कानपुर। गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा है। जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत पार्टी के दिग्गज नेता कांग्रेस को मजबूत बनाने को लेकर रणनीति बनाने के साथ मंथन कर रहे हैं। अधिवेशन में भाग लेने के लिए कानपुर से आलोक मिश्रा (Alok Mishra) भी पहुंचे। इस मौके पर आलोक मिश्रा ने संगठन की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक शहर अध्यक्ष हैं। जिनका एक बेटा सपा में तो दूसरा बेटा बीजेपी में हैं। जिस तरह से संगठन में लोगों को बैठाया गया है, उससे पार्टी कमजोर हो रही हैं।
हाईकमान खुद को ताली बजाने से नहीं रोक पाया
कांग्रेस नेता आलोक मिश्रा (Alok Mishra) ने कहा, उन्होंने एक कार्यकर्ता के तौ पर 1982 से कांग्रेस की सेवा की। पार्टी को कानपुर के अलावा आसपास के जनपदों में मजबूत किया। पर संगठन में जिन्हें नियुक्त किया गया है, उनका इतिहास भी जानना जरूरी है। एक अध्यक्ष हैं, जिनका बड़ा बेटा बीजेपी में तो छोटा बेटा समाजवादी पार्टी की सेवा कर रहा है। आलोक जब मंच पर गरज रहे थे, तब पार्टी हाईकमान खुद को ताली बजाने से नहीं रोक पाया।
पहले कांग्रेसी आपस में लड़ते
आलोक मिश्रा ने कहा कि मैं आज आपको कांग्रेस की दुहाई देता है और आपसे आह्वान करने आया है कि हम लोग बीजेपी से बाद में लड़ते हैं, पहले कांग्रेसी आपस में लड़ते हैं। एक बार तय कर लीजिए कि कोई भी फैसला, जो ऊपर से तय होकर आएगा, उसे हम सहर्ष स्वीकार करेंगे। तब तक आपस में नहीं लड़ेंगे, जब तक कांग्रेस पार्टी को सत्ता में नहीं ले आते हैं। पार्टी को सत्ता में लाकर ही दम लेंगे। आलोक मिश्रा ने कहा कि हमसब को एक होकर बीजेपी के खिलाफ सड़क पर उतरना है। जिताऊ उम्मीदवार को टिकट देना है।
और कांग्रेस के अंदर जो बीजेपी के लोग है
आलोक मिश्रा (Alok Mishra) ने कहा, राहुलजी और खड़गे जी, मैं आपसे कहने आया हूं कि आप बीजेपी को हटाना चाहते हैं और कांग्रेस के अंदर जो बीजेपी के लोग हैं, उन्हें हटाना चाहते हैं तो मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि अगर कोई शहर अध्यक्ष है, जिसका एक लड़का सपा में हो और एक लड़का बीजेपी में हो… क्या वो शहर अध्यक्ष होने लायक है?। खड़गेजी, मैं आपसे पूछता हूं कि एक व्यक्ति जिसका एक लड़का समाजवादी पार्टी में है और दूसरा लड़का भारतीय जनता पार्टी में है, क्या वो शहर अध्यक्ष होने लायक है।
कानपुर ही नहीं बल्कि यूपी में कांग्रेस मजबूत
आलोक मिश्रा (Alok Mishra) ने आगे कहा, अगर वो शहर अध्यक्ष होने लायक है तो हम भी आपको स्वीकार करते हैं। लेकिन एक बात और आपसे कहना चाहते हैं आपने मुझे मौका दिया। कानपुर में हमने 4 लाख 22 हजार वोट हासिल किए। ये मौका मुझे मिला, जो इतिहास में सन 1947 से किसी को नहीं मिला। आलोक मिश्रा ने कहा कि कानपुर ही नहीं बल्कि यूपी में कांग्रेस मजबूत है। पर कांग्रेसी बीजेपी के बजाए आपस में लड़ रहे हैं। इसी के कारण हम चुनाव हार रहे हैं। कानपुर में अगर कांग्रेसी लड़ते नही ंतो लोकसभा और विधानसभा में पार्टी को प्रचंड जीत मिलती।
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जिला अध्यक्ष खुद चुनाव का कैंडिडेट बन जाएगा
आलोक मिश्रा (Alok Mishra) ने आगे कहा कि मैं आपसे अनुरोध करने आया हूं कि शहर अध्यक्षों को जो आपने सत्ता दी है, हम उसे स्वीकार करते हैं. लेकिन उसके साथ-साथ ये भी फैसला कर लीजिए कि शहर या जिला अध्यक्ष जो भी होगा, वो चुनाव के लिए आवेदन नहीं करेगा। वो सिर्फ संगठन का काम करेगा। ये भी तय कर लीजिए। वरना हर शहर अध्यक्ष और हर जिला अध्यक्ष खुद चुनाव का कैंडिडेट बन जाएगा। चुनाव जीतेंगे तो फैसला कर लेंगे।
मैं सबकुछ छोड़ना चाहता हूं
आलोक मिश्रा ने कहा, जिन लोगों ने 1982 से मेरी तरह कांग्रेस नहीं छोड़ी है, मैं आपको यहां वचन देता हूं कि मैं अपना सर्वस्व न्यौछावर करना चाहता हूं, आपके लिए और कांग्रेस पार्टी की सत्ता के लिए। मैं सबकुछ छोड़ना चाहता हूं। किसी तरह कांग्रेस सत्ता में आ जाए। जब सत्ता में आ जाए तो आपस में फैसला कर लेंगे। आलोक मिश्रा के संबोधन के दौरान खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी को ताली बजाते देखा गया।
2024 के चुनाव में बीजेपी को दी थी कड़ी टक्कर
बताते चलें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को कानपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया था। वे इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार थे। सपा और कांग्रेस के सहयोग से मिश्रा को 422,087 वोट मिले और दूसरे नंबर पर आए। बीजेपी के रमेश अवस्थी को 443,055 वोट मिले थे और उन्होंने 20 हजार 968 वोटों से चुनाव जीता था। इससे पहले 2019 के चुनाव में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने चुनाव लड़ा था और 313,003 वोट हासिल किए थे। बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को 468,937 वोट मिले थे और जीत हासिल की थी।