इस्तेमाल हुआ था। इन्हीं संपत्तियों की रिपोर्ट के आधार पर ही तत्कालीन सीपी अखिल कुमार ने 10 और 15 सितंबर को डीजीपी व सीएम को पत्र भेजे। इसके अनुसार ऋषिकांत कानपुर में वर्ष 1998 से 2006 तक तथा दोबारा दिसंबर 2006 से वर्ष 2009 तक नियुक्त रहे। अखिलेश दुबे से ऋषिकांत के करीबी संबंध हैं। एसआईटी की जांच व सत्यापन में ऋषिकांत शुक्ला, परिवारीजन, साथियों व साझेदारों के साथ 12 स्थानों पर करीब 92 करोड़ की संपत्ति मिली। तीन अन्य स्थानों पर भी संपत्ति मिली हैं। जो इनके पड़ोसी साथी देवेंद्र दुबे के नाम पर हैं। हालांकि यह भी ऋषिकांत की बेनामी संपत्ति है।
काली कमाई का चिट्ठा और पूरी कुंडली
ऋषिकांत शुक्ला की काली कमाई का चिट्ठा और पूरी कुंडली खोलने की जिम्मेदारी अब उस आईपीएस अफसर को दी गई है, जिन्होंने अतीक अहमद का किला ध्वस्त किया था। ऋषिकांत शुक्ला के मामले की जांच का जिम्मा आईपीएस रमित शर्मा को दिया गया है। रमित शर्मा वही पुलिस अफसर हैं, जिनके नेतृत्व में माफिया अतीक अहमद अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर हुआ था। रमित शर्मा उस समय प्रयागराज के कमिश्नर थे और अतीक अहमद के खिलाफ मोर्चा लेने वाले उमेश पाल की हत्या ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया था। उनके नेतृत्व में एसओजी और प्रयागराज पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में शामिल रहे अतीक अहमद के बेटे असद और तीन अन्य आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराया था।
रमित शर्मा 1999 बैच के आईपीएस अफसर
मूल तौर पर वेस्ट यूपी में हापुड़ के रहने वाले रमित शर्मा 1999 बैच के आईपीएस अफसर हैं। साल 2022 में प्रयागराज जैसी अहम और बड़ी कमिश्नरी के पुलिस कमिश्नर रह चुके आईपीएस शर्मा इस समय बरेली जोन के एडीजी हैं। इससे पहले 2017 में उन्होंने प्रयागराज के आईजी रेंज की जिम्मेदारी भी संभाली। हाल ही में रमित शर्मा जनवरी 2025 में उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने स्मार्ट पुलिसिंग को बढ़ावा देने की पहल करते हुए, खुद अपना एआई पीआरओ तैयार किया और उसे ’जारविस’ नाम दिया। इसी साल उन्हें राष्ट्रपति के विशिष्ट सेवा मेडल से भी नवाजा गया था।
अखिलेश दुबे के साथ सांठ-गांठ का भी पता चला
पूर्व डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला को कभी उत्तर प्रदेश पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता था। एसआईटी की जांच में पता चला कि शुक्ला ने पुलिस एनकाउंटर का डर दिखाकर लोगों की संपत्ति हड़पी और अपनी काली कमाई का साम्राज्य खड़ा कर दिया। शिकायतें मिलने के बाद उनके खिलाफ जांच कराई गई और आरोप सही मिलने पर सस्पेंड कर दिया गया। जांच में ऋषिकांत शु्क्ला की अखिलेश दुबे के साथ सांठ-गांठ का भी पता चला है। इसी सांठ-गांठ के जरिए करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति खड़ी की गई। शुक्ला के निशाने पर ज्यादातर बिल्डर, बिजनेसमैन और रईस लोग रहते थे।
