Religious news –गणेश उत्सव की तैयारियां देशभर में जोरों पर हैं। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025, दिन बुधवार को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 अगस्त दोपहर 1:54 बजे से आरंभ होकर 27 अगस्त दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। गणेश स्थापना के लिए शुभ समय प्रातः 5:40 से 9:00 बजे तक और मध्यमकाल में 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा।
जयपुर के मोती डुंगरी मंदिर में भव्य आयोजन
जयपुर के प्रसिद्ध मोती डुंगरी गणेश मंदिर में गणेश उत्सव की शुरुआत बड़े उत्साह के साथ हो चुकी है। इस वर्ष भगवान गणेश को 1,25,000 मोदक अर्पित किए जा रहे हैं, जिनमें 251 किलो के दो विशाल मोदक आकर्षण का केंद्र हैं। आठ दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में पंचामृत अभिषेक, कथक संध्या, ध्रुपद गायन और भव्य शोभा यात्रा का आयोजन होगा। इस बार भगवान गणेश को हीरे, पन्ना और रूबी से जड़े व्हाइट गोल्ड के मुकुट से सजाया जाएगा।
देशभर में गणेश प्रतिमाओं की तैयारी
गणेश चतुर्थी से पहले मूर्तिकार देशभर में दिन-रात गणेश प्रतिमाएं बनाने में जुटे हैं। दिल्ली, मुंबई, अजमेर, प्रयागराज और कर्नाटक जैसे स्थानों पर कलाकार अपनी कला का परिचय दे रहे हैं। अजमेर के मुरलीधर, जो चलने में असमर्थ हैं, पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां बना रहे हैं। वहीं अकोला की रेवती भागे गणेश प्रतिमाओं के साथ 30,000 पौधों के बीज वितरित कर रही हैं। प्रयागराज में गंगा की मिट्टी से बनी इको-फ्रेंडली मूर्तियां श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही हैं।
घर के लिए कैसी हो गणेश प्रतिमा
विशेषज्ञों के अनुसार घर में मध्यम आकार की गणेश प्रतिमा रखना शुभ माना जाता है। मूर्ति की सूंड बायीं ओर मुड़ी होनी चाहिए। बैठी हुई मुद्रा वाली प्रतिमा घर में सुख-समृद्धि और शांति लाती है। रंगों की बात करें तो सफेद और सिंदूरी रंग की प्रतिमाएं विशेष रूप से शुभ मानी जाती हैं।
गणेश उत्सव का महत्व और सांस्कृतिक धूम
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। उनकी आराधना से ज्ञान, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। यह पर्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। महाराष्ट्र, राजस्थान, प्रयागराज और कर्नाटक सहित कई राज्यों में यह पर्व भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी को प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ होता है।