वामपंथी गठबंधन की प्रमुख जीतें
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय JNU छात्र संघ चुनाव में इस बार वामपंथी गठबंधन ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव पदों पर कब्जा जमाया। AISA के उम्मीदवार नीतीश कुमार ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की, उन्हें 1702 वोट मिले, जबकि ABVP की शिखा को 1430 वोट मिले। DSF की मनीषा उपाध्यक्ष और मुन्तेहा फातिमा महासचिव चुनी गईं। इस बार लेफ्ट गठबंधन ने अपनी पकड़ बनाए रखते हुए छात्रों के बीच अपनी ताकत दिखाई। हालांकि, ABVP की बढ़ती ताकत भी दिखाई दी है, जो जेएनयू की छात्र राजनीति में बदलाव के संकेत दे रही है।
ABVP का ऐतिहासिक प्रदर्शन
इस चुनाव में ABVP ने महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। स्कूल ऑफ सोशल साइंस में 25 वर्षों बाद ABVP ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की, जो संगठन के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इसके अलावा, ABVP ने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। ABVP के वैभव मीना ने संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल की, जो लगभग एक दशक बाद हुआ है। संगठन के नेताओं का कहना है कि यह जीत छात्र राजनीति में ABVP की बढ़ती ताकत और प्रभाव को दर्शाती है।
नई उम्मीदें और चुनौतियाँ
नवनिर्वाचित अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जीत के बाद कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य छात्रों की भलाई के लिए काम करना होगा और कैंपस की बर्बादी को सुधारने के लिए कदम उठाए जाएंगे। ABVP ने भी अपनी जीत को ऐतिहासिक मानते हुए आगामी चुनावों में सभी 4 प्रमुख सीटों पर विजय प्राप्त करने का दावा किया। इस चुनाव ने जेएनयू के भीतर वामपंथ और ABVP के बीच एक नए समीकरण को जन्म दिया है, जो भविष्य में छात्र राजनीति को और भी दिलचस्प बना सकता है।
यह चुनाव परिणाम JNU में छात्र राजनीति के बदलते रुझान को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं, जिसमें ABVP ने अपने ऐतिहासिक प्रदर्शन से यह साबित किया है कि वह अब वामपंथ के गढ़ में भी अपनी पहचान बना सकती है।