एक समय था जब एक्टर्स को उनके टैलेंट पर फिल्मे मिलती थी पर अब तो पुरे बॉलीवुड पर निपोटिस्म बाजी मार चूका है ,यानि बॉलीवुड में आने के लिए गॉड फादर का होना बेहद जरूरी है अब तो बॉलीवुड में जान पहचान होना बेहद जरूरी है करन जोहर का नाम तो आपने सुना ही होगा। ये डारेक्टर सिर्फ स्टार किड्स को चांस देते है इसलिए मेरा ये मानना है कि बॉलीवुड में जान पहचान होना बेहद जरूरी है। बॉलीवुड में बहुत से स्टार किड्स है। यानि जिन कलाकारों के परिवार वाले पहले से ही बॉलीवुड का हिस्सा है उन्हें फिल्मो में काम उनके टैलेंट से नहीं बल्कि नेपोटिस्म से मिला है ।
स्टार किड्स को एक के बाद एक चांस मिला
एक स्टार किड होना और एक मध्यवर्गीय परिवार से आकर अपनी पहचान बनाने वालों के स्ट्रगल में दिन -रात का अंतर होता है। पर टैलेंट तो अपना रास्ता कही न कही से बना ही लेता है। वो बात और है कि उसे दूसरों की तुलना में अधिक संघर्ष करना पड़ता है ,मेहनत करनी पड़ती है ।आज हम ऐसे ही कुछ कलाकारों की बात करेंगे जिन्हे नेपोटिस्म के जरिये लांच किया गया था और इसके आलावा उन कलाकारों की बात करेंगे। जिसने एक्टिंग के दम पर बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई।सबसे पहले तो स्टार किड्स की बात कर लेते है जिन्हे एक के बाद एक चांस मिला। जैसे तुषार कपूर,जान्हवी कपूर ,अर्जुन कपूर, आलिया भट ,रणबीर कपूर ,सोनम कपूर , करीना कपूर ,श्रद्धा कपूर ,वरुण धवन ,टाइगर श्रॉफ ,सारा अली खान ,अभिषेक बचन ,सोनाक्षी सिन्हा ,उदय चोपड़ा ये सब स्टार्स किड्स है और जिन्हे बार बार मौका मिला है। अगर इतने मोके आउटसाइडर एक्टर्स को मिलते तो वो इनसे काफी अच्छी एक्टिंग कर लेते ।
टाइटल नहीं टैलेंट चाहिए
इसके अलावा ऐसे भी कलाकार है जिन्होंने बहुत स्ट्रगल किया है और अपने टैलेंट के दम पर आज भी वो फिल्मे पा रहे है। जिसमे सबसे पहला नाम तो सुशांत सिंह राजपूत का है,और इसके अलावा आयुष्मान खुराना ,इरफ़ान खान ,अक्षय कुमार ,कंगना रौनावत ,राजकुमार राव ,कपिल शर्मा ,पंकज त्रिपाठी ,जॉन इब्राहिम ,अर्जुन राम पाल ,और शाहरुख खान ,भूमि , कटरीना कैफ ,विक्की कौशल ,रणवीर सिंह ,जैसे बहुत से एक्टर्स है जिन्होंने खुद के बलबूते पर बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई है। इसके आलावा ये कलाकार आज खुद के दम पर बॉलीवुड में डटे हुए है। तो दोस्तों आपको क्या लगता है बॉलीवुड अब पूरी तरह से निपोटिस्म का शिकार हो चूका है ?। यानि क्या बॉलीवुड में टैलेंट का होना जरूरी नहीं बल्कि टाइटल जरूरी है ?
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