Sambhal temple-mosque dispute: काशी और मथुरा के बाद अब संभल में भी मंदिर मस्जिद विवाद ने दस्तक दे दी है। मंगलवार को जिला कोर्ट में हिन्दू सम्प्रदाय की ओर से एक याचिका दायर की गई थी जिसमें शहर की जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया। याचिका पर कोर्ट ने सर्वे के आदेश भी जारी कर दिए। इसकी सूचना मिलने के बाद ही समुदाय विशेष में आक्रोश फैल गया। अब इस मामले पर मौलाना भी माहौल को हवा देने में जुटे हैं। सवाल उठता है कि अगर समुदाय विशेष को ये पक्का यकीन है कि जामा मस्जिद वाकई मस्जिद ही है तो फिर सर्वे से एतराज क्यों।
सर्वे के आदेश के बाद भारी सुरक्षा बल तैनात
Sambhal के इस जामा मस्जिद पर तैनात भारी फोर्स माहौल की कहानी खुद ही कह रहा है। जिला कोर्ट द्वारा सर्वे का आदेश दिए जाने के बाद जिस तरह से माहौल बदला और सोशल मीडिया पर पत्र वायरल हुआ जिसमें जुमे की नमाज पर मस्जिद में इकठ्ठा होने की बात कही गई उसके बाद से ही प्रशासन सतर्क हो गया। और बड़ी संख्या में पुलिस, पीएससी और आरएएफ के जवानों की तैनाती कर दी गई। बड़ी संख्या में मुरादाबाद और बरेली मंडल से भी फोर्स मंगाई गई है। इस बीच पूरे मामले पर सियासत भी गरमा गई है।
भड़के उलेमा, सपा बसपा को भी याद आया वोट बैंक
Sambhal में सर्वे के इस आदेश के बाद मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के अलावा समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने भी कड़ा विरोध किया है। समाजवादी पार्टी ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई करार दिया और सर्वे का विरोध किया तो वहीं पर्सनल ला बोर्ड ने भी इसे साम्प्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश करार दिया। बीएसपी की मुखिया मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘यूपी के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद को लेकर अचानक विवाद, सुनवाई और फिर उसके बाद फौरन बाद ही आपाधापी में सर्वे की खबरें राष्ट्रीय चर्चा व मीडिया की सुर्खियों में हैं। किन्तु इस प्रकार से सदभाव व माहौल बिगाड़ने का संज्ञान सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर लेना चाहिए।‘
Sambhal की मस्जिद पर सियासत गरमानी तय
कुल मिलाकर संभल मामले पर सियासत और ज्यादा गरमानी भी तय है। मामला चूंकि अदालत के माध्यम से सामने आया है ऐसे में इस मामले का रास्ता भी अदालत के जरिए ही निकलेगा। सवाल उठता है कि आखिर सर्वे पर समुदाय विशेष के नेताओं को इतना एतराज क्यों होता है। काशी और मथुरा सर्वे को लेकर हो रही मुकदमे बाजी इसका प्रमाण है।