नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। हां पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की डुगडगी बजा दी है। तीनों सेनाओं को पाकिस्तान पर अटैक की खुली छूट पीएम नरेंद्र मोदी ने दे दी है। नापाक फौज और उसके पालतू आतंकियों का शिकार करने के लिए तीनों सेनाओं के जवान जंग के मैदान पर उतर चुके हैं। जयशंकर भी एक्टिव हैं। दुनिया के 100 से अधिक देश अब भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल पड़े हैं। पड़ोसी देश नेपाल में भी बदले की आग के धंधक रहा है। नेपाली भी सड़क पर हैं और पहलगाम के बदलापुर को लेकर सिर पर कफ्न बांधकर निकल चुके हैं। नेपाली गोरखा भी बैरक के अंदर खुकुरी को धार दे रहे हैं। आर्मी कैंटों से गोरखाओं के नारे जय महाकाली, आयो गोरखाली’ की गूंज सुनाई दे रही है।
नेपाल में भी हो रहे प्रदर्शन
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात हैं। ऐसे में भारत का पड़ोसी देश नेपाल के नागरिक खुलकर पाकिस्तानियों की लंका में आग लगाने को लेकर सड़क पर उतर चुके हैं। नेपालियों ने कहा कि नेपाल-भारत का संबंध ‘बेटी-रोटी’ का है। भारत और नेपाल में खून का रिश्ता है। हम एक हैं और इसबार पाकिस्तान को सबक सिखाकर ही दम लेंगे। इतना ही नहीं हजारों की संख्या में लोग नेपाल के काठमांडू में जमा हुए और पाकिस्तानी एम्बेसी के सामने पहलगाम आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दूतावास को बंद करने की मांग की। प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने ’पाकिस्तान मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाए। हाथों में पाकिस्तान सेना प्रमुख की तस्वीरें लिए प्रदर्शनकारी इस आतंकी हमले का जिम्मेदार बताते नजर आए।
पाक दूतावास बंद किए जानें की मांग
युवाओं ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के चलते निर्दोष नेपाली युवा की जान गई है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि नेपाल सरकार पाकिस्तान से राजनयिक संबंधों पर पुनर्विचार करे और काठमांडू स्थित पाकिस्तानी दूतावास को बंद किया जाए। नेपाल के लोगों ने कहा जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता, तब तक ऐसे हमले होते रहेंगे और निर्दोष नागरिकों की जान जाती रहेगी। नेपालियों ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यलगाम का शंखनाद कर दिया है। भारत के साथ हर एक नेपाली खड़ा है। नेपाली गोरखा भी तैयार हैं। रिटायर्ड नेपाली गोरखा भी फिर से बंदूक उठाने को बेताब हैं।
अब और तेज हुई खुकुरी की धार
पूर्व नेपाली गोखा सिपाही राजेंद्र थापा ने कहा कि 1965 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई से लेकर कारगिल तक, तमाम महत्वपूर्ण ऑपरेशन में गोरखा सैनिकों ने अहम भूमिकि निभाई। खुकुरी तैयार है। कुकरी में अब और तेज धार है। युद्ध हुआ तो गोरखा सिपाही पाकिस्तान को नक्शे से मिटा देंगे। राजेंद्र थापा ने बताया कि 1947 से गोरखा सैनिक भारतीय सेना में अपनी सेवा देते आ रहे हैं। एक अकेला गोरखा 1 हजार पाकिस्तानियों को मारने की जज्बा रखता है। नेपाली गोरखा ने कारगिल युद्ध के वक्त चुहों के अंदर दुबके पाकिस्तानियों को बिलों से निकाल कर गले काटे थे। पहलगाम में जिस तरह से हिन्दुओं को मारा गया, ऐसे में गोरखा भी गुस्से हैं। मौका मिला तो गोरखा इसबार पाकिस्तान के कई टुकड़े कर देंगे।
गोरखा की 39 बटालियन
दरअसल, 24 अप्रैल 1815 में गोरखा रेजिमेंट की पहली बटालियन को स्थापित किया गया था। गोरखा अपनी बहादुरी और देशभक्ति के लिए जाने जाते हैं। ‘खुकरी ’धारी गोरखा निडरता के लिए दुनिया भर में विख्यात हैं। इन गोरखाओं ने अंग्रेजों को भी 1814 के युद्ध में नेपाल में घुसने नहीं दिया था। आजादी के बाद गोरखाओं ने हर बड़े अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। गोरखा रेजिमेंट्स ने ‘परमवीर चक्र‘ और ‘महावीर चक्र‘ जैसे कई वीरता पुरस्कार जीते हैं। गोरखा राइफल्स ने इस देश को सबसे लोकप्रिय फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ दिया है। भारत अब भी हर साल नेपाल से करीब 1,500 सैनिकों की भर्ती करता है। उन्हें भारतीय जवानों के मुताबिक ही समान सुविधाएं हासिल हैं। वर्तमान में 39 बटालियनों में 30,000 गोरखा नौ रेजिमेंट्स में विभाजित हैं।
नेपाल में भी आक्रोश की लहर
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, इनमें एक नेपाली नागरिक की भी जान इस हमले को लेकर नेपाल में भी आक्रोश की लहर है। आज हुआ प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन युवाओं का गुस्सा साफ झलक रहा था। आतंकवादियों ने जिस नेपाल के सैलानी की हत्या की, पहले उसका नाम पूछा। कलमा पढ़ने को कहा। नेपाली सैलानी ने खुद को हिन्दू बताया तो आतंकवादियों ने उसके सिर पर गोली मार दी। आतंकवादियों ने चुन-चुन कर हिन्दुओं को नरसंहार किया, जिसकी नेपाल ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मे ंअलोचना हो रही है।