नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश से समूचे नक्सलवाद को खत्म करने की तारीख मुकर्रर कर दी है। जिसके बाद नक्सलवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षाबल के जवान ऑपरेशन चलाए हुए हैं। बीतेदिनों छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने बड़े ऑपरेशन को अंजाम देकर 30 नक्सलियों को मार गिराया है। बीजापुर और कांकेर में नक्सलियों के खिलाफ ये कार्रवाई की गई थी। इसके अलावा मंगवार को भी पार नक्सली मुठभेड़ के दौरान मारे गए। कुल मिलाकर 365 दिन के अंदर 380 से अधिक नक्सली एनकाउंटर में ढेर किए जा चुके हैं। फिलहाल छत्त्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के जवान नक्सली कमांडर हिडमा के लिए एक बड़ा ऑपरेशन चलाए हुए हैं।
2026 तक देश से नक्सलवाद समाप्त
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ने 21 मार्च, 2025 को राज्यसभा में बड़ा ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को समाप्त कर दिया जाएगा। गृह मंत्री शाह ने राज्यसभा में बताया था कि, ‘संवाद, सुरक्षा और समन्वय के तीन सिद्धांतों को अपनाकर हमने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। हमने नवीनतम प्रौद्योगिकी के साथ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत की। लोकेशन ट्रैकिंग, मोबाइल फोन की गतिविधियां, सोशल मीडिया गतिविधियों की समीक्षा, इनकी कूरियर सर्विस का रेखांकन और उनके परिवारों की आवाजाही का रेखांकन। इन सभी को एकत्र कर हमने सुरक्षा बलों को सूचना से लैस किया। अमित शाह ने कहा कि एक साल के अंदर 377 से अधिक नक्सली मुठभेड़ में मारे गए। हजारों की संख्या में नक्सलियों ने सरेंडर किया।
125 गांवों की टेक्निकल मैपिंग
छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबल के जवान लगातार ऑपरेशन चलाए हुए हैं। कुछ दिन पहले 30 नक्सलियों को एनकाउंटर में ढेर किया। अब सुरक्षबलों की रडार पर नक्सली कमांडर हिडमा है। हिडमा की तलाश के लिए 125 से ज्यादा गांवों की टेक्निकल मैपिंग की जा रही है। सिक्योरिटी फोर्स छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित करीब 125 गांव का थर्मल इमेजिंग करवा रही है। ये इलाके नक्सलियों से प्रभावित हैं, जहां हिडमा के छिपे होने की आशंका है। इसके साथ ही इन इलाकों में नक्सलियों के बेस बने हुए हैं। सिक्योरिटी फोर्स इस इस काम में एनटीआरओ की मदद ले रही है। जिससे इन इलाकों की मैपिंग की जा सके।
ऑपरेशन कोऑर्डिनेट करने में मदद मिलेगी
एनटीआरओ से बसे बड़ा फायदा ये होगा कि जब भी सिक्योरिटी फोर्सेज इन इलाकों में ऑपरेशन के लिए निकलेंगे, तो उन्हें सारे रास्तों की जानकारी भी होगी। साथ ही नक्सलियों के खिलाफ बेहतर ऑपरेशन कोऑर्डिनेट करने में मदद मिलेगी। फिलहाल सुरक्षाबल के जवान 125 गांवों में सर्च ऑपरेशन चलाए हुए हैं। सुत्रों की मानें को नक्सली कमांडर हिडमा इन्हीं में से एक गांव में छिपा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि बीतेदिनों जो एनकाउंटर हुआ, उस वक्त हिडमा भी कैंप में मौजूद था। वह अंधेरे का फाएदा उठाकर भागने में कामयाब रहा। इसी के बाद से सुरक्षाबल के जवान हिडमा को ठिकाने लगाकर छत्तीसगढ़ को लाल आतंक से मुक्त कराने के मिशन में जुटे हैं।
कौन हैं नक्सली कमांडर हिडमा
खूंखार नक्सली हिड़मा नक्सलियों का कमांडर है और इस पर 40 लाख का इनाम घोषित है। हिड़मा का जन्म दक्षिण सुकमा के पुवार्ती गांव में हुआ था। जबकि हिड़मा का पूरा नाम माडवी हिड़मा है। माडवी हिड़मा साल 1996 में नक्सलियों से जुड़ा था। हिड़मा नक्सलियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बटालियन-1 का हेड है। इसके अलावा माओवादी स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य भी है। साथ ही सीपीआई की 21 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी का सदस्य है। हिड़मा साल 2004 से अब तक 27 से अधिक हमलों में शामिल रहा। हिड़मा ज्यादातर दक्षिण सुकमा क्षेत्र में रहता है और वो हमेशा चार स्तरीय सुरक्षा घेरा में चलता है। हिड़मा के पास 150 से अधिक कमांडर हैं।
कांग्रेस के काफिले पर हमला करवाया था
अप्रैल 2017 के बुर्कापाल हमलों का साजिश भी हिड़मा ने ही रची था। इस हमले में सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हो गए थे। इसके अलावा दंतेवाड़ा हमले का नेतृत्व भी हिड़मा ने ही किया था, जिसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। नक्सल कमांडर माडवी हिड़मा साल 2013 के झीरम घाटी नरसंहार से खूंखार हुआ। दरअसल, हिंड़मा ने कांग्रेस के काफिले पर हमला करवाया था। इस हमले में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा और पूर्व विधायक उदय मुदलियार सहित 27 लोग की जान चल गई थी। इसके बाद अप्रैल 2017 के बुर्कापाल हमले का भी मास्टरमाइंड हिड़मा ही था, जिसमें 24 लोग मारे गए थे।