ट्रंप को खुश करने में उलझी Meta, Facebook बना नफरत और हिंसा का अड्डा!

Meta के कंटेंट मॉडरेशन में ढील देने के बाद Facebook पर हिंसा और अभद्रता वाले पोस्ट्स की संख्या में खतरनाक बढ़ोतरी देखी गई है।

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Meta News : जनवरी 2025 में लागू की गई Meta की नई कंटेंट मॉडरेशन नीति के बाद Facebook पर हिंसा, बदसलूकी और नफरत से भरे पोस्ट्स में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई है। इस नीति के तहत Meta ने आपत्तिजनक कंटेंट पर निगरानी और उसे हटाने की प्रक्रिया को काफी हद तक कम कर दिया है। Meta की पहली “इंटीग्रिटी रिपोर्ट” बताती है कि अब Facebook जैसे प्लेटफॉर्म पर नुकसानदायक कंटेंट की मात्रा तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन कार्रवाई और पोस्ट हटाने की दर में गिरावट आई है।

2024 के अंत में Facebook पर हिंसक कंटेंट का अनुपात 0.06–0.07% था, जो 2025 की पहली तिमाही में बढ़कर 0.09% हो गया। दिखने में ये प्रतिशत मामूली लग सकते हैं, लेकिन अरबों यूज़र्स वाले प्लेटफॉर्म पर यह एक बड़ी समस्या को दर्शाते हैं। इसी तरह, साइबर बुलीइंग और ऑनलाइन उत्पीड़न से जुड़े कंटेंट में भी मार्च 2025 में अचानक उछाल आया, जहां यह दर 0.06–0.07% से बढ़कर 0.07–0.08% हो गई।

घटा पोस्ट हटाने का आंकड़ा

2025 की पहली तिमाही में Meta ने हेट स्पीच से संबंधित केवल 34 लाख पोस्ट्स पर कार्रवाई की—यह 2018 के बाद की सबसे कम संख्या है। स्पैम हटाने की दर भी आधे से ज्यादा गिरकर 730 मिलियन से घटकर 366 मिलियन रह गई। फेक अकाउंट्स को पहचानकर हटाने में भी गिरावट दर्ज हुई—1.4 बिलियन से घटकर सिर्फ 1 बिलियन।

सेंसरशिप से हटे संवेदनशील मुद्दे

Meta की नई नीति के तहत अब केवल गंभीर आपराधिक विषयों जैसे चाइल्ड अब्यूज और आतंकवाद पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जबकि इमिग्रेशन, जेंडर आइडेंटिटी और नस्ल जैसे मुद्दों को अब ‘राजनीतिक अभिव्यक्ति’ मानकर मॉडरेशन के दायरे से बाहर रखा गया है।

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हेट स्पीच की परिभाषा में बदलाव

Meta ने हेट स्पीच की अपनी परिभाषा भी संकुचित कर दी है। अब केवल वे पोस्ट हटाए जाते हैं जिनमें स्पष्ट हिंसा, सीधा हमला या अमानवीय भाषा हो। पहले हटाए जाने वाले ऐसे पोस्ट, जो घृणा, बहिष्कार या हीन भावना फैलाते थे, अब सोशल मीडिया पर बने रह सकते हैं।

2025 की शुरुआत में Meta ने अमेरिका में थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को बंद कर दिया और उसकी जगह “कम्युनिटी नोट्स” नामक एक यूज़र-जनरेटेड फैक्ट चेकिंग सिस्टम लॉन्च किया है। यह सिस्टम अब Facebook, Instagram, Threads और Reels जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लागू है। हालांकि इसकी कार्यकुशलता पर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि यूज़र्स द्वारा किया गया फैक्ट-चेकिंग विशेषज्ञों जैसी प्रमाणिकता नहीं रखता।

कम हुआ गलत मॉडरेशन

Meta का दावा है कि सही पोस्ट को गलती से हटाने के मामलों में 50% की कमी आई है। कंपनी इसे ‘संतुलन बनाने की कोशिश’ बता रही है ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनी रहे और मॉडरेशन बहुत सख्त न हो। हालांकि, यह साफ नहीं है कि इस दावे को मापने का आधार क्या रहा।

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जहां आम यूज़र्स के लिए कंटेंट मॉडरेशन ढीला हुआ है, वहीं किशोरों के लिए सख्त निगरानी अब भी जारी है। नए टीनेज अकाउंट्स में आपत्तिजनक कंटेंट को फिल्टर किया जा रहा है। Meta का दावा है कि उसका AI-आधारित मॉडरेशन सिस्टम अब पहले से अधिक सटीक है और कई मामलों में बिना मानवीय हस्तक्षेप के पोस्ट को हटा सकता है।

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