Meerut MBBS seat scam: उत्तर प्रदेश के Meerut में भारतीय जनता पार्टी की नेत्री और पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल के एनसीआर मेडिकल कॉलेज और आवास पर मंगलवार को सीबीआई की छापेमारी हुई। मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सीटों के आवंटन में अनियमितताओं की शिकायत के बाद यह कार्रवाई की गई। सीबीआई टीम ने एक साथ कॉलेज और उनके आवास पर दस्तावेजों की गहन जांच की और परिवार के सदस्यों व स्टाफ से पूछताछ भी की। इससे पहले सोमवार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की टीम ने भी कॉलेज का निरीक्षण किया था। इस छापेमारी से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है, क्योंकि डॉ. सरोजिनी अग्रवाल भाजपा में शामिल होने से पहले समाजवादी पार्टी की प्रमुख नेता रह चुकी हैं।
#मेरठ में BJP नेता और पूर्व MLC डॉ सरोजिनी अग्रवाल के NCR मेडिकल कॉलेज में CBI ने छापेमारी की है.
CBI ने मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने वाले MCI पैनल के 3 डॉक्टर्स को लाखों रुपए की घूस लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था.इसके बाद देश के कई मेडिकल कॉलेजों और उनके मालिकानों पर CBI… pic.twitter.com/OwOvJCLFBm
— Raju Sharma journalist (@RajuSharmajour1) July 2, 2025
CBI की बड़ी कार्रवाई से मेरठ में हड़कंप
मंगलवार सुबह सीबीआई टीम मेरठ के खरखौदा स्थित एनसीआर मेडिकल कॉलेज और बेगमबाग स्थित डॉ. सरोजिनी अग्रवाल के निजी आवास पर पहुंची। टीम ने मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सीटों के आवंटन में गड़बड़ी की शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की। जांच एजेंसी ने कॉलेज और आवास पर घंटों दस्तावेज खंगाले और परिवार के सदस्यों से पूछताछ की। कॉलेज स्टाफ के अनुसार, सीबीआई ने उन्हें दूसरे कमरे में बैठा दिया और पूरी तलाशी के दौरान मीडिया से दूरी बनाए रखी।
राजनीतिक सफर और संपत्ति का जाल
डॉ. सरोजिनी अग्रवाल Meerut की जानी-मानी राजनेत्री हैं। 1995 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी से राजनीति की शुरुआत की थी। वे दो बार एमएलसी रहीं और मुलायम सिंह यादव व आजम खान की करीबी मानी जाती थीं। 2017 में भाजपा में शामिल होने के बाद 2018 में फिर एमएलसी बनीं। उनका परिवार शिक्षा क्षेत्र में भी सक्रिय है और Meerut व नोएडा में कई मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज, स्कूल और अन्य संपत्तियां संचालित करता है। एनसीआर मेडिकल कॉलेज पहले ‘मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज’ के नाम से चलता था, जिसे बाद में बदल दिया गया।
पहले भी विवादों में रहा है परिवार
यह पहला मौका नहीं है जब अग्रवाल परिवार विवादों में आया हो। 2016 में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था। आरोप था कि समाजवादी आवास योजना के तहत एक व्यक्ति से फ्लैट दिलाने के नाम पर लगभग 9.62 लाख रुपये वसूले गए, लेकिन कब्जा नहीं दिया गया। इस मामले में लिसाड़ी गेट थाने में एफआईआर भी दर्ज हुई थी। अब ताजा छापेमारी ने एक बार फिर इस परिवार को जांच के घेरे में ला दिया है।
सीबीआई टीम बिना जवाब दिए रवाना
छापेमारी के दौरान मीडिया ने परिवार से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। डॉ. सरोजिनी, उनकी बेटी डॉ. हिमानी और सहयोगी डॉ. राजेश ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। देर रात सीबीआई टीम बिना कोई जवाब दिए अपने साथ दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले गई। फिलहाल यह मामला मेरठ में राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है और सभी की निगाहें सीबीआई की आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं।