Pilbhit refugee Bangladeshi refugee land: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में बसे 2,196 बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारों के लिए 62 साल का इंतजार अब खत्म होने वाला है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से विस्थापित होकर आए इन हिंदू शरणार्थियों को वह कानूनी हक देने का फैसला लिया है, जिसके लिए वे दशकों से संघर्ष कर रहे थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब इन परिवारों को भूमि का स्वामित्व अधिकार दिया जाएगा। इस फैसले से उन्हें न सिर्फ सम्मान मिलेगा बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा। पीलीभीत के 25 गांवों के शरणार्थियों के लिए यह ऐतिहासिक राहत किसी नई जिंदगी की शुरुआत जैसा है।
योगी सरकार का बड़ा ऐलान, प्रशासन को मिले निर्देश
पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित हजारों परिवारों को वर्षों पहले पीलीभीत में जमीन तो मिली थी, लेकिन मालिकाना हक नहीं। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद 2,196 परिवारों को स्वामित्व देने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। Pilbhit ज़िला मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि राज्य सरकार को भेजे गए सत्यापन में से 1,466 आवेदकों की रिपोर्ट पहले ही स्वीकृत हो चुकी है। अंतिम आदेश मिलते ही स्वामित्व प्रमाणपत्र वितरण शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने इसे केवल दस्तावेज नहीं, बल्कि पीड़ा और संघर्ष की मान्यता बताया है।
1960 से झेल रहे थे कानूनी अधिकारों का अभाव
इन परिवारों को 1960 के दशक में भारत लाया गया और Pilbhit, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, रामपुर जैसे जिलों में बसाया गया। इन्हें जमीन तो आवंटित की गई, लेकिन मालिकाना हक कभी नहीं मिला। कानूनी अधिकार न होने के कारण ये सरकारी योजनाओं से वंचित रहे। भाजपा नेता संजीव प्रताप सिंह और अन्य जनप्रतिनिधियों ने इसे शरणार्थियों के बलिदान को सम्मान देने वाला निर्णय बताया।
किन गांवों के लोगों को मिलेगा लाभ?
कालीनगर और पूरनपुर तहसीलों के 25 से अधिक गांवों के परिवारों को यह राहत मिलेगी। इनमें तातारगंज, बामनपुर, बैला, सिद्ध नगर, शास्त्री नगर, नेहरू नगर जैसे गांव प्रमुख हैं। शासन के स्तर पर सत्यापन और प्रक्रिया का अंतिम दौर पूरा होते ही सभी योग्य परिवारों को अधिकार पत्र सौंपे जाएंगे।
मुख्यमंत्री का संदेश: सम्मान लौटाने का वक्त
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यह केवल कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि उन परिवारों को सम्मान लौटाने का वक्त है जिन्होंने सीमाओं के पार से भारत आकर नई जिंदगी की उम्मीद संजोई। सरकार अब उन्हें पुनर्वास का वह भरोसा देने जा रही है जिसका इंतजार उन्हें दशकों से था।