Pakistan economic crisis: जब किसी देश की जेब खाली हो और दिल में जंग का जुनून भरा हो, तो नजारा कुछ वैसा ही होता है जैसा आजकल पाकिस्तान का है। एक तरफ कर्ज के लिए ट्विटर पर हाथ फैलाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ दुनिया को युद्ध की धमकी दी जा रही है। पाकिस्तान सरकार के आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में ट्वीट कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और कर्ज की गुहार लगाई। ट्वीट में लिखा गया कि “दुश्मन” से हुए नुकसान और आर्थिक संकट के कारण पाकिस्तान को फौरन वित्तीय मदद चाहिए।
अब इसमें विडंबना यह है कि जो देश खुद भुखमरी से जूझ रहा है, वही मिसाइलें तान कर दुनिया को डराने की कोशिश कर रहा है। सोशल मीडिया पर इस ट्वीट का खूब मजाक उड़ाया गया। एक यूजर ने लिखा, “पाकिस्तान को क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म खोल देना चाहिए, ताकि लोग खुद तय करें कि उन्हें आटे के लिए पैसे देने हैं या आतंकियों की ट्रेनिंग के लिए।”
Govt of Pakistan appeals to International Partners for more loans after heavy losses inflected by enemy. Amid escalating war and stocks crash, we urge international partners to help de-escalate. Nation urged to remain steadfast. @WorldBank #IndiaPakistanWar #PakistanZindabad
— Economic Affairs Division, Government of Pakistan (@eadgop) May 9, 2025
कटोरे से ज्यादा बड़ा है सैन्य बजट
Pakistan की अर्थव्यवस्था इन दिनों ICU में है। 2022 की बाढ़ में करीब 30 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, और विदेशी मुद्रा भंडार 6.7 बिलियन डॉलर पर आकर ठहर गया। रुपये की हालत यह रही कि डॉलर के मुकाबले 224 पर लुढ़क गया। IMF और विश्व बैंक से बार-बार बेलआउट पैकेज मांगने वाला यह देश आम जनता को चाय कम पीने की सलाह तो देता है, लेकिन हथियारों और आतंकवाद पर खर्च करने से बाज नहीं आता।
पाकिस्तान का रक्षा बजट पिछले साल भी 13 अरब डॉलर के आसपास रहा, जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च महज 2 अरब डॉलर से भी कम रहा। सवाल यह है कि जब रोटी देने के पैसे नहीं हैं, तो बम बनाने की होड़ क्यों?
आतंकवाद का रोमांस कभी खत्म नहीं होता
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, और भारत ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन दे रहा है। यह वही पाकिस्तान है, जिसने कभी ओसामा बिन लादेन को अपने घर में छुपा रखा था। आज भी वहां लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को शह दी जाती है, जबकि आम जनता आटे और दवाओं के लिए लाइन में खड़ी होती है।
दुनिया का मजाक बन चुका है पाकिस्तान
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर Pakistan की स्थिति किसी हास्य फिल्म के पात्र जैसी हो गई है—जिसे कोई गंभीरता से नहीं लेता। IMF और विश्व बैंक भी अब शर्तों के साथ ही कर्ज देने को तैयार होते हैं, और भारत ने इन संस्थाओं से साफ मांग की है कि आतंकवाद को पनाह देने वाले देश की हर सहायता की समीक्षा की जाए।
Pakistan को चाहिए आत्ममंथन, न कि आत्मघात
Pakistan को समझना चाहिए कि “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे और ट्विटर पर कर्ज की भीख एक साथ नहीं चल सकते। आत्मनिर्भरता और विकास की ओर कदम बढ़ाने की बजाय अगर वह जंग और जिहाद के रास्ते पर चलता रहेगा, तो सिर्फ अपनी ही नहीं, पूरे क्षेत्र की शांति को खतरे में डाल देगा।
और हां, अगली बार जब ट्विटर पर कर्ज मांगें, तो कम से कम स्पेलिंग तो चेक कर लें—वर्ना दुनिया हंसी तो उड़ाएगी ही, शायद पैसे भी वापस ले ले।
UP Red Alert के बाद यूपी की सीमाएं सील, नेपाल बॉर्डर पर रातभर चेकिंग अभियान