पंजाब से बड़ी खबर सामने आई है। राज्य में राज्यपाल के एक फैसले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरु हो गई है। दरअसल राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने का आदेश को वापस ले लिया है। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने 20 सितंबर को अनुमति दे दी थी। लेकिन अचनाक दो दिनों के भीतर ही राज्यपाल ने ये आदेश वापस ले लिया। जिससे मान सरकार को बड़ा झटका लगा है। यह विशेष सत्र एक दिन के लिए बुलाया जा रहा था। राज्यपाल के इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसे जनतंत्र को खत्म करना बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है। तो अब बीजेपी ने राज्यपाल आदेश वापस लिये जाने का दबाव बनाया।
“विशिष्ट नियमों की अनुपस्थिति”
मिली जानकारी के अनुसार पंजाब के राज्यपाल की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि ऐसा करने के लिए “विशिष्ट नियमों की अनुपस्थिति” के कारण पंजाब सरकार द्वारा विश्वास प्रस्ताव के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र का आदेश वापस ले लिया है। वहीं विपक्ष की ओर से राज्यपाल को लिखे पत्र के बाद राज्यपाल ने इस संबंधी कानूनी राय ली। सुझावों में बताया गया है कि सरकार को विश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार, पंजाब विधानसभा की नियमावली में नहीं है। इसलिए विधानसभा सत्र की मंजूरी को वापिस लिया जाता है।
अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की प्रक्रिया
आपको बता दें कि विधानसभा की प्रक्रिया नियम एवं संचालन नियमावली के नियम 58(1) के अनुसार ही सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। विधानसभा के रूल्स ऑफ बिजनेस के चैप्टर दस में केवल अविश्वास प्रस्ताव लाने का जिक्र है। जो विपक्ष के विधायक लाते हैं। जब इसका नोटिस दिया जाता, तो स्पीकर सरकार से बहुमत साबित करने के लिए दिन और समय निश्चित करता है। वहीं जब तक सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो जाता तब तक यह माना जाता है कि सरकार बहुमत में है।
ऑपरेशन लोटस को बहाना बनाकर ड्रामा रच रहे
इसी बीच विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर सिंह ने बताया कि सरकार के लिए विश्वास मत लाने के लिए विशेष सत्र बुलाना असंवैधानिक था, जिससे अब राज्यपाल खारिज कर दिया है। पंजाब विधानसभा के किसी भी विधायक ने सरकार के खिलाफ अविश्वास पत्र जारी नहीं किया है। ये खुद ही ऑपरेशन लोटस को बहाना बनाकर ड्रामा रच रहे हैं। आपको बता दें कि विधानसभा में बीजेपी के मात्र दो सदस्य हैं। अगर उन्हें सरकार बनानी है तो इसके लिए 56 विधायकों को खरीदना पड़ेगा।
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