कानपुर। बिठूर के एक होटल में यूपी एएसआईकॉन का आयोजन किया गया। जिसमें देश के नामी-गिरामी डॉक्टर्स ने शिरकत की। डॉक्टर्स ने कई बीमारियों को लेकर जानकारी दी। लोगों को जीने के तरीके बताए। इस मौके पर पुरुषों में नपुंसकता की बढ़ रही समस्या को लेकर भी डॉक्टर्स ने बड़ा खुलासा किया। डॉक्टर्स ने बताया कि 20 वर्षों में पुरुष नपुंसकता के रोगी 30 फीसदी बढ़े हैं। इनमें शुक्राणुओं की संख्या कम हो रही है। शुक्राणुओं की क्वालिटी भी गिरती जा रही है। डॉक्टर्स ने दावा किया कि सोशल मीडिया पर बताए जा रहे यौनवर्धक नुस्खों के सेवन से युवाओं में शुक्राणुओं का प्रतिशत घट रहा है और इसी के चलते नपुंसकता के केसों में बढ़ोतरी हो रही है।
एसोसिएशन सर्जंस ऑफ इंडिया की यूपी एएसआईकॉन-2025 में विशेषज्ञों ने बताया कि तनाव से नपुंसकता की समस्या बढ़ी है। सोशल मीडिया पर बताए जा रहे यौनवर्धक नुस्खों के सेवन से युवाओं में शुक्राणुओं का प्रतिशत घट रहा। डॉ. मो. असलम ने बताया कि मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस के नीचे पिटयूटरी ग्रंथि होती है। इसके हार्मोस के रिसाव का प्रभाव अंडकोष पर आता है और शुक्राणुओं का निर्माण होता है। अत्यधिक मानसिक तनाव के प्रभाव से पिटयूटरी ग्रंथि का रिसाव प्रभावित होता है। इससे शुक्राणुओं की क्वालिटी और संख्या प्रभावित होती है। इसी के चलते युवाओं में नपुंसकता की समस्या उत्पन्न हो रही है। डॉक्टर ने बताया कि युवाओं को यौनवर्धक नुस्कों से खुद को दूर रखना चाहिए। सोशल मीडिया के बजाए डॉक्टर्स से सलाह लेनी चाहिए।
डॉक्टर मोहम्मद असलम ने बताया कि अंडकोष के कार्य को टेस्टीस्टेरोन, एफएसएच, एलएच हार्मोन प्रभावित करते हैं। इनका संतुलन बिगड़ने से स्पर्म काउंट घट जाता है। ऐसे में अगर किसी दंपती के बच्चे नहीं हो रहे हैं, तो पति और पत्नी दोनों को जांच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि लो स्पर्म काउंट के मामले में विशेष तकनीक अपनाने पर 29 फीसदी केस में गर्भधारण हो जाता है। डॉक्टर ने बताया कि पिटयूटरी ग्रंथि में ट्यूमर, जेनेटिक डिस्ऑर्डर से भी स्पर्म काउंट प्रभावित होता है। अपने मन से मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खाने वालों, गांजा, धूम्रपान और दूसरे नशे लेने वालों का भी स्पर्म काउंट नीचे आ जाता है। नशा स्पर्म की क्वॉलिटी को घटा देता है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के नुस्खों का इस्तेमाल करने से बांझपन का शिकार लोग इलाज से ठीक हो जा रहे हैं।
डॉक्टर ने कहा कि अपनी दिनचर्या और डाइट में बदलाव करें। इससे फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं। जैसे, सिगरेट पीने की आदत छोड़ दें, शराब का सेवन कम करें, हेल्दी वेट मेंटेन करें, रोजाना एक्सरसाइज करें और तनाव से निपटने के तरीके ढूढ़ें। इन सबसे आपकी फर्टिलिटी पॉवर पर सकारात्मक असर पड़ता है। डॉक्टर ने बताया कि जब किसी कपल को गर्भधारण करने में दिक्कत आ रही हो तो उन्हें दोनों पार्टनर्स को मेडिकल चेकअप कराना चाहिए। इसमें सीमेन की जांच और शारीरिक जांच की जाती है और उसकी मदद से इंफर्टिलिटी की समस्या का इलाज आसानी से हो सकता है।
