नई दिल्ली. सदन में विपक्षी सासंदों द्वारा केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. 8 अगस्त को लाए अविश्वास प्रस्ताव का आज दूसरा दिन है. दूसरे दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जमकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा. भाजपा की तरफ से कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी ने उनके सवालों का जवाब दिया. अब भोजनावकाश के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर बोला हैं. अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए अमित शाह ने राजनीति के तीन नासूर गिनवाए.
जनता ने दो तिहाई बहुमत से NDA को चुना
बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह ने अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि, ‘ लोकसभा में अब तक कुल 27 अविश्वास प्रस्ताव और 11 विश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं. लेकिन इस बार प्रधानमंत्री मोदी और मंत्रिमंडल के प्रति किसी को भी अविश्वास नहीं है, ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लाने का मकसद सिर्फ जनता में भ्रम फैलाना है. जब दो तिहाई बहुमत से दो बार NDA को चुना गया है, अल्प मत होने का कोई भी मतलब नहीं है. भारत की आजादी के बाद नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हुए हैं. इन्होने अपने 9 साल के शासनकाल में 50 से अधिक ऐसे फैसले सुनाए है, जो कि युगों तक याद किए जाएंगे.
परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुषिटकरण राजनीति के नासूर
अमित शाह ने अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए भारतीय राजनीति के तीन नासूर गिनवाए. उन्होंने बताया कि भारत की राजनीति को भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण ने घेर लिया है. प्रधानमंत्री ने इन नासूर को दूर किया. भ्रष्टाचार क्विट इंडिया, परिवाद क्विट इंडिया, तुष्टिकरण क्विट इंडिया.
अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा
बता दें कि अमित शाह ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का नारा दिया, लेकिन देश में गरीबी जस की तस बनी रही. प्रधानमंत्री मोदी ने इस समस्या को समझा ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने गरीबी देखी थी. पीएम मोदी ने बीते 9 वर्षों में 11 करोड़ से भी अधिक परिवारों को शौचालय दिया. पहले लोग क्लोराइड युक्त पानी का सेवन करते थे, लेकिन प्रधानंत्री मोदी ने हर जल योजना के तहत 12 करोड़ से भी अधिक लोगों के घर तक पानी पहुंचाया. जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी किसानों के कर्ज माफ करने का लॉलीपॉप देती थी, वहीं भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा है कि किसान को कर्ज लेने की जरूरत ही न पड़े.