हिंदू धर्म में होली का त्योहार का महत्व अत्याधिक है। यह 2 दिन का पर्व है जिसमें पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंग खेला जाता है। वहीं प्रतिवर्ष फाल्गुन मास में होली पड़ती है। हालांकि, इस वर्ष होलिका दहन की तारिख को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है किसी का कहना है कि होलिका दहन 6 मार्च के दिन होगा तो कोई कह रहा है कि 7 मार्च के दिन होलिका दहन शुभ माना जाता और कुछ ऐसे भी हैं जिनकी सहमति इन दोंनों ही तिथियों के साथ नहीं है और उनका मानना है कि होलिका दहन 8 मार्च के दिन किया जाएगा। चलिए आपको बताते हैं कि असल तिथि कौन सी है, किस दिन होगा होलिका दहन और कब खेली जाएगी होली।
होलिका दहन की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष पंचांग के अनुसार होली की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 6 मार्च को हो जाएगा। इसके अतिरिक्त 7 मार्च की शाम तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। वहींं, इस वर्, 6 मार्च शाम 4 बजकर 48 मिनट से भद्रा काल लग रहा है जो अगले दिन 7 मार्च सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वहीं पौराणिक मान्यतानुसार भद्रा काल के दौरान होलिका दहन नहीं किया जाता है, कहा जाता हैं कि भद्रा में होलिका दहन करना अशुभ होता है और इससे घर की सुख-शांति व समृद्धि नष्ट हो सकती है।
वहीं इस वर्ष भद्रा का साया हट जाने के पश्चात 7 मार्च की शाम ही होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो मार्च 7 मार्च शाम 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक होलिका दहन किया जा सकेगा। इस मुहूर्त में होलिका दहन करना बेहद शुभ होगा जिसका फल जातक को और उसके परिवार को भी मिलेगा।
होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका की पूजा से पहले भगवान नरसिंह और प्रहलाद का ध्यान करें। इसके बाद होलिका में फूल, अक्षत, चंदन, साबुत, हल्दी, गुलाल, पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि चढ़ा दें। इसके साथ ही भोग लगा दें। फिर कच्चा सूत लपेटते हुए होलिका के चारों और परिवार के साथ मिलकर परिक्रमा कर लें। इसके बाद होलिका में जल का अर्घ्य दें और सुख-समृद्धि की कामना करें। फिर सूर्यस्त के बाद प्रदोष काल में होलिका दहन करें। होलिका दहन के समय अग्नि में कंडे, उबटन, गेहूं की बाली, गन्ना, चावल आदि अर्पित करें। इसके साथ ही होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे में लगाने के साथ पूरे शरीर में लगाएं। ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से छुटकारा मिलेगा।