नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। जैसी आशंका थी, वही हुआ। सीरिया में सद्दाम हुसैन- मुअम्मर मोहम्मद अबू मिनयार गद्दाफी की तरह ही राष्ट्रपति बशर अल-असद की बरसों पुरानी सत्ता धराशाही हो गई। खबर है कि बशर अल असद सीरिया छोड़कर भाग गए है। अमेरिकी समर्थित काबुल सरकार के विद्रोही लड़ाकों ने पूरे देश में कब्जा जमा लिया है। सीरिया के बागियों ने ऐलान किया है कि उन्होंने सीरिया को आजाद करा लिया है। ये जंग दुनिया की सबसे बड़ी जंग बनी। 13 साल का संघर्ष चला। संघर्ष में करीब 5 लाख लोग मारे गए। 4 लाख लोग से अधिक लोग विस्थापित हुए।
13 साल पहले शुरू हुई थी जंग
सीरिया पर राष्ट्रपति बशर अल असद के परिवार का शासन करीब 50 साल रहा। करीब 13 साल पहले असद सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ और पांच लाख से अधिक लोगों की मौत के बाद आखिरकार 50 साल बाद सीरिया से असद परिवार का शासन खत्म हो गया है। राष्ट्रपति बशर और उनके परिवार के सीरिया छोड़कर भागने की चर्चा है। वहीं विद्रोहियों ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया है। प्रधानमंत्री ने भी विद्रोहियों से मिलकर नई सरकार का गठन करने की बात कही है। विद्रोही गुट एचटीएस ने कहा है कि अब नया सीरिया बनेगा, जहां सब शांति से रहेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि विद्रोही सैनिकों ने हर सरकारी इमारत पर कब्जा कर लिया है।
1971 से असद परिवार का रहा दबदबा
बशर अल असद आंखों के डॉक्टर थे और उन्होंने लंदन से आंखों के विशेषज्ञ डॉक्टरी की पढ़ाई की थी। उस समय तक बशर का राजनीति से कोई लेना देना नहीं था। 90 के दशक में उनके बड़े भाई की एक कार हादसे में मौत हो गई। जिसके कारण असद को राजनीति में आना पड़ा। बशर अल असद ने सन 2000 में अपने बाप हफीज अल-असद के बाद सीरिया की कमान संभाली थी। हफीज अल अस्साद ने भी 1950-60 के गृह युद्ध के बाद तख्तापलट कर सत्ता संभाली थी और 1971 के बाद से 2024 तक असद परिवार का सीरिया पर शासन रहा। जिस तानाशाही के खिलाफ असद के पिता सत्ता में आए थे और सोशलिस्ट निजाम सीरिया में लाने का वादा किया था, उसी को भूल वे खुद एक तानाशाह बन गए।
और विद्रोह आंदोलन को कुचल दिया
बशर अल असद सीरिया के सन 2000 से राष्ट्रपति बने हुए थे। राष्ट्रपति के साथ-साथ असद सीरियाई सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ और अरब सोशलिस्ट बाथ पार्टी के सेंट्रल कमांड के महासचिव थे। उनके शासन में उनके खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने का एक बड़ा काला इतिहास है। 2011 में अरब स्प्रिंग के समय सीरिया में भी उनके खिलाफ चिंगारी भड़क उठी थी, लेकिन उन्होंने बहुत क्रूर तरीके से इसको दबाने की कोशिश की। जिसके बाद ये प्रदर्शन सशस्त्र लड़ाई में बदल गए। बशर अल असद ने ईरान और सीरिया की मदद से दमिश्क पर अपना कब्जा जमाए रखा और विद्रोह आंदोलन को कुचल दिया।
कौन हैं एचटीएस संगठन
असद के देश छोड़ने के बाद सीरिया के विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम ने पूरे सीरिया पर कब्जे की घोषणा की है। सीरिया में जिस विद्रोही गुट ने पूरे देश पर कब्जा जमाया है और राष्ट्रपति बशर अल-असद को भागने को मजबूर किया है उसका नाम हयात तहरीर अल शाम है.। यह गुट लंबे समय से बशर सरकार के खिलाफ लड़ रहा था। यह कभी आंतकी संगठन अल कायदा की शाखा रहा है। हालांकि, 2016 में इस संगठन ने खुद को अल कायदा से अलग कर लिया था। एचटीएस का नेतृत्व अभी अबु मोहम्मद अल जोलानी के पास है, जो बेहद कट्टरपंथी माना जाता है। पश्चिमी देश एचटीएस को आतंकी संगठन मानते हैं।
कौन हैं हयात तहरीर अल शाम
हयात तहरीर अल शाम का प्रमुख अबु मोहम्मद अल जोलानी एक इस्लामिक नेता है, लेकिन वह खुद के आधुनिक होने का दावा करता है। जब जोलानी ने एचटीएस को अल कायदा से अलग किया था, तभी से ही इसका मकसद सीरिया की सत्ता से बशर अल असद सरकार को हटाना था। अबु जोलानी का जन्म 1982 में हुआ था। उसकी परवरिश सीरिया की राजधानी दमिश्क के माजेह इलाके में हुई। जोलानी के परिवार का ताल्लुक गोलान हाइट्स इलाके से है। कई इंटरव्यू में वह दावा कर चुका है कि उसके दादा को वर्ष 1967 में गोलान हाइट्स से भागना पड़ा था, तब यहां इस्रायल का कब्जा हो गया था।
कौन होगा सीरिया का नया बॉस
असद शासन के अंत के बाद सबकी नजर इस बात पर हैं कि सीरिया की नई सरकार कैसे बनेगी, इस सरकार का बटवारा किस लिहाज से किया जाएगा। क्योंकि असद के खिलाफ लड़ने वाला कोई एक ग्रुप नहीं है बल्कि दर्जनों ग्रुप मैदान में असद की सेना से लड़ रहे हैं और ये सब अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं। इन समूहों की आइडियोलॉजी भी अलग-अलग है कुछ लोकतंत्र के हिमायती हैं, तो कुछ इस्लामी राष्ट्र चाहते हैं और कुर्द लड़ाके भी हैं जो अपना एक अलग देश चाहते हैं। इस लड़ाई से अभी एक धुंधली से तुर्की, अमेरिका और इजराइल के बड़े प्लान की तस्वीर दिख रही है, जिसमें वह सीरिया को तोड़ ईरान का मध्य पूर्व से कंट्रोल को कम कर सकते हैं।
गद्दाफी को किया गया बेदखल
लीबिया के बेदुईन कबीले का एक लड़का, जिसके पिता बकरियां और ऊंट चराया करते थे। जिसने 27 साल की उम्र में रक्तहीन क्रांति से तख्तापलट कर दिया लेकिन बाद में अपना शीशमहल खून की बुनियाद पर बनाया। वो जिस फॉक्सवैगन कार में सफर करता था पर बाद में वह उसकी अय्याशी का प्रतीक बन गई। उसने अपने नाम के साथ कर्नल, इमामों का इमाम और अफ्रीका का शहंशाह जैसी उपाधियां धारण कीं, लेकिन अमेरिका की नजर में वो पागल कुत्ता था और जो हमेशा खूबसूरत अंगरक्षकों से घिरा रहता था। जी हां, हम बात कर रहे हैं मुअम्मर मोहम्मद अबू मिनयार अल-गद्दाफी की। जिसकी सरकार का तख्तापलट भी असद की तरह ही हुआ। हालांकि असद देश से भागने में कामयाब रहे पर गद्दाफी ऐसा नहीं कर पाया। अमेरिका समर्थित विद्रोहियों ने गद्दाफी को पकड़ लिया और मौत के घाट उतार दिया।
कुछ ऐसी ही कहानी सद्दाम हुसैन की भी
कुछ ऐसी ही कहानी सद्दाम हुसैन की भी थी। वह सेना में सैनिक था। अचानक उसके मन में सत्ता की लालसा जगी और ईराक की सरकार का तख्तापलट कर वहां का िंकंग बन गया। तीन से अधिक दशकों तक ईराक में सद्दाम की हुकूमत चली। आखिर में अमेरिका और ईराक के विद्रोही गुटों ने सद्दाम हुसैन की सरकार को हटा दिया। अमेरिका की सेना ने सद्दाम हुसैन को एक सुरंग से पकड़ लिया। मुकदमा चला और आखिर में तानाशाह को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। तीनों तानाशाह की कहानी एक जैसी हैं और तीनों को सत्ता से बेदखल करने में अमेरिका ने अहम रोल निभाया।