कौन हैं IPS अखिल कुमार, जिन्हें बनाया गया डिजिटल इंडिया का एमडी, अब तीसरी आंख से देश की करेंगे ‘पहरेदारी’

आईपीएस अखिल कुमार को भारत सरकार ने केंद्र में बुलाकर डिजिटल इंडिया का एमड़ी और सीईओ बनाया है। कमिश्नर अखिल कुमार अखिलेश दुबे केस खोलने को लेकर बेहद चर्चा में आए थे।

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लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। 50 से ज्यादा थाने और 150 से अधिक पुलिस चौकियां। करीब 40 लाख की आबादी। पर सब पर सीएम योगी आदित्यनाथ के जांबाज आईपीएस की नजर रहती। यही वजह से रही की बीते डेढ़ वर्ष के कार्यकाल के दौरान विकास के पथ पर एशिया का मैनचेस्टर सरपट दौड़ा। जरायम की दुनिया के विलेन एक-एक कर कम होते गए। न गोली गली और न ही एनकाउंटर हुए। सटीक पुलिसिंग के जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ के ब्रम्हास्त्र ने शहर से अपराध को नौ दो ग्यारह कर दिया। यही वजह रही कि अब कानपुर के पुलिस कमिश्नर व आईपीएस अखिल कुमार को केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया का एमड़ी और सीईओ बनाया है।

बतौर कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक कार्य किए। ऑपरेशन महादेव का शंखनाद कर दर्जनों सफेदपोश माफियाओं को सलाखों के पीछे भिजवाया। फिर एक खत आईपीएस को मिला तो आईपीएस ‘सिंघम’ ने कानपुर नगरी में ऑपरेशन महादेव पार्ट टू का आगाज कर काले कोट की आड़ में गैर कानूनी कार्य करने वालों पर चाबुक चलाया। यही वजह रही कि सीपी अखिल कुमार आजमन के खास हो गए। फिर क्या था पीएम नरेंद्र मोदी को भी आईपीएस अखिल कुमार पसंद आ गए और उनका प्रामोशन कर दिल्ली बुला लिया।

दरअसल, आईपीएस अखिल कुमार को भारत सरकार ने केंद्र में बुलाकर डिजिटल इंडिया का एमड़ी और सीईओ बनाया है। कमिश्नर अखिल कुमार अखिलेश दुबे केस खोलने को लेकर बेहद चर्चा में आए थे। इसके अलावा ऐसे कई अन्य लोगों को सलाखों के पीछे भेजकर नया कीर्तिमान गढ़ा था। जिन पर हाथ रखने से सरकारें पहले डरा करती थीं, उनकी पूरी क्राइम कुंडली को खोलकर आईपीएस अखिल कुमार ने बेपर्दा करने का काम किया। अब अखिल कुमार पीएम नरेंद्र मोदी के साथ काम करेंगे। अखिल कुमार 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। कानपुर में कमिश्नर का पद संभालने से पहले अखिल गोरखपुर में एडीजी के पद पर कार्यरत थे।

आईपीएस अखिल कुमार ने ग्रेजुशन में सिविल से बीटेक किया है। वहीं मास्टरर्स में मास्टर इंटरनल अफेयर किया है। इसके अलावा मास्टर ऑफ इंटरनेशनल अफेयर, मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन डिफेंस एडं स्ट्रेटेजी की डिग्रीयां प्राप्त की हैं। मूल रूप से बिहार के बेगूसराय निवासी अखिल कुमार 2005 में कुख्यात डकैत निर्भय गुर्जर के एनकाउंटर समेत लखनऊ के एक बड़े कारोबारी के बेटे के अपहरण के खुलासे में अहम भूमिका निभाकर चर्चा में आए थे। शासन से कई मेडल पा चुके अखिल कुमार की गिनती तेज तर्रार अफसरों में होती है। कुछ साल केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी रहे। विदेश व जल संसाधन मंत्रालय में सेवा देने के बाद उनकी यूपी में वापसी हुई थी। वे कोलंबिया से मास्टर डिग्री हासिल कर चुके हैं।

अब आईपीएस अखिल कुमार भारत सरकार में डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन की कुर्सी पर बैठेंगें ऐसे में हम आपको बताते हैं कि इस कुर्सी का अहमियत। दरअसल, डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के एमडी की पोस्ट प्रशासनिक और रणनीतिक पोस्ट होती है, जो केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन आती है। डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन यह एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है जिसे केंद्र सरकार ने 1998 में स्थापित किया था। पहले इसका नाम था मीडिया लैब एशिया था। फिर बाद में इसे डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन कहा जाने लगा। यह संस्था डिजिटल इंडिया मिशन के विभिन्न प्रोजेक्ट्स को लागू करने और मॉनिटर करने का काम करती है। डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन का एमडी इसका कार्यकारी प्रमुख होता है।

एमडी डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की योजनाओं को बनाता और पूरे देश में लागू भी करता है। जैसे भारतनेट, डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के अलावा अन्य कार्य भी करता है। एमडी देशभर के मंत्रालयों, राज्य सरकारों और निजी संस्थाओं के साथ कोऑर्डिनेशन का काम करता है। नई टेक्नोलॉजी पर आधारित पायलट प्रोजेक्ट्स को लॉन्च और मॉनिटर का काम भी एमडी के कंधो पर होता है। यह पद पूरे भारत स्तर पर काम करता है, यानी इसका अधिकार-क्षेत्र किसी राज्य तक सीमित नहीं है। यह पद पॉलिसी इम्प्लीमेंटेशन और टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट पर फोकस करता है, न कि पुलिसिंग या कानून-व्यवस्था पर। आसान भाषा में समझें तो पुलिस कमिश्नर की पावर होती है कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर। लेकिन एमडी की पावर होती है डिजिटल इंडिया मिशन को आगे बढ़ाने, नई टेक्नोलॉजी को लागू करने और सरकार की डिजिटल नीतियों को जमीन पर उतारने की।

 

 

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