लखनऊ ऑनलाइन क्राइम डेस्क। समाज में बहुत कुछ उलटफेर हो रहा। चंद पत्नियां प्रेमिकों के कारण अपने पतियों की हत्या करवा रही हैं तो बेटी की शादी से ठीक पहले दामाद के साथ सास भाग रही है। कुछ बेटे भी कलजुग में राक्षस बन रहे हैं। ऐसे ही एक नरभक्षी बेटे की कहानी से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं। जहां बेटे ने चंद पैसों के लिए अपनी मां की हत्या की। मां के शरीर से लीवर, किडनी, दिमाग और दिल को बाहर निकाला और तवे में गरम कर नमक-मिर्च के साथ खा गया।
हां ये हैवानियत की दर्दनाक कहानी महाराष्ट्र के कोल्हापुर की है। यहां 63 साल की यल्लामा रामा कुचकोरवी अपने बेटे सुनील कुचकोरवी के साथ रहती थीं। साल था 2017 और और तारीख 28 अगस्त। बेटा शराब का लती था। मां जो कमाती शराबी बेटा उसे नशे में खर्च कर देता। दिन रविवार था। मां घर पर थी। तभी शराब के नशे में धूत होकर बेटा घर पर दाखिल होता है और मां से पैसे मांगता है। हर मां की तरह वो बुजुर्ग महिला भी उसे शराब पीने से मना कर रही थी। ये बात बेटे को इतनी नागवार गुजरी कि उसने अपनी ही मां की बेरहमी से हत्या कर दी।
दरिंदें का मां की हत्या करने से भी मन नहीं भरा तो उसने धारदार हथियार से अपनी मां के टुकड़े-टुकड़े करने शुरू कर दिए। उसके शरीर के अंदरूनी अंग खींच कर बाहर निकालने लगा उसने पहले दिमाग निकाला, फिर चाकू से दिल निकाल लिया। इसके बाद एक-एक कर उसका लिवर, किडनी और आंत बाहर रख दिया। इसके बाद उसने जो किया, उसे देखकर किसी की भी रूह कांप सकती है। उसने अपनी मां के दिल, दिमाग, लिवर, किडनी को तवे पर गरम करके नमक-मिर्च के साथ खाना शुरू कर दिया। ये विभत्स दृश्य देख पड़ोसियों का दिल दहल उठा। आनन-फानन में लोगों ने पुलिस को सूचित किया।
पुलिस पहुंची तो खून सने उसके मुंह देखकर दंग रह गई। पुलिस उसे गिरफ्तार करके थाने लाई। वहां उसने अपने गुनाह कबूल कर लिया। साल 2021 में स्थानीय अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई, जिसके खिलाफ उसे बॉम्बे हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। करीब तीन साल की सुनवाई के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2024 को कोल्हापुर की अदालत के फैसले को बरकार रखा है। हाई कोर्ट ने इसे ’रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस’ माना। फिलहाल आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट से भी दरिंदे की फांसी बरकरार रह सकती है।
इस केस के विवचक रहे पुलिस इंस्पेक्टर एसएस मोरे ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान बताया था कि ‘मैंने मुंबई और महाराष्ट्र के नक्सली इलाकों में अपने करियर में कई हत्याएं और शव देखे हैं। लेकिन ये मामला अब तक का सबसे क्रूर था। हमने मृतक महिला के शव और उसके अंगों के सैंपल डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए भेजे थे। सभी मृतक से मेल खाते थे। हमारे पास 12 गवाह थे। इसके साथ ही क्राइम सीन और महिला के शरीर की स्थिति आरोपी की क्रूरता को साबित करने के लिए पर्याप्त थे।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा था कि वो दोषी सुनील कुचकोरवी की मौत की सजा की पुष्टि कर रही है। कोर्ट का मानना था कि अपराधी के सुधरने की कोई संभावना नहीं है। यह नरभक्षण का मामला है। हाई कोर्ट ने कहा था कि ‘यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है। दोषी ने न केवल अपनी मां की हत्या की, बल्कि उसने उसके शरीर के अंगों जैसे कि दिल, दिमाग, किडनी और लिवर निकाल लिए और उन्हें तवे पर पकाकर खाने का कृत्य किया था। कोर्ट ने कहा कि अपराधी सुनील कुचकोरवी के सुधार की कोई संभावना नहीं है। यदि उसे आजीवन कारावास दिया जाता है, तो वो जेल में भी इस तरह का अपराध कर सकता है।
अभियोजन पक्ष कोर्ट में दावा किया कि मृतक ने आरोपी को शराब खरीदने के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया था। उसको साल 2021 में कोल्हापुर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। इस समय वो यरवदा जेल (पुणे) में बंद है। उसके अपराध को ‘दुर्लभतम’ श्रेणी में मानते हुए सेशन कोर्ट ने कहा था कि इस जघन्य हत्या ने समाज की चेतना को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में 12 लोगों की गवाही हुई, जिसमें आरोपी के रिश्तेदार और पड़ोसी शामिल थे। इस हत्याकांड ने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर कर रख दिया था। लोग मां-बेटे के पवित्र रिश्ते पर सवाल खड़ा करने लगे थे। आरोपी को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाए जाने की मां कर रहे थे। लेकिन 8 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक उसे फांसी की सजा नहीं मिली।